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टारगेट नंबर-6: सेना ने उड़ा डाला जैश का ठिकाना 'मरकज अब्बास', जहां गोला-बारूद रखता था कारी जर्रार

Operation Sindoor: भारतीय सेना की ओर से किए गए ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 9 आतंकी ठिकानों को टारगेट किया है. पढ़ते हैं टारगेट नंबर-6 मरकज अब्बास की कहानी.

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ऑपरेेशन सिंदूर में टारगेट नंबर-6 था मरकज अब्बास.
ऑपरेेशन सिंदूर में टारगेट नंबर-6 था मरकज अब्बास.

भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों की लोकेशन को टारगेट किया और एक-एक करके निशाना बनाया. जिन 9 ठिकानों पर भारतीय सेना के बम बरसे, उनमें टारगेट नंबर 6 था... मरकज अब्बास. मरकज सैदना हजरत अब्बास बिन अब्दुल मुतालिब (मरकज अब्बास) आतंकी संगठन जैश एक मोहम्मद का अहम अड्डा था, जो पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के कोटली में था. ये कोटली मिलिट्री कैंप से करीब 2 किलोमीटर साउथ-ईस्ट में था. इस मरकज को आर्मी ने नेस्तनाबूत कर दिया.

भारतीय सेना की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, ये वो इमारत थी, जहां  100-125 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी रह सकते हैं और अक्सर मरकज परिसर में 40-50 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मौजूद रहते हैं. बता दें कि हाफिज अब्दुल शकूर उर्फ ​​कारी जर्रार इस मरकज का हेड है. इसके अलावा यहां कारी माज (कारी जर्रार का बेटा), मोहम्मद माविया खान, ताहिर नजीर और अबू बकर भी रहते हैं.

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कौन है कारी जर्रार?

कारी जर्रार जैश-ए-मोहम्मद का शूरा मेंबर है. कारी जर्रार जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक सदस्यों में से एक है और हरकत-उल-मुजाहिदीन (एचयूएम) के आतंकवादियों में से एक है, जिसने एचयूएम को छोड़कर मौलाना मसूद अजहर के साथ मिलकर जेयूएम की स्थापना की थी. इसके अलावा यहां कारी जर्रार मरकज अब्बास के बगल में स्थित तीन मंजिला इमारत में रहता है.

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कारी जर्रार वो ही शख्स है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों की योजना बनाता है और उन्हें अंजाम देने में सीधे तौर पर शामिल रहता है. कारी जर्रार 29 नवंबर, 2016 को जम्मू के नगरोटा में बलेनी ब्रिज के पास भारतीय सेना के शिविर पर हुए हमले के लिए NIA का वॉन्टेड टेरेरिस्ट है. वो अफगानिस्तान में अपने सोर्स से जैश-ए-मोहम्मद के लिए धन जुटाने का भी काम करता है. 

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बेटा था अफगानिस्तान में एक्टिव

कारी जर्रार का बेटा मुआज उर्फ ​​कारी माज पहले जैश-ए-मोहम्मद के अफगानिस्तान चैप्टर से जुड़ा था, उत्तरी कश्मीर में लॉन्चिंग डिटेचमेंट का प्रभारी भी वो ही है. मुआज अक्टूबर 2018 के दौरान अफगानिस्तान से लौटा था.

क्यों टारगेट में शामिल था मरकज अब्बास

ये आतंकी अड्डा इसलिए भी सेना के टारगेट में था, क्योंकि पठानकोट हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के हथियार और गोला-बारूद सियालकोट से यहां ट्रांसफर कर दिए गए थे. अभी जब जरूरत होती है तो कारी जर्रार खुद अपने वाहन में हथियार और गोला-बारूद सियालकोट ले जाता है.

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जैश ए मोहम्मद क्या है?

जैश-ए-मोहम्मद को अक्टूबर 2001 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था. इसे भारत के अलावा कई देशों ने भी आतंकवादी संगठन घोषित किया है. इन देशों में अमेरिका (अक्टूबर, 2001), ब्रिटेन (अक्टूबर, 2001), ऑस्ट्रेलिया (अगस्त, 2015), कनाडा (नवंबर, 2002) और यूएई (नवंबर, 2014) का नाम शामिल है. जैश-ए-मोहम्मद को अक्टूबर, 2001 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से भी आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था. 
 

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