कई छात्रों को शिकायत रहती है कि जैसे ही पढ़ाई का मूड बनाकर बैठने से अक्सर नींद आ जाती है. लगातार नींद आने से परेशान या पढ़ाई से मन उचटने वाले छात्र तरह तरह की कोशिशें करते हैं. वहीं कई छात्र खुद को जगाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. मनोचिकित्सकों के पास इन दवाओं के कारण हुई घबराहट, बेचैनी और नींद न आने की जैसी समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं.
भोपाल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक कहते हैं कि एनर्जी बूस्ट करने के नाम पर मिल रही दवाएं छात्रों को कई तरह की समस्याएं दे रही हैं. बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अभी तक मेरे पास छह ऐसे मरीज आ चुके हैं जो कई एग्जाम का एक साथ प्रेशर झेल रहे हैं. उनको खुद को नींद आने से इतनी परेशानी हो गई थी कि वो नींद भगाने के लिए ये दवाएं ले रहे थे. एक छात्र कॉन्संट्रेशन बढ़ाने के लिए ये दवाएं ले रहा था. किसी को दवा की एक डोज तो किसी को दवा खाने के दूसरे ही दिन समस्याएं होने लगीं.
महसूस होता है कंपन
एक छात्र ने बताया कि अब उसे हाथों में कंपन महसूस होता है. पूरी पूरी रात सो नहीं पा रहा और पढ़ाई में कुछ भी याद नहीं कर पा रहा है. ये समस्याएं लेकर पहुंचने वाले छात्रों को तत्काल ऐसी दवाएं खाने से मना किया जाता है. डॉ त्रिवेदी का कहना है कि यह बहुत ही हैरान करने वाली स्थिति है कि छात्र बिना किसी डॉक्टरी परामर्श के आसानी से मेडिकल स्टोर से ऐसी दवाएं ले लेते हैं. भले ही शुरुआत में कुछ छात्रों को इसका फायदा लगता है, लेकिन लांग टर्म में ये दवाएं बहुत नुकसान करती हैं.
शेड्यूल बनाकर पढ़ें
सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ राजीव मेहता का कहना है कि परीक्षा की तैयारी में ध्यान लगाने के लिए हमें वैसा शेड्यूल बनाना होगा जिसमें टाइमिंग हमसे मैच करती हो. यदि आपको रात में जल्दी नींद आ जाती है तो आप शांत मन से सो जाएं और फिर रात में जागकर पढ़ें. लेकिन ऐसी दवाओं के सेवन से बचना चाहिए.
जगाने के लिए दवाएं कितनी कारगर
डॉ राजीव मेहता ने कहा कि हमें सोने जागने के लिए खुद पर प्रेशर नहीं देना चाहिए. हमेशा पढ़ाई उसी वक्त करें जब शरीर बिल्कुल थका हुआ महसूस न हो, हमारी नींद पूरी हो चुकी हो. शरीर को अगर फिर भी थकावट लग रही है तो आपको एक बेहतर वॉक की जरूरत है. लेकिन ये दवाएं जो स्लीप पैरालिसिस या दूसरे टाइम जोन में लोगों को फिट करने के लिए प्रिस्क्राइब की जाती हैं. उनका सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के कतई न करें.