ताइवान को लेकर चीन और जापान में तनाव का माहौल है. इसी बीच चीन के दुश्मन देश ताइवान की हवाई रक्षा को अमेरिका ने और मजबूत करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने बताया कि रेथियॉन कंपनी को करीब 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 58 हजार करोड़ रुपये) का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है.
यह पैसा NASAMS (नेशनल एडवांस्ड सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम) बनाने में लगेगा, जो ताइवान को दिया जाएगा. काम 28 फरवरी 2031 तक पूरा होना है.
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NASAMS मिसाइल सिस्टम के अब तक तीन वैरिएंट आ चुके हैं. जो सबसे नया वैरिएंट है वो NASAMS 3. इसे AMRAAM-ER भी बुलाया जाता है. यह अमेरिका के पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम जैसा ही ताकतवर है.
पहली जेनरेशन की NASAMS मिसाइल की रेंज सिर्फ 15 km थी. दूसरी जेनरेशन की 30 और तीसरे वैरिएंट की 50 km है. अमेरिका के NASAMS एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की मांग दुनिया के कई देशों में थी.
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अमेरिका ने उन्हें यह सिस्टम दिया भी है. जैसे- लिथुआनिया, ऑस्ट्रेलिया, चिली, इंडोनेशिया, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, स्पेन, ओमान आदि. भारत के साथ भी इस मिसाइल सिस्टम को लेकर डील हो सकती थी लेकिन बाद में भारतीय वायुसेना ने इससे इंकार कर दिया.

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डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद यह ताइवान को हथियार बेचने की पहली घोषणा है. पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने ताइवान को लड़ाकू विमानों के स्पेयर पार्ट्स के लिए डील मंजूर की थी.

चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और अमेरिका का ताइवान को हथियार देना उसे बिल्कुल पसंद नहीं. हर बार ऐसी डील पर चीन जोरदार विरोध करता है और धमकी देता है. लेकिन अमेरिका कहता है कि वह ताइवान की रक्षा में मदद करेगा ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे.
ताइवान के लोग और सेना इस नई सिस्टम से बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि अब हम और सुरक्षित महसूस करेंगे. आने वाले सालों में ताइवान की हवाई रक्षा दुनिया की सबसे मजबूत सिस्टम में से एक बन जाएगी.