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जिस तालिबान को पाकिस्तान ने बनाया, उसी का जानी दुश्मन कैसे बन गया? जानिए सेना और हथियार किसके पास कितने

पाकिस्तान ने 1990 में ISI से तालिबान बनाया लेकिन 2001 के बाद TTP दुश्मन बन गया. TTP के 3-5 हजार लड़ाके अफगानिस्तान में छिपे हैं. जिन्होंने 2024 में 800+ हमले किए. पाकिस्तान के 1000 से ज्यादा जवान मारे. पाक सेना के पास 6.6 लाख सैनिक और 2627 टैंक, F-16 जेट, न्यूक्लियर वॉरहेड भी है. तालिबान के पास 1.72 लाख लड़ाके हैं. पुराने अमेरिकी हथियार है.

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तालिबानी सेना ने पाकिस्तान पर पिछले साल 800 से ज्यादा हमले किए. (File Photo: Getty)
तालिबानी सेना ने पाकिस्तान पर पिछले साल 800 से ज्यादा हमले किए. (File Photo: Getty)

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इस्लामाबाद में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के सुसाइड बॉम्बर ने अदालत पर हमला किया, जिसमें 12 लोग मारे गए. पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर आरोप लगाया कि वे TTP को शरण दे रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि 1990 के दशक में पाकिस्तान ने ही अफगान तालिबान को जन्म दिया था. अब वही तालिबान उनका दुश्मन बन गया है. क्यों? 

आइए समझते हैं इतिहास, कारण और दोनों पक्षों की सैन्य ताकत. ग्लोबल फायरपावर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान दुनिया की 12वीं सबसे मजबूत सेना वाली देश है, जबकि अफगानिस्तान (तालिबान) का नंबर 114 है.

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इतिहास: पाकिस्तान ने कैसे बनाया तालिबान को?

1990 के दशक में अफगानिस्तान में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था. सोवियत संघ के बाद देश टुकड़ों में बंट गया. पाकिस्तान को डर था कि अस्थिर अफगानिस्तान से उसके व्यापार मार्ग (जैसे कंधार-क्वेटा हाईवे) बंद हो जाएंगे. साथ ही, भारत का अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ रहा था. इसलिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने कदम उठाया. 

Taliban Pakistan TTP Enemy

ISI ने अफगान रिफ्यूजी कैम्पों के मदरसों (धार्मिक स्कूलों) से युवाओं को चुना. इन्हें हथियार, ट्रेनिंग और पैसा दिया गया. 1994 में 'तालिबान' (जिसका मतलब 'छात्र' होता है) नाम का ग्रुप बना. शुरुआत में सिर्फ 50 लड़ाके थे, लेकिन जल्दी ही वे काबुल पर कब्जा कर लिया.

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1996 तक तालिबान ने 90% अफगानिस्तान पर राज किया. पाकिस्तान को फायदा हुआ- एक 'दोस्त' सरकार बनी, जो भारत-विरोधी थी. ISI ने सालाना 3 करोड़ डॉलर से ज्यादा फंडिंग दी. लेकिन यह 'फ्रैंकेंस्टीन का राक्षस' साबित हुआ.

दुश्मन कैसे बने? 2001 के बाद की कहानी

2001 में अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद अफगानिस्तान पर हमला किया. तालिबान ने अल-कायदा को शरण दी थी, इसलिए वे सत्ता से बाहर हो गए. पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया- अमेरिकी सेना को रास्ता दिया, तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी. लेकिन पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में तालिबान समर्थक बचे रहे. इससे नाराजगी बढ़ी.

Taliban Pakistan TTP Enemy

2007 में TTP बना- पाकिस्तानी तालिबान का अलग गुट. TTP ने पाकिस्तान की सेना पर हमले शुरू किए, क्योंकि पाक ने तालिबान के खिलाफ ड्रोन स्ट्राइक्स कीं. TTP के पास 3000-5000 लड़ाके हैं, जो अफगानिस्तान में छिपते हैं. अफगान तालिबान ने 2021 में सत्ता हासिल की, लेकिन TTP को कंट्रोल नहीं कर पाए.

उल्टा, वे TTP को शरण देते हैं. 2024 में TTP ने पाकिस्तान में 800 से ज्यादा हमले किए, जिसमें 1,000 जवान मारे गए. पाकिस्तान का कहना है कि तालिबान ने वादा किया था कि वे TTP को रोकेंगे, लेकिन नहीं रोका. अब दुश्मनी इतनी गहरी है कि सीमा पर रोज गोलीबारी हो रही है.

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सैन्य ताकत की तुलना: पाकिस्तान vs तालिबान (अफगानिस्तान)

पाकिस्तान की सेना आधुनिक और बड़ी है, जबकि तालिबान की फौज ज्यादातर विद्रोही स्टाइल की है- हल्के हथियारों और छापामार युद्ध पर निर्भर. ग्लोबल फायरपावर 2025 के आंकड़ों से देखें...

Taliban Pakistan TTP Enemy

पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर हथियार (165-170) हैं, जबकि तालिबान के पास IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) और रॉकेट लॉन्चर हैं. तालिबान ने 2021 में अमेरिका से 61,000 वाहन और 2 लाख हथियार कैप्चर किए, लेकिन रखरखाव की कमी से ज्यादातर खराब हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि पाकिस्तान आसानी से जीत सकता है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में तालिबान का गोरिल्ला वारफेयर मुश्किल पैदा करेगा.

Taliban Pakistan TTP Enemy

विशेषज्ञों की राय: युद्ध से दोनों का नुकसान

विल्सन सेंटर के एक्सपर्ट डॉ. माइकल कुगलमैन कहते हैं कि पाकिस्तान ने तालिबान को 'स्ट्रैटेजिक डेप्थ' के लिए बनाया, लेकिन अब TTP ने उल्टा कर दिया. अफगान तालिबान TTP को पूरी तरह कंट्रोल नहीं कर पा रहा. 2025 में TTP के हमलों से पाकिस्तान को 5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. अगर फुल वॉर हुई, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (कर्ज 100 अरब डॉलर) चरमरा जाएगी. अफगानिस्तान पहले से भुखमरी से जूझ रहा है.

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आगे क्या? शांति की राह

ईरान मध्यस्थ बनने को तैयार है. भारत ने कहा है कि आतंकवाद किसी का हथियार नहीं. दोनों देशों को TTP पर साथ काम करना चाहिए. लेकिन फिलहाल, सीमा पर 50,000 पाकिस्तानी सैनिक तैनात हैं. तालिबान कहते हैं कि हम शांति चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान हमला करे तो जवाब देंगे. यह दुश्मनी कैसे खत्म होगी, दुनिया देख रही है.

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