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सूखने लगा PAK का गला! सैटेलाइट तस्वीरों में देखें चिनाब-झेलम नदियों का कितना बदल गया हाल

पिछले एक महीने में सैटेलाइट तस्वीरों और पानी के डेटा से साफ है कि भारत ने चिनाब और झेलम नदियों पर पानी के बहाव को नियंत्रित करना शुरू कर दिया है. डैम से फ्लशिंग और रिजर्वायर भरने की वजह से पाकिस्तान में पानी का बहाव ऊपर-नीचे हो रहा है. यह पाकिस्तान की खेती और पानी की सप्लाई को प्रभावित कर सकता है.

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ऊपर और नीचे की फोटो में पानी का फ्लो समझ में आ रहा है.
ऊपर और नीचे की फोटो में पानी का फ्लो समझ में आ रहा है.

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 65 साल पुरानी इंडस वाटर्स ट्रीटी (IWT) को निलंबित कर दिया था. अब एक महीने बाद, इसका पाकिस्तान पर क्या असर हुआ है, इसे समझने के लिए हमने नदी के पानी के बहाव और सैटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन किया. पिछले एक महीने में भारत ने चिनाब और झेलम नदियों पर अपने डैम से पानी की निकासी (फ्लशिंग) को नियमित कर दिया है. 

आइए आसान भाषा में समझते हैं कि इसका मतलब क्या है और पाकिस्तान पर इसका असर कैसे दिख रहा है...

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Indus Waters Treaty halt

डैम में पानी भरना और निकालना: क्या हो रहा है?

इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने पाया कि भारत के चिनाब और झेलम नदियों पर बने डैम में एक खास पैटर्न देखा गया है. पहले डैम को पूरी तरह से पानी से भरा जा रहा है, फिर अचानक सारा पानी निकाल दिया जाता है ताकि उसमें जमा गाद (सिल्ट) साफ हो सके. इससे डैम की पानी स्टोर करने की क्षमता बढ़ती है और बिजली बनाने वाली टर्बाइनों को भी फायदा होता है.

सैटेलाइट तस्वीरों और पानी के बहाव के डेटा से पता चला कि चिनाब नदी पर भारत का आखिरी डैम, बगलिहार डैम और पाकिस्तान का पहला डैम, मराला डैम, इस बदलाव को दिखा रहे हैं. मराला डैम पर पानी का बहाव (आउटफ्लो) इस तरह बदला... 

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Indus Waters Treaty halt

  • जब संधि रद्द हुई, तब बहाव 14,800 क्यूसेक (पानी की मात्रा प्रति सेकंड) था.
  • 2 मई को यह घटकर 8,087 क्यूसेक हो गया.
  • 3 मई को अचानक बढ़कर 55,148 क्यूसेक हो गया.
  • 6 मई तक यह फिर से बहुत कम होकर 3,761 क्यूसेक रह गया.
  • 9 मई को यह 18,331 क्यूसेक तक पहुंचा, फिर 16 मई को 3,470 क्यूसेक तक गिर गया. 20 मई को 20,648 क्यूसेक तक बढ़ गया.

सैटेलाइट तस्वीरों में बगलिहार डैम पर 1 मई को फ्लशिंग दिखी. पानी के साथ गाद निकलने से नदी का रंग बदल गया. इसके बाद 10 दिन तक डैम के गेट बंद रहे. फिर 11 मई को अचानक पानी छोड़ा गया. अगले हफ्ते भी ऐसा ही हुआ.

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झेलम नदी पर क्या दिखा?

झेलम नदी पर पाकिस्तान के मंगला डैम में पानी का स्तर बहुत ज्यादा नहीं बदला, लेकिन कुछ समय के लिए पानी का बहाव बढ़ा हुआ दिखा. यह भारत के ऊपरी डैम से फ्लशिंग की वजह से हो सकता है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि झेलम की सहायक नदी पर बने किशनगंगा डैम के गेट 29 अप्रैल को पूरी तरह खुले थे. अगले हफ्ते तक सिर्फ एक गेट खुला रहा, और 21 मई को यह पूरी तरह बंद कर दिया गया. किशनगंगा एक रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट है, जिसका मतलब है कि यह ज्यादा पानी स्टोर नहीं कर सकता. इसका रिजर्वायर सिर्फ 18.8 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रख सकता है.

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इंडस नदी पर कोई बदलाव नहीं

इंडस नदी पर अभी कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा, क्योंकि भारत के पास इस नदी पर कोई बड़ा स्टोरेज डैम नहीं है.

पाकिस्तान को क्या नुकसान?

पहले, जब IWT लागू था, तब पाकिस्तान इस फ्लशिंग का विरोध करता था. फ्लशिंग से पानी के साथ गाद नीचे जाती है, जो पाकिस्तान की नहरों को ब्लॉक कर सकती है. वहीं, जब डैम के गेट बंद करके रिजर्वायर भरा जाता है, तो कुछ समय के लिए पाकिस्तान में पानी का बहाव कम हो जाता है. इससे उसकी खेती और पानी की सप्लाई पर असर पड़ सकता है.

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भारत की लंबी योजना

भारत अब इन नदियों का ज्यादा से ज्यादा पानी इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है. इसके लिए चार नए पावर प्लांट बनाने का प्रस्ताव है, जिनके रिजर्वायर से पानी का उपयोग बढ़ेगा। इसके अलावा...

  • झेलम नदी पर तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की बात है.
  • वुलर झील और झेलम नदी को बाढ़ नियंत्रण के लिए बेहतर बनाया जाएगा.
  • जम्मू क्षेत्र में रणबीर और प्रताप नहरों का बेहतर इस्तेमाल होगा.
  • लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट्स से पानी का उपयोग बढ़ेगा.

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने भारत को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह IWT को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत करना चाहता है. लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक यह संधि रद्द ही रहेगी.

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