पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ. एक सुसाइड बॉम्बर ने अदालत के बाहर धमाका किया, जिसमें 12 लोग मारे गए और 27 घायल हो गए. यह हमला 10 साल में इस्लामाबाद का पहला ऐसा सिविलियन अटैक है. पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने इसे युद्ध का ऐलान बताया और अफगानिस्तान पर दोष मढ़ा.
जब पत्रकार ने बताया कि पाकिस्तानी तालिबान (TTP) ने जिम्मेदारी ली है, तो वे हैरान रह गए. अब दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ गया है कि फुल-फ्लेज्ड युद्ध की आशंका हो रही है. कौन करेगा पहला हमला? विशेषज्ञ कहते हैं, पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान पर हमला कर सकती है, लेकिन तालिबान भी जवाबी कार्रवाई में पीछे नहीं हटेंगे.
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इस्लामाबाद की अदालत के बाहर धमाका TTP ने अंजाम दिया, क्योंकि पाकिस्तान ने उनके साथियों को मार गिराया. TTP अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं, इसलिए पाकिस्तान तालिबान सरकार को दोष दे रहा है. डिफेंस मिनिस्टर आसिफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद पर हमला करके युद्ध की आग भड़का दी है. लेकिन जब उन्हें TTP की क्लेमिंग बताई गई, तो वे बोले, "क्या सच में?" यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां लोग पाकिस्तान की खुफिया नाकामी पर सवाल उठा रहे हैं.

अक्टूबर 2025 से ही सीमा पर गोलीबारी बढ़ गई थी. 19 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच दो हफ्ते का संघर्ष हुआ, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए. एक संक्षिप्त सीजफायर हुआ, लेकिन अब वह टूट चुका है. पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान में TTP के 6000 से ज्यादा लड़ाके छिपे हैं, जो पाकिस्तान पर हमले करते हैं.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच दुर्गम दर्रे (डूरंड लाइन) हमेशा से विवाद का कारण रहा है. पाकिस्तान इसे अपनी सीमा मानता है, लेकिन अफगानिस्तान कहता है कि यह गलत तरीके से खींची गई है. 1980 के दशक से पाकिस्तान ने अफगान रिफ्यूजीज को शरण दी, लेकिन तालिबान को भी समर्थन दिया. अब तालिबान सत्ता में हैं, लेकिन TTP जैसे ग्रुप पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहे हैं.
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विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की 'स्ट्रैटेजिक डेप्थ' पॉलिसी उल्टी पड़ गई है. पहले पाकिस्तान अफगानिस्तान को भारत के खिलाफ बफर जोन बनाना चाहता था, लेकिन अब TTP की वजह से खुद फंस गया है. हाल ही में भारत और तालिबान के करीब आने से पाकिस्तान और चिढ़ा है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अब भारत को इस विवाद में घसीट रहा है.

पाकिस्तान की सेना मजबूत है. वे अफगानिस्तान के बॉर्डर पर एयर स्ट्राइक्स कर सकती है, जैसे 2017 में की थीं. लेकिन तालिबान के पास गोरिल्ला वारफेयर का तजुर्बा है. वे सीमा पार छापेमारी करेंगे. पहला हमला पाकिस्तान ही करेगा, क्योंकि घरेलू दबाव ज्यादा है.
जियोपॉलिटिकल मॉनिटर के अनुसार यह 'स्ट्रैटेजिक डेडलॉक' है. दोनों देश कमजोर अर्थव्यवस्था वाले हैं- पाकिस्तान का कर्ज 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा, अफगानिस्तान भुखमरी से जूझ रहा है. युद्ध से दोनों तबाह हो जाएंगे. सोशल मीडिया पर यूजर्स कह रहे हैं कि पाकिस्तान दो फ्रंट वॉर लड़ रहा है- अंदर TTP, बाहर अफगानिस्तान. खूनी युद्ध जल्द आएगा.
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ईरान ने कहा है कि वह दोनों देशों के बीच शांति के लिए मदद करेगा. विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने 9 नवंबर को कहा कि हम तनाव कम करने के लिए तैयार हैं. अमेरिका और चीन चुप हैं, लेकिन भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि आतंकवाद को सपोर्ट न करे. संयुक्त राष्ट्र ने अपील की है कि बातचीत से हल निकाला जाए.

अगर युद्ध हुआ, तो लाखों लोग मरेंगे. अफगानिस्तान पहले ही तालिबान के कारण बर्बाद है, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी. विशेषज्ञ कहते हैं, दोनों को TTP जैसे ग्रुप्स पर साथ काम करना चाहिए. फिलहाल पाकिस्तान ने बॉर्डर पर सैनिक बढ़ा दिए हैं. दुनिया देख रही है कि यह 'ग्रेट गेम' का नया चैप्टर कैसे खत्म होगा.