भारतीय नौसेना के MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टरों के लिए 7995 करोड़ की मेगा डील
भारतीय नौसेना के 24 MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टरों के लिए अमेरिका से 7995 करोड़ का समझौता हुआ है. अगले 5 साल तक स्पेयर पार्ट्स, ट्रेनिंग और मरम्मत की पूरी सुविधा मिलेगी. भारत में ही नई रिपेयर फैसिलिटी बनेगी. निर्भरता कम, आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. पनडुब्बी रोधी ताकत और मजबूत होगी.
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ये है अमेरिका का MH60R रोमियो हेलिकॉप्टर जो भारतीय नौसेना के पास है. (File Photo: US Navy)
रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका सरकार के साथ दो बड़े Letters of Offer & Acceptance (LOA) पर हस्ताक्षर किए. कुल कीमत करीब 7,995 करोड़ रुपये (लगभग 950 मिलियन डॉलर). यह पैसा भारतीय नौसेना के 24 MH-60R सीहॉक रोमियो हेलीकॉप्टरों को अगले 5 साल (2025-2030) तक पूरी तरह तैयार और ऑपरेशनल रखने में लगेगा. समझौता रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में हुआ.
स्पेयर पार्ट्स और सपोर्ट इक्विपमेंट – हर छोटा-बड़ा पुर्जा.
ट्रेनिंग – पायलट, मेंटेनेंस स्टाफ और इंजीनियरों की लगातार ट्रेनिंग.
तकनीकी मदद – अमेरिकी एक्सपर्ट की टीम भारत में रहेगी.
भारत में मरम्मत सुविधाएं
कोच्चि और गोवा में इंटरमीडिएट लेवल रिपेयर फैसिलिटी बनेगी.
Periodic Maintenance Inspection (PMI) का पूरा सेटअप भारत में ही.
लॉजिस्टिक्स सपोर्ट – जहाजों पर और दूर-दराज़ के एयर बेस पर भी तुरंत सप्लाई.
आत्मनिर्भर भारत की बड़ी जीत
पहले हर छोटी-मोटी मरम्मत के लिए हेलीकॉप्टर या पार्ट्स अमेरिका भेजने पड़ते थे – महीनों लग जाते थे. अब भारत में ही ये सारी सुविधाएं बनेंगी.
भारतीय MSME और प्राइवेट कंपनियां सैकड़ों पार्ट्स बनाएंगी.
नौसेना के जवान खुद मरम्मत करेंगे.
विदेशी निर्भरता बहुत कम हो जाएगी.
लंबे समय में करोड़ों डॉलर की बचत होगी.
नौसेना को क्या फायदा?
हेलीकॉप्टरों की उपलब्धता 90% से ऊपर रहेगी (अभी भी 85%+ है).
समुद्र में जहाजों से तुरंत ऑपरेशन.
चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों पर और मजबूत नजर.
किसी भी मौसम में मिशन पूरा करने की गारंटी.
यह समझौता अमेरिका के Foreign Military Sales (FMS) प्रोग्राम के तहत हुआ है. अब हमारे MH-60R रोमियो हेलीकॉप्टर दिन-रात तैयार रहेंगे – और वो भी मेक इन इंडिया के साथ.