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अब देश में ही तैयार होगा फाइटर पायलट का 'रक्षक', DRDO ने कर दिखाया कमाल

DRDO ने चंडीगढ़ में तेजस विमान की इमरजेंसी इजेक्शन सीट का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया. कैनोपी का टूटना. सीट निकलना और पैराशूट से सुरक्षित उतरना सब सही रहा. भारत अब कुछ चुनिंदा देशों में शामिल, जिनके पास यह उन्नत तकनीक है. रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भरता की बड़ी सफलता बताया.

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तेजस फाइटर जेट के अगले हिस्से से अपने-आप निकलती सीट और डमी पायलट. (Photo: X/DRDO)
तेजस फाइटर जेट के अगले हिस्से से अपने-आप निकलती सीट और डमी पायलट. (Photo: X/DRDO)

भारत ने एक और आत्मनिर्भरता का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लड़ाकू विमान के लिए बनाई गई 'इजेक्शन सीट' यानी पायलट की जान बचाने वाली इमरजेंसी निकासी प्रणाली का बहुत तेज गति वाला रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. अब भारत को विदेशी कंपनियों से महंगी इजेक्शन सीट खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

इस टेस्ट का Video यहां नीचे देखिए...

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क्या हुआ इस टेस्ट में?

  • चंडीगढ़ के टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (TBRL) में बनी रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड सुविधा पर यह परीक्षण किया गया.  
  • तेजस (LCA) विमान के आगे के हिस्से को दो रॉकेट स्लेड पर रखा गया.  
  • कई ठोस ईंधन वाले रॉकेट मोटर्स को एक-एक करके जलाया गया, जिससे स्लेड बहुत सटीक और नियंत्रित तेज गति तक पहुंचा.  
  • विमान का कॉकपिट कैनोपी (ऊपर का शीशा) सही तरीके से टूटा.  
  • इजेक्शन सीट ने सही समय पर पायलट डमी को बाहर फेंका.  
  • पैराशूट खुला और डमी सुरक्षित जमीन पर उतरा.

पूरी प्रक्रिया में जो जोर, दबाव और तेजी पायलट पर पड़ती है. वह सब एक खास डमी पर रिकॉर्ड किया गया. हाई-स्पीड कैमरों से हर सेकंड का वीडियो लिया गया.

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यह टेस्ट क्यों बहुत खास है?

दुनिया में सिर्फ कुछ ही देश (अमेरिका, रूस, फ्रांस) अपने यहां इतनी तेज गति वाला डायनामिक इजेक्शन टेस्ट कर सकते हैं. अब भारत भी इस चुनिंदा क्लब में शामिल हो गया है.  यह टेस्ट स्थिर टेस्टों (जैसे नेट टेस्ट या जीरो-जीरो टेस्ट) से कहीं ज्यादा मुश्किल और सटीक होता है. असली उड़ान की स्थिति में पायलट की जान बचाने की पूरी गारंटी यही टेस्ट देता है.

DRDO Seat Ejection Seat Test

कौन-कौन शामिल था?

  • DRDO की टीम  
  • एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA)  
  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)  
  • भारतीय वायुसेना (IAF) के अधिकारी  
  • इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के विशेषज्ञ

रक्षा मंत्री और DRDO चेयरमैन ने दी बधाई

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता के लिए बहुत बड़ा मील का पत्थर है. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मजबूत कदम. DRDO, वायुसेना, ADA, HAL और उद्योग को बधाई.

DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत ने भी पूरी टीम को शाबासी दी और कहा कि यह तेजस और आने वाले AMCA जैसे लड़ाकू विमानों के लिए बहुत जरूरी सफलता है.

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इसका मतलब क्या है?

अब भारत को विदेशी कंपनियों से महंगी इजेक्शन सीट खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. तेजस मार्क-1A, मार्क-2 और भविष्य के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पूरी तरह स्वदेशी इजेक्शन सिस्टम के साथ उड़ेंगे.
पायलटों की सुरक्षा और मजबूत होगी.

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