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मिग-21 से फायर की गईं K-13 मिसाइलें, तबाह हो गया पाकिस्तानी मिराज... कहानियां मिग-21 के Big Kill की

बात 1971 के भारत-पाकिस्तान जंग की है. कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तान का युद्धक विमान पाकिस्तानी मिराज III EP उड़ रहा था. इसके निशाने पर भारत के कई टारगेट थे. इस पाकिस्तानी जेट का सामना स्क्वाड्रन लीडर सिंधघट्टा सुब्बारामू से हुआ जो उस दिन मिग-21FL उड़ा रहे थे. पलक झपकते ही उन्होंने अपनी दोनों K-13 मिसाइलें उस मिराज पर दाग दीं, कुछ ही सेकेंड में ये पाकिस्तानी मिराज उनके रडार से गायब हो गया.

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1971 के जंग में मिग-21 विमानों ने जंग का संतुलन भारत के पक्ष में कर दिया.  (File Photo: Getty)
1971 के जंग में मिग-21 विमानों ने जंग का संतुलन भारत के पक्ष में कर दिया. (File Photo: Getty)

मिग फाइटर विमानों का शौर्य भारत के आसमान में वीरता की गाथा है. मिग विमानों ने भारतीय वायुसेना के लिए कई दशकों तक रीढ़ की हड्डी की तरह काम किया और दुश्मनों पर अपनी श्रेष्ठता साबित की. ज्यादा दिन नहीं गुजरे जब 2019 में भारत-पाकिस्तान की टक्कर में एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तानी F-16 का पीछा किया था और उसे मार गिराया था. 

अब 19 सितंबर 2025 को अपनी 62 साल की शानदार सेवा के बाद भारतीय वायुसेना मिग-21 को औपचारिक रूप से रिटायर करने जा रही है. 
भले ही आज इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ या ‘उड़ता ताबूत’ के बदनाम तमगे से जाना जाता हो लेकिन मिग-21 की गाथा सिर्फ हादसों की नहीं बल्कि जंग में दुश्मन के विमान गिराने के किस्सों की भी है. 

मिग की शुरुआत और शौर्य का सफर

मिग-21 सोवियत संघ की कंपनी मिकोयान-गुरेविच (Mikoyan-Gurevich) द्वारा डिजाइन किया गया पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था. भारत ने 1961 में इसे चुना और 1963 में इसे वायुसेना में शामिल किया गया. यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था जो 2,230किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ सकता था.

अपनी गति और हल्की बनावट के कारण यह जेट दुश्मनों के लिए खौफ का पर्याय बन गया. 

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1965 की लड़ाई

1965 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में मिग-21 ने सीमित लेकिन प्रभावी भूमिका निभाई. इसकी तेज गति ने पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों को चौंका दिया. यह पहली बार था जब भारत की ओर से मिग-21 जंग में उतरा था. इसके हल्के, फुर्तीले और आधुनिक डिजाइन ने 60 के दशक में ही हिंदुस्तान को युद्धक विमान क्षेत्र में तकनीकी बढ़त दिला दी. 

1971 की जंग और मिग-21 के शिकार

मिग-21 के लिए आसमान में शौर्य दिखाने का असली मौका 6 साल बाद 1971 के भारत-पाकिस्तान जंग में आया. इस जंग में F-86 सेबर और F-104 स्टारफाइटर पाकिस्तान के जंगी बेडे के नामी लड़ाकू जहाज थे. लेकिन मिग-21 ने इस दौरान पाकिस्तानी विमानों के छक्के छुड़ा दिए. मिग-21 की सटीक बमबारी ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों को नष्ट कर भारत को हवाई वर्चस्व दिलाया. 

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मिग-21 ने पाकिस्तान के 13 लड़ाकू विमानों को मार गिराया था. इस जंग ने मिग-21 की ख्याति हाई स्पीड इंटरसेप्टर के रूप की जो बड़े टारगेट को हिट करने में सक्षम था. इस जंग में पाकिस्तान चीनी फाइटर विमान F-6 का इस्तेमाल कर रहा था. मिग-21 ने इसे भी मार गिराया. 

पाकिस्तान 1971 की लड़ाई में थर्ड जेनेरेशन मिराज-3 फ्रेंच फाइटर जेट के दम पर डींगें हांक रहा था. डेल्टा विंग डिजाइन और बियॉन्ड विजुअल रेंज क्षमता की वजह से ये फाइटर जेट भारतीय सेना के लिए चुनौती पेश कर रहे थे. यहां 9 दिसंबर 1971 की एक लड़ाई का जिक्र जरूरी है. 

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पश्चिमी मोर्चे पर मिग-21FL का पहला हवाई शिकार युद्धक विमान पाकिस्तानी मिराज III EP था. 9 दिसंबर को स्क्वाड्रन लीडर सिंधघट्टा सुब्बारामू का सामना कश्मीर के पुंछ में एक अकेले दुश्मन मिराज से हुआ. वे उस दिन मिग-21FL उड़ा रहे थे. पलक झपकते ही उन्होंने अपनी दोनों K-13 मिसाइलें उस मिराज पर दाग दीं, कुछ ही सेकेंड में ये पाकिस्तानी मिराज उनके रडार से गायब हो गया. यानी कि हवा में परवाज कर रहा ये विमान मिग-21 से फायर की गई मिसाइलों की मार से जमींदोज हो चुका था. 

फर्स्ट पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार 13 दिसंबर को 47वें ब्लैक आर्चर्स के चार मिग-21 विमानों ने एक अत्यंत कठिन मिशन में सिंध के बादिन स्थित पाकिस्तानी रडार स्टेशन को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया. 

मिग विमानों से पाकिस्तानियों को सबसे ज्यादा चोट देने वालों में 29वीं स्कॉर्पियन्स के फ़्लाइट लेफ्टिनेंट समर बिक्रम शाह का नाम खास तौर पर लिया जाता है. समर बिक्रम शाह ने मिग-21 उड़ाते हुए राजस्थान के उत्तरलाई वायुसेना स्टेशन के ऊपर तीन पाकिस्तानी F-6A (मिग-19) इंटरसेप्टरों से भारतीय HF-24 मारुत विमानों की एक टुकड़ी का बचाव किया. 

एक शानदार कार्रवाई में शाह ने एक पाकिस्तानी वायुसेना के इंटरसेप्टर को आमने-सामने की लड़ाई में उलझाया और अपनी 23 मिमी तोप से उसे आकाश में मार गिराया. फिर उन्होंने अन्य दो का पीछा किया और उनमें से एक को K-13 मिसाइल से उड़ा दिया. शाह ने मिग-21 से युद्ध के अंत तक तीन शिकार किए. इनमें दो F-6A और एक F-104A स्टारफाइटर शामिल था. 

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करगिल की लड़ाई

1999 के करगिल युद्ध में भारत के सामने बर्फ से गिरे पहाड़ी की चोटी पर कब्जा जमाए दुश्मनों को निपटाने की चुनौती थी. इस दौरान मिग-21 ने टोही और सहायता मिशनों में हिस्सा लिया. इसने मिराज 2000, मिग-29 और जगुआर जैसे विमानों के साथ मिलकर हिमालय की कठिन परिस्थितियों में दुश्मन ठिकानों पर हमले किए. 

मिग-21 का गोल्डन मोमेंट बालाकोट स्ट्राइक की जंग

मिग-21 का गोल्डन मोमेंट तब आया जब 2019 में भारत के बालाकोट स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय वायुसीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की. 27 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के F-16 फाइटर जेट ने जम्मू-कश्मीर में भारत की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की. इस पाकिस्तानी विमान को चुनौती दी मिग-21 बाइसन को उड़ा रहे ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने. उन्होंने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तानी F-16 का पीछा किया और इस विमान को मार गिराया. 

हालांकि इस दौरान उनका विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस घटना ने मिग-21 की प्रासंगिकता को फिर से साबित किया भले ही इसे अपग्रेडेड बाइसन संस्करण से उड़ाया गया था. 

अपने 6 दशकों के लंबे उड़ान में मिग-21 ने न केवल दुश्मनों के हौसले पस्त किए बल्कि आसमान में भारतीय वायुसेना की धमक को दशकों तक बरकरार रखा. यह भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता, तकनीकी उन्नति और पायलटों के अदम्य साहस गवाह रहा.

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