पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. इस बीच भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान में खौफ का माहौल पैदा कर दिया है. पाकिस्तानी मीडिया और जनता में राफेल की ताकत को लेकर चर्चाएं तेज हैं.
लोग गूगल पर भारत की सैन्य शक्ति, राफेल की मारक क्षमता और युद्ध की संभावनाओं को सर्च कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना के जनरल और मीडिया द्वारा फैलाई जा रही अफवाहें इस डर को और बढ़ा रही हैं.
पहलगाम हमले ने बढ़ाया तनाव
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया. पूर्व पाकिस्तानी सैनिक आदिल राजा ने दावा किया कि यह हमला पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के इशारे पर हुआ, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को और नुकसान पहुंचा.
भारत ने जवाब में कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, भारतीय हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद करना और अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजना शामिल है. इन कदमों ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया. भारतीय सेना को आतंकवादियों के खिलाफ पूर्ण स्वतंत्रता दे दी गई.
राफेल का खौफ: पाकिस्तानी मीडिया और जनता में हड़कंप
पाकिस्तानी मीडिया ने हाल ही में दावा किया कि भारतीय वायुसेना के चार राफेल लड़ाकू विमान नियंत्रण रेखा (LoC) के पार कश्मीर क्षेत्र में रातभर गश्त करते देखे गए. पीटीवी न्यूज और रेडियो पाकिस्तान ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से कहा कि पाकिस्तानी वायुसेना ने इन विमानों का पीछा किया, जिसके बाद वे वापस लौट गए. हालांकि, भारत ने इन दावों को "मनगढ़ंत" और "काल्पनिक" बताकर खारिज कर दिया.
पाकिस्तानी सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने 29 अप्रैल की रात 2 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि खुफिया जानकारी के आधार पर भारत अगले 24-36 घंटों में हमला कर सकता है. इस बयान ने पाकिस्तान में डर का माहौल पैदा कर दिया. सोशल मीडिया पर #MunirOut जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे.
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अफवाहें उड़ीं कि जनरल असीम मुनीर अपने परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गए. या रावलपिंडी में एक बंकर में छिपे हैं. हालांकि, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए मुनीर की तस्वीरें जारी कीं, लेकिन उनकी प्रामाणिकता पर सवाल उठे.
पाकिस्तानी जनता गूगल पर "भारत के पास कितने राफेल हैं", "राफेल मिसाइल की ताकत" और "भारत-पाकिस्तान युद्ध में कौन जीतेगा" जैसे सवाल सर्च कर रही है. यह दर्शाता है कि राफेल की ताकत और भारत की सैन्य तैयारियों ने पाकिस्तान में घबराहट पैदा कर दी है.
राफेल-एम डील: पाकिस्तान के लिए नया खतरा
28 अप्रैल 2025 को भारत और फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-एम (मरीन) लड़ाकू विमानों की 63,000 करोड़ रुपये की डील पर हस्ताक्षर किए। इनमें 22 सिंगल-सीट और 4 ट्विन-सीट विमान शामिल हैं, जो INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य विमानवाहक पोतों पर तैनात होंगे. इस डील में रखरखाव, लॉजिस्टिक सपोर्ट, और नौसैनिकों की ट्रेनिंग भी शामिल है.
राफेल-एम की तैनाती से भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को तबाह कर दिया था. अब राफेल-एम के साथ यह ताकत और बढ़ जाएगी. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान की आक्रामकता का जवाब देने में महत्वपूर्ण होगी.
राफेल की विशेषताएं: क्यों है इतना खतरनाक?
राफेल एक 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो अपनी उन्नत तकनीक और मारक क्षमता के लिए जाना जाता है. इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं ...
गति और रेंज: राफेल-एम की गति 2202 किमी/घंटा है, जो पाकिस्तान के JF-17 (1910 किमी/घंटा) और J-10 CE (2100 किमी/घंटा) से अधिक है. इसकी रेंज 3700 किमी है जो इसे लंबी दूरी के मिशनों के लिए उपयुक्त बनाती है.
हथियार: इसमें 30 एमएम ऑटोकैनन गन, 14 हार्डपॉइंट्स और मेट्योर (300 किमी रेंज) व SCALP मिसाइलें हैं. यह हवा से हवा, हवा से जमीन और जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस है.
AESA रडार: इसका एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार लंबी दूरी तक लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है.
स्टील्थ और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: स्पेक्ट्रा सिस्टम इसे स्टेल्थ बनाता है. यह हवा में रीफ्यूलिंग के जरिए अपनी रेंज बढ़ा सकता है.
नौसैनिक क्षमता: राफेल-एम विमानवाहक पोतों से संचालित होने के लिए डिजाइन किया गया है, जो इसे समुद्री युद्ध में खतरनाक बनाता है.
पाकिस्तान के पास ज्यादातर चीनी मूल के फाइटर जेट (JF-17, J-10) और पुराने F-16 हैं, जो राफेल की तुलना में कमजोर हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान का HQ-9 वायु रक्षा सिस्टम भारत की S-400 प्रणाली और ब्रह्मोस मिसाइलों के सामने अप्रभावी साबित हुआ है.
पाकिस्तानी जनरल और अफवाहों का खेल
पाकिस्तानी सेना और मीडिया द्वारा राफेल को लेकर अफवाहें फैलाने का मकसद जनता में डर पैदा करना और भारत के खिलाफ प्रचार करना है. उदाहरण के लिए...
राफेल की गश्त की अफवाह: पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि राफेल ने PoK में घुसकर रेकी की, लेकिन भारत ने इसे खारिज किया. यह दावा जनता में डर फैलाने और PAK वायुसेना की ताकत दिखाने की कोशिश थी.
जनरल मुनीर की अफवाहें: सोशल मीडिया पर दावे किए गए कि जनरल असीम मुनीर डर के मारे देश छोड़कर भाग गए. ये अफवाहें #MunirOut हैशटैग के साथ ट्रेंड कीं, जिससे पाकिस्तानी सेना की विश्वसनीयता पर सवाल उठे.
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आतंकवाद के आरोप: पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत पर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. हालांकि, भारतीय रक्षा सूत्रों ने दावा किया कि पाकिस्तान में हिंसा का कारण सेना के भीतर असंतोष है.
ये अफवाहें और प्रचार पाकिस्तान की कमजोर स्थिति को छिपाने की कोशिश हैं. संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थाई प्रतिनिधि योजना पटेल ने ख्वाजा आसिफ के एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को समर्थन और फंडिंग देने की बात स्वीकारी है, जिससे उसकी वैश्विक छवि और खराब हुई है.
पाकिस्तान की कमजोरियां
पाकिस्तान का डर केवल राफेल तक सीमित नहीं है। उसकी कई कमजोरियां इसे भारत के सामने कमजोर बनाती हैं...
सैन्य असंतुलन: भारत के पास 62 राफेल, सुखोई-30 MKI, और S-400 जैसी उन्नत प्रणालियां हैं, जबकि पाकिस्तान के पास पुराने F-16 और चीनी JF-17 हैं.
आर्थिक संकट: 24% मुद्रास्फीति और खाद्य संकट के बीच पाकिस्तान युद्ध को लंबे समय तक नहीं झेल सकता.
कूटनीतिक अलगाव: चीन और तुर्की से सीमित समर्थन मिला लेकिन ईरान, सऊदी अरब और अमेरिका ने तटस्थ रुख अपनाया.
आतंकवाद का बोझ: पहलगाम हमले ने पाकिस्तान की आतंकवाद-प्रायोजित नीतियों को फिर से उजागर किया, जिससे उसकी विश्वसनीयता घटी.
भारत की रणनीति और भविष्य
भारत ने राफेल-एम डील के साथ अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाने का स्पष्ट संदेश दिया है. INS विक्रांत को अरब सागर में तैनात करना और राफेल की तैनाती पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और कराची के लिए खतरा है. भारत ने फ्रांस से राफेल के सोर्स कोड भी मांगे हैं, ताकि स्वदेशी रडार, एवियोनिक्स और मिसाइलों को एकीकृत किया जा सके. यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवादियों को कहीं भी छिपे होने पर ढूंढकर सजा दी जाएगी. भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, जिससे संकेत मिलता है कि भारत जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है.