भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर रातभर चले अभियान के तहत हमले किए. पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग DG ISPR ने कोटली, मुरीदके और बहावलपुर समेत नौ स्थानों पर भारतीय हमलों की पुष्टि की है. इसे 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया है, जिसके मुख्य टारगेट जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा जैसे जिहादी ठिकाने थे, जो पिछले तीन दशकों से भारत पर बड़े आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहे हैं.
बहावलपुर ही क्यों?
पाकिस्तान का 12वां सबसे बड़ा शहर बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है. यह शहर लाहौर से लगभग 400 किमी दूर है और यहां JeM का मुख्यालय 'जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह' परिसर में स्थित है, जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस भी कहा जाता है. यह परिसर 18 एकड़ में फैला हुआ है और JeM के लिए भर्ती, फंडिंग और ट्रेनिंग का केंद्र है. भारतीय हमले में यह मस्जिद भी निशाने पर थी. JeM का संस्थापक मौलाना मसूद अजहर बहावलपुर का ही रहने वाला है और यहीं एक भारी सुरक्षा वाले परिसर में रहता है.
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जैश-ए-मोहम्मद (JeM) पर आधिकारिक रूप से 2002 में प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन यह कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रही. संगठन को अपने कैंप को पूरी तरह संचालित करने की आजादी दी गई. JeM का कैंप पाकिस्तान की 31 कॉर्प्स के मुख्यालय- एक आर्मी कैंट- से कुछ ही दूरी पर स्थित है. बताया जाता है कि बहावलपुर में एक खुफिया परमाणु ठिकाना भी मौजूद है. कैंप की इस छावनी के पास मौजूदगी ISI की ओर से JeM को दिए जा रहे समर्थन और सुरक्षा का सबसे बड़ा सबूत है.
जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह
यह मस्जिद, जो एक मदरसे के रूप में सामने आती है, JeM की एक फ्रंटल संस्था अल-रहमत ट्रस्ट द्वारा फंड की जा रही थी. 2011 तक यह एक साधारण इमारत थी, लेकिन 2012 तक इसे एक बड़े ट्रेनिंग सेंटर में बदल दिया गया. सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि यह परिसर 18 एकड़ में फैला है, जिसमें एक बड़ी मस्जिद, 600 से अधिक छात्रों के लिए मदरसा, स्विमिंग पूल, घोड़ों के लिए अस्तबल और एक जिमनैजियम शामिल हैं.
जैश-ए-मोहम्मद का इतिहास
24 दिसंबर 1999 को हरकत-उल-मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस की एक फ्लाइट को हाईजैक कर लिया था, जिसमें 190 यात्री और चालक दल के सदस्य थे. विमान को काठमांडू से दिल्ली लाया जा रहा था लेकिन उसे अमृतसर, लाहौर, दुबई होते हुए कंधार (तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान) ले जाया गया. भारत को तीन आतंकियों- मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक जरगर- को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.
कौन है मसूद अजहर?
1968 में जन्मे मसूद अजहर को 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी से पहले वह अफगानिस्तान के आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM) का सदस्य और एक मौलवी था. रिहाई के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की स्थापना की. यह संगठन कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा वाले देवबंदी स्कूल से प्रेरित है. JeM ने अन्य सक्रिय आतंकी संगठनों के साथ मिलकर 2000 के बाद भारत में कई हमले किए, जिनमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा और भारतीय संसद पर हमले शामिल हैं.
जैश-ए-मोहम्मद की शुरुआत 31 जनवरी 2000 को कराची में हुई थी. आतंकवादी गतिविधियों को शुरू करने से पहले अजहर अफगानिस्तान गया था, जहां उसने अल-कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी.
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इस संगठन को ISI से न सिर्फ बुनियादी ढांचे में मदद मिली, बल्कि फंडिंग और विदेशी दौरे कराने में भी सहयोग मिला. JeM के पहले कुछ सदस्य हरकत-उल-मुजाहिदीन के कैडर से ही आए थे. बहावलपुर स्थित मुख्यालय का इस्तेमाल मुख्य रूप से भर्ती, फंड जुटाने और ब्रेनवॉश करने के लिए होता है, जबकि आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप खैबर पख्तूनख्वा और पीओके में स्थित हैं.
JeM के प्रमुख हमले:
अप्रैल 2000: श्रीनगर के बडामी बाग में पहला आत्मघाती हमला, चार सैनिक शहीद
अक्टूबर 2001: जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमला, 30 से ज्यादा लोगों की मौत
दिसंबर 2001: संसद पर हमला, 14 लोगों की मौत
जनवरी 2016: पठानकोट एयरबेस हमला, 3 सुरक्षाकर्मी शहीद
सितंबर 2016: उरी हमला, 19 भारतीय सैनिक शहीद
फरवरी 2019: पुलवामा हमला, 40 CRPF जवान शहीद
2024-25: पहलगाम हमले में JeM की सहायक इकाई शामिल
JeM के लीडर
मसूद अजहर: संस्थापक, 2019 में UN द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित
अब्दुल रऊफ अजहर: मसूद अजहर का भाई और आतंकी संगठन में अहम भूमिका
शाह नवाज खान (सज्जिद जिहादी) और मौलाना मुफ्ती मोहम्मद: संगठन के अन्य प्रमुख नेता, जो 300 से अधिक आतंकियों को ट्रेनिंग देते हैं.