उत्तर प्रदेश के मदरसों से जुड़ी समस्याओं को लेकर आज एक अहम सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश भर के मदरसा शिक्षक शामिल होंगे. यह सम्मेलन लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया जाएगा, जिसमें अल्पसंख्यक मंत्री ओमप्रकाश राजभर और पूर्व अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद भी हिस्सा लेंगे.
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यूपी में मदरसा शिक्षा से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर गहन मंथन करना है. इस बैठक में मदरसा शिक्षकों की समस्याओं का समाधान निकालने और मदरसा शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा हो सकती है. मदरसा शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए नई नीतियों पर चर्चा की जाएगी.
मदरसा शिक्षा की समस्याओं पर होगी बात
मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बताया कि इस सम्मेलन में मदरसा शिक्षकों और मदरसा शिक्षा से जुड़े अन्य हितधारकों की समस्याओं को समझकर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.
मदरसा एक्ट में संशोधन करेगी यूपी सरकार
हाल ही में, उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला लिया था कि मदरसा अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए जाएंगे. इस संशोधन के तहत कुछ मदरसा डिग्रियों को अधिनियम के दायरे से बाहर किया जाएगा. विशेष रूप से, कामिल और फाजिल प्रमाणपत्र देने वाले मदरसों को अब मान्यता नहीं दी जाएगी. यह कदम शासन स्तर पर तैयार किया जा रहा है और इसके लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
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मदरसा कानून है क्या?
उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित और संरचित करने के उद्देश्य से 2004 में एक विशेष कानून बनाया गया, जिसे यूपी मदरसा बोर्ड अधिनियम के नाम से जाना जाता है. इस कानून के तहत उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में संचालित मदरसों की शिक्षा को प्रबंधित और नियोजित करना है.
इस अधिनियम में अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (यानी पारंपरिक चिकित्सा), और दर्शनशास्त्र जैसी पारंपरिक इस्लामी शिक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. यह कानून मदरसों को एक संरचित पाठ्यक्रम के अनुसार संचालित करने का ढांचा प्रदान करता है, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का भी समावेश किया जा सके. उत्तर प्रदेश में करीब 25,000 मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 16,000 मदरसों को यूपी मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है