भारत की सुरक्षा एजेंसियां एक बार फिर अलर्ट साबित हुईं. पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने भारत में बड़ा बदला लेने की साजिश रची थी. लेकिन खुफिया एजेंसियों ने इसे समय रहते नाकाम कर दिया. इस साजिश में पढ़े-लिखे डॉक्टर, इंजीनियर और छात्र शामिल थे. अगर यह प्लान कामयाब हो जाता, तो भारत में कभी न देखी गई तबाही मच जाती.
यह कहानी शुरू होती है लाल किले के धमाके से. 10 लोगों की जान लेने वाले इस धमाके को जेईएम ने अंजाम दिया था. यह एक डॉक्टर उमर उन्नबी ने किया, जो आतंक की राह पर कदम रख चुका था. इंडिया टुडे को खुफिया सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान में जेईएम के सरगना भारत में अपने गुटों के बिखरने से बहुत परेशान थे. इंडियन मुजाहिदीन जैसे गुटों को तोड़ने के बाद वे गुस्से में थे.
उन्होंने भारत में स्थानीय आतंकियों को ट्रेनिंग देकर कई शहरों में एक साथ हमले करने की योजना बनाई. लाल किले का धमाका इसी का हिस्सा था. जांच शुरू हुई जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से. वहां जेईएम के पोस्टर मिले, जिनमें हमलों की धमकी दी गई थी. इससे कई संदिग्धों को पकड़ा गया. इनमें डॉक्टर मुजम्मिल शकील और डॉक्टर आदिल भी थे. उनके पास भारी मात्रा में विस्फोटक मिले.

जांच में पता चला कि जेईएम का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था. इसमें डॉक्टर, इंजीनियर और छात्र शामिल थे. ये लोग कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित हो चुके थे.इन्हें हमले करने की ट्रेनिंग दी गई थी. इस नेटवर्क का सरगना है सादिया अजहर. वह जेईएम की महिला विंग की प्रमुख है. सादिया महिलाओं को भर्ती करती थी. उन्हें कट्टर बनाती थी. ये लोग भारत में जेईएम की गतिविधियों को सपोर्ट करते थे.
यह प्लान इतना खतरनाक था कि अगर सफल होता, तो दुनिया भर में भारत की तबाही की खबरें फैल जातीं. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इसे रोक लिया. अब सवाल यह है कि भारत में आतंक का खतरा क्यों बढ़ रहा है?
पाकिस्तान से चलने वाले गुट जैसे जेईएम फिर से संगठित हो रहे हैं. पढ़े-लिखे लोग कट्टर होकर आतंक में शामिल हो रहे हैं. इसलिए एजेंसियों को और सतर्क रहना होगा.

अब बात गुजरात की. यहां एटीएस ने एक डॉक्टर मोहिउद्दीन अहमद सईद को पकड़ा. वह कोई छोटा मछली नहीं, बल्कि बड़ा मगरमच्छ था. मोहिउद्दीन ने कैस्टर ऑयल (अरंडी के बीज) से एक तरल पदार्थ बनाया था, जिसे रेजिन कहते हैं. यह सायनाइड से 600 गुना ज्यादा खतरनाक है. इसमें कोई गंध नहीं, कोई स्वाद नहीं. अगर इसे फल, सब्जी, मांस या मछली में इंजेक्ट करके हिंदू बहुल इलाकों में बेचा जाता, तो हजारों लोग मर जाते.
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गुजरात एटीएस के डिप्टी एसपी एसएल चौधरी को एक गुप्त सूचना मिली. सूचना थी कि देश में एक खतरनाक आतंकी गुट सक्रिय है. जांच से पता चला कि आंध्र प्रदेश का एक शख्स संदिग्ध है. 24 घंटे निगरानी करने पर डॉक्टर मोहिउद्दीन का नाम सामने आया. उसके ठिकाने पर नजर रखी गई. पता चला कि वह अफगानिस्तान से चलने वाले आईएसआईएस के आईएसकेजीपी गुट से जुड़ा था. उसका हैंडलर अबू खदीजा था.

सर्च में मोहिउद्दीन की कार से दो ग्लॉक पिस्टल, एक बेरेटा पिस्टल और 30 जिंदा कारतूस मिले. साथ ही 10 लीटर रसायन भी. पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह कैस्टर बीन्स से रेजिन बना रहा था. पूछताछ से दो और नाम निकले- आजाद सैफी और मोहम्मद सुहेल. इन्हें राजस्थान से गिरफ्तार किया गया.
ये लोग दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद में बड़े हमले की रेकी कर चुके थे. उनका प्लान बहुत सोचा-समझा था. जांच अभी चल रही है. और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
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यह घटना बताती है कि आतंकवाद अब नई शक्ल ले रहा है. पढ़े-लिखे लोग इसमें शामिल हो रहे हैं. रसायनों से हमले की साजिशें हो रही हैं. सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं, लेकिन आम जनता को भी जागरूक रहना चाहिए. गुप्त सूचनाओं और सख्त निगरानी से ही ऐसे प्लान रोके जा सकते हैं. भारत सरकार ने कहा है कि आतंक के खिलाफ जंग जारी रहेगी. जेईएम जैसे गुटों को सबक सिखाया जाएगा.