भारतीय सेना अपनी तोपखाने की ताकत को और मजबूत करने के लिए तेजी से काम कर रही है. इस दिशा में एक बड़ा कदम है एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), जो पूरी तरह स्वदेशी है. यह आधुनिक तोप 155 मिमी/52 कैलिबर की है. इसे फरवरी 2027 तक सेना में शामिल करने की योजना है.
DRDO ने इसे भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के साथ मिलकर बनाया है. मार्च 2025 में रक्षा मंत्रालय ने 307 ATAGS और 327 हाई-मोबिलिटी 6x6 गन टोइंग वाहनों के लिए 6,900 करोड़ रुपये का सौदा किया. आइए, ATAGS की विशेषताओं, भारतीय तोपखाने की स्थिति और इसकी अहमियत को समझते हैं.
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ATAGS क्या है?
ATAGS एक आधुनिक 155 मिमी/52 कैलिबर की टोड (खींचकर ले जाई जाने वाली) तोप है, जिसे भारतीय सेना के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसे DRDO की पुणे स्थित प्रयोगशाला आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) ने बनाया है, जिसमें भारत फोर्ज (कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स) और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स प्रमुख भागीदार हैं.

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2013 में हुई थी, जिसका मकसद सेना की पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी तोपों को बदलना है. ATAGS को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित किया गया है, जिसमें 65% से ज्यादा हिस्से स्वदेशी हैं.
ATAGS की प्रमुख विशेषताएं
ATAGS अपनी उन्नत तकनीक और लंबी मारक क्षमता के लिए जाना जाता है. इसकी खासियतें इस प्रकार हैं...
मारक क्षमता
तेज फायरिंग

ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव
पारंपरिक हाइड्रोलिक सिस्टम की जगह ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव का इस्तेमाल, जो रखरखाव को कम करता है. विश्वसनीयता बढ़ाता है.
स्वचालित सिस्टम
वजन और गतिशीलता
18 टन (कुछ हल्के मॉडल पर काम चल रहा है). इसे 6x6 हाई-मोबिलिटी वाहनों से खींचा जा सकता है, जो रेगिस्तान और पहाड़ी इलाकों में आसानी से चलते हैं.
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वातावरण में अनुकूलता
रेगिस्तान (पोखरण) से लेकर ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों (सिक्किम, लद्दाख) तक हर जगह काम करने की क्षमता.

स्वदेशी हिस्से
65% से ज्यादा हिस्से, जैसे बैरल, मझल ब्रेक, ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम और गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म भारत में बने हैं.
लंबी दूरी के गोले
यह भविष्य में लॉन्ग रेंज गाइडेड म्यूनिशन्स (LRGM) को प्रोग्राम और फायर करने में सक्षम है, जो सटीक और गहरे हमले की क्षमता देता है.
माउंटेड गन सिस्टम (MGS)
ATAGS का एक ट्रक-माउंटेड वेरिएंट भी है, जो 8x8 हाई-मोबिलिटी वाहन (BEML) पर आधारित है. इसका वजन 30 टन है. यह ‘शूट-एंड-स्कूट’ (फायर करके तुरंत हटने) की क्षमता रखता है.
ATAGS का विकास और परीक्षण
शुरुआत: प्रोजेक्ट 2013 में शुरू हुआ.

परीक्षण
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307 ATAGS का ऑर्डर और डील

भारतीय सेना का तोपखाना: वर्तमान स्थिति और संख्या
भारतीय सेना का फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान (FARP) 1999 में शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य 2027 तक 2800-3600 आधुनिक 155 मिमी तोपों को शामिल करना था. इसे अब 2040 तक बढ़ाया गया है. इस योजना में शामिल हैं...
टोड गन सिस्टम (TGS): 1,580 यूनिट्स
ATAGS: 307 यूनिट्स का ऑर्डर, भविष्य में 1200 और की योजना.
माउंटेड गन सिस्टम (MGS): 814 यूनिट्स
ATAGS का 8x8 ट्रक-माउंटेड वेरिएंट, जिसके ट्रायल 2026 तक पूरे होंगे.
सेल्फ-प्रोपेल्ड गन (ट्रैक्ड): 100 यूनिट्स
K9 वज्र-T: 100 यूनिट्स शामिल, 200 और का ऑर्डर.
सेल्फ-प्रोपेल्ड गन (व्हील्ड): 180 यूनिट्स
2025-2027 तक खरीद की योजना.
अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर: 145 यूनिट्स
M777: अमेरिका से 145 यूनिट्स खरीदे गए.

रॉकेट सिस्टम
पिनाका: 4 रेजिमेंट्स शामिल, 6 और ऑर्डर पर. रेंज 38 किमी, भविष्य में 120 किमी तक.
स्मर्च: 3 रेजिमेंट्स, रेंज 90 किमी.
ग्रैड: 5 रेजिमेंट्स.
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम: शामिल.
वर्तमान स्थिति
ATAGS की अहमियत
आत्मनिर्भर भारत: ATAGS 65% से ज्यादा स्वदेशी है, जो भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है.
निजी क्षेत्र (भारत फोर्ज, टाटा) और DRDO की साझेदारी ‘मेक इन इंडिया’ का उदाहरण है.
आर्मेनिया को निर्यात ने ATAGS की वैश्विक मांग को दिखाया.
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सीमा पर ताकत
48 किमी की रेंज और सटीक निशाना इसे चीन और पाकिस्तान सीमा पर प्रभावी बनाता है.
गलवान संघर्ष (2020) के बाद सेना ने LAC पर तैनाती बढ़ाई है. ATAGS इसमें बड़ा योगदान देगा.
आधुनिक तकनीक
ऑटोमेशन, सटीकता और कम रखरखाव इसे विश्व की सबसे उन्नत तोपों में शामिल करता है. यह पुरानी बोफोर्स 155 मिमी/39 कैलिबर तोपों को बदल देगा.
चुनौतियां और भविष्य