भारत की सुरक्षा स्थिति तेजी से बदल रही है. अनिश्चितता, नई तकनीक और लंबे संकटों के दौर में सेना की ताकत सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि लंबे समय तक लड़ाई जारी रखने की क्षमता से तय होती है. गोला-बारूद, स्पेयर पार्ट्स और लॉजिस्टिक्स ही युद्ध की रीढ़ हैं. इसे समझते हुए भारतीय सेना ने गोला-बारूद के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को सबसे ऊपर रखा है.
पहले गोला-बारूद की सप्लाई पुरानी फैक्टरियों और विदेश से आयात पर निर्भर थी. वैश्विक संकट आने पर दिक्कत होती थी. हाल के युद्धों (जैसे यूक्रेन-रूस) ने साफ दिखाया कि जो देश खुद गोला-बारूद बना सकते हैं, वही लंबे समय तक लड़ाई लड़ पाते हैं. इसी को देखते हुए सेना ने मेक इन इंडिया के तहत तेजी से स्वदेशीकरण शुरू किया.
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भारतीय सेना के पास करीब 200 तरह के गोला-बारूद और सटीक एम्युनिशन हैं, जो अलग-अलग हथियारों में इस्तेमाल होते हैं. नीतिगत बदलाव और उद्योग के साथ मिलकर काम करने से अब इनमें से 90% से ज्यादा पूरी तरह स्वदेशी हो चुके हैं. ये अब देशी कंपनियों से ही खरीदे जा रहे हैं. बाकी बचे प्रकारों पर तेजी से काम चल रहा है – इसमें रिसर्च एजेंसियां, सरकारी फैक्टरियां और प्राइवेट कंपनियां साथ मिलकर काम कर रही हैं.

पिछले 4-5 सालों में खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया गया है...
अब कई तरह के गोला-बारूद कई कंपनियों से बन रहे हैं, जिससे सप्लाई कभी नहीं रुकेगी.
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अब इन उपलब्धियों को और मजबूत करने का समय है. मुख्य फोकस इन क्षेत्रों पर है...

लंबे युद्ध में गोला-बारूद सबसे पहले खत्म होता है. अगर आयात पर निर्भर रहें तो दुश्मन या वैश्विक संकट सप्लाई रोक सकते हैं. अब स्वदेशी उत्पादन से सेना बिना रुके लंबे समय तक लड़ सकती है. यह न सिर्फ सेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा को मजबूत बनाएगा. भारतीय सेना का यह कदम साफ संदेश देता है – हम किसी भी चुनौती के लिए तैयार हैं. आत्मनिर्भरता से हमारी युद्ध क्षमता अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और स्थिर है.