scorecardresearch
 

पंखा बंद कर पढ़ती थी ताकि नींद न आए, ट्रक मैकेनिक की बेटी ने ऐसे क्रैक किया NEET

NEET Topper: आरती ने देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक अंडरग्रेजुएट नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (NEET) को क्रैक किया है. उन्‍होंने 20 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के बीच 192वीं रैंक हासिल की है.

Advertisement
X
NEET Topper
NEET Topper

NEET Topper: आगरा में एक ट्रक मैकेनिक की बेटी ने NEET UG परीक्षा क्रैक कर कमाल कर दिया है. 21 वर्षीय आरती झा ने AIR 192 के साथ एग्‍जाम क्रैक किया है. आरती ने बताया कि वह पढ़ाई करते समय पंखा बंद कर देती थीं ताकि उन्‍हें नींद न आ जाए और वह अपने शेड्यूल से पीछे न रह जाएं.

आरती ने देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक अंडरग्रेजुएट नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (NEET) को क्रैक किया है. उन्‍होंने 20 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के बीच 192वीं रैंक हासिल की है.

पिछले 40 साल से ट्रक मैकेनिक के तौर पर काम कर रहे उनके पिता बिशंभर झा ने बताया, 'आरती पढ़ाई के दौरान पंखा बंद रखती थी ताकि उसे नींद न आ जाए और वह अपनी रोजाना की पढ़ाई में पिछड़ न जाए. वह परिवार की पहली डॉक्टर होगी. यह परिवार में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. गरीबी और अभावों के बावजूद, वह परीक्षा में सफल रही है. उसने पूरे परिवार को गौरवान्वित किया है.

उन्होंने बता कि आरती को बार-बार सिरदर्द होता था, लेकिन उसने अपनी तैयारी को प्रभावित नहीं होने दिया. वह अपने सिरदर्द के लिए दवाएं भी ले रही है. आरती ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, मुख्य रूप से अपने पिता को दिया जिनका मानना था कि वह एक दिन डॉक्टर जरूर बनेंगी. आरती ने कहा, 'मेरे पिता मेरी प्रेरणा हैं, क्योंकि वह हमेशा मुझे प्रेरित करते हैं. हम जब भी असफल होते हैं तो वह हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.'

Advertisement

आरती की मां हाउस वाइफ हैं. उसके दो भाई एसएससी (SSC) परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और उसकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का एक अविस्मरणीय क्षण था और रिजल्‍ट घोषित होने के बाद से उन्हें दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों के फोन आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'चूंकि मेरी एआईआर रैंक 192 है और ओबीसी कैटेगरी में मुझे 33वां स्थान मिला है, इसलिए मुझे उम्मीद है कि मुझे दिल्ली AIIMS में एडमिशन मिल जाएगा. MBBS की डिग्री के बाद, मैं एक न्यूरोलॉजिस्ट बन जाऊंगी.' आरती अपनी मेडिकल कोचिंग की फीस भरने के लिए स्कूली बच्‍चों को पढ़ाती थीं.

उन्होंने कहा, 'मैंने CBSE बोर्ड से 2018 में 85 प्रतिशत नंबरों के साथ 12वीं पास की थी. उसके बाद, मैंने एक साल के लिए अपनी तैयारी छोड़ दी और एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया. मुझे वेतन के रूप में प्रति माह 5,000 रुपये मिलते थे. मैंने अपनी कोचिंग क्‍लासेज़ के भुगतान के लिए पैसे का इस्तेमाल किया. मैंने 2020 के बाद से तैयारी शुरू कर दी और तब से मैं परीक्षा को पास करने के लिए लगन से मेहनत कर रही हूं.'

 

TOPICS:
Advertisement
Advertisement