Moninder Singh Pandher Exclusive: नोएडा के निठारी कांड से सुर्खियों में आए कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर इस मामले में पहले ही बरी हो चुके हैं. और हाल ही में उनका नौकर सुरेंद्र कोली भी अब बरी हो चुका है. ये वही कोली है, जिसे कभी 'नरभक्षी' तक बताया गया था. इस मामले को लेकर कई सवाल भी उठते रहे हैं. अब निठारी की कोठी नंबर डी-5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर ने आज तक से खास बातचीत की. इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पंढेर ने जांच पर सवाल उठाने के साथ-साथ कई सवालों के जवाब दिए. पेश है उसी इंटरव्यू का दूसरा और अंतिम भाग.
सिम कार्ड और कोली कनेक्शन पर मोनिंदर सिंह पंढेर ने जवाब देते हुए कहा- जो आप सिम कार्ड वाली बात कह रहे हो. मेरे दोस्त का बेटा मेरे घर में रहकर IESLT का एग्जाम देने के लिए तैयारी कर रहा था. वो वहीं रहता था. वो लगातार कई महीने रहता था मेरे पास. कोली ने उसके नाम का सिम कार्ड लिया था. इस फोन के लिए था या किसी और के लिए. जो इनवेस्टिगेशन में आया. उस लड़के के नाम का सिम कार्ड था. उसी के आधार पर कोली को बुलाया गया. कोली को लाने वाला मैं था उसके गांव से. मैंने टैक्सी भेजी. उसे बुलवाया. अगर आप कहते हो कि उसे बचाने में मेरा हाथ है, तो इस मामले में आप मुझे ज्ञान देने का कष्ट करना.
सवाल- आपने कोली को बुलाया गांव से. ड्राइवर भेजा. और फिर नोएडा पुलिस के सुपुर्द किया. अब कोली पुलिस कस्टडी में था. मीडिया में खबरें आ गई. कंकाल मिल चुके थे. कोली की गिरफ्तारी के बाद आपकी गिरफ्तारी होती है. तो क्या आपकी जब गिरफ्तारी हुई तो कोली ने यह स्टेटमेंट दिया था कि उसने जो कुछ किया है वो मोनिंदर सिंह पंढेर के कहने पर किया है?
जवाब - ये आप उससे पूछो. ये उसका स्टेटमेंट है. मुझे कैसे मालूम होगा. मेरे सामने तो जब इनवेस्टिगेशन हुई है तो जिस दिन से अरेस्टिंग हुई है, उसके बाद सुरेंद्र कोली और मैं इकठ्ठे रहे ही नहीं हैं.
सवाल - कभी आपका सामना सामना पुलिस कस्टडी में हुआ?
जवाब - बिल्कुल नहीं हुआ. सीबीआई की कस्टडी में नहीं हुआ. मैं अलग कमरे में होता था. वो अलग कमरे में होता था. हमें एक दूसरे के साथ बात करनी अलाऊ नहीं था.
सवाल - आपकी जब गिरफ्तारी हुई थी, तब पुलिस ने ये कहा था कि सुरेंद्र कोली ने ये स्टेटमेंट दिया है कि मैंने जो किया है वो इनके कहने पर किया है. ये भी शामिल है. तब आपको रिमांड पर लिया था.
जवाब - आप लोग जानते नहीं पुलिस रिमांड कैसे लेती है. अगर ये बयान ना होता तो मेरे को रिमांड पर ले जाते? फिर तो मेरी अरेस्टिंग भी नहीं बनती थी. और अगर उस वक्त मेरे को चंडीगढ़ जाने देते तो नोएडा का क्या हाल होता. ये है मीडिया फ्रेंजी. ये थी उनकी मजबूरी. इसी को मैं कह रहा हूं कि अगर ये ड्रामा ना हुआ होता तो असली गुनहगार आपके सामने बैठा होता. यही ड्रामा हुआ है. सिर्फ एक ही इंटरेस्ट था कि मोनिंदर सिंह पंढेर किसी तरीके से पकड़ा जाए. मोनिंदर सिंह पंढेर कस्टडी में रहे. मोनिंदर सिंह पंढेर की कहानी चलाई जाए. मोनिंदर सिंह पंढेर के ऊपर सारा कुछ डाला जाए. इनवेस्टिगेशन का तो कोई रोल है ही नहीं इसमें. कहां था रोल इसमें कि असली कातिल को पकड़ना चाहिए. एक भी अखबार में स्टेटमेंट दो मेरे को. जिसने लिखकर दे दिया हो कि असलियत सामने आनी चाहिए. किसी ने नहीं कहा. सब तो फैसला ले चुके थे. तो जब फैसला ही ले चुके हो. तो इनवेस्टिगेशन किस तरफ जाएगी. वो तो ऐसे ही बयान लिखेंगे. अगर ऐसे बयान नहीं लिखेंगे तो मैं तो अपने घर जा रहा था.
सवाल- पहले नोएडा पुलिस और बाद में सीबीआई को यह केस दिया गया. जो मामला कोर्ट में गया तो उसमें ये था कि 16 बच्चे गायब थे. 16 बच्चों के कंकाल और अवशेष मिले. इसलिए 16 मर्डर के केस दर्ज हुए थे. अब 16 बच्चे और डी5-डी6 के पीछे के नाले से मिलता है और इतना लंबा वक्फा करीब साल डेढ़ साल से बच्चे गायब हो रहे थे. तो जब ये सारी चीज़े सामने आई कभी आपने, और फिर कभी ये भी सामने आया इनवेस्टिगेशन में कि इन बच्चों को डी5 कोठी में मारा गया. कुछ बच्चों को काटा गया. फिर बाकी भी बहुत सारी चीज़ें आई, आदमखोर वाला एंगल भी था. पर आप उस डी5 कोठी के मालिक हैं. कभी इतने सालों में आपने कभी ये नहीं देखा कि आपकी कोठी में कुछ अजीबों गरीब चीज़े हो रही हैं. बच्चे लाए जा रहे हैं? मारे जा रहे हैं?
जवाब - पहले तो आप मेरे को यह बताओ कि इसका साधन क्या होना चाहिए था मुझे पता रखने के लिए. आप बताओ कैसे? उसका चाल चलन बिल्कुल ठीक था. बच्चों के साथ घुलना मिलना भी बिल्कुल नहीं था.
सवाल - कभी आपने नहीं देखा?
जवाब - मैं घर पर ही नहीं था तो मैं कैसे देख लूंगा.
सवाल - कई बार ये बात सामने आई थी कि कई लोगों ने कम्लेंट की थी कि इस कोठी के अंदर से आस-पास से अजीब सी बदबू आती है?
जवाब - वो नाला है सामने. उस नाले के ऊपर तो पब्लिक बैठती थी.
सवाल - और बाकी की कोठी के पास से कभी कम्पलेंट नहीं आई?
जवाब - नहीं-नहीं. क्यों आपको कैसे पता है कि डी5 की सिर्फ कम्पलेंट गई. किसी विटनेस ने तो ये बात सीबीआई को नहीं बताई. जब उन्होंने बयान दिए हैं. सीबीआई ने तीन दिन वहां शोर मचाया लाउडस्पीकर पे. हमें इस केस के बारे में कुछ बताओ. उस टाइम तो किसी ने कुछ बताया नहीं. ये तो बाद में जब मेरे को फंसाने का जब सारा साधन बना. उस टाइम ये कहानी आने लगी. वो क्यों? मैं जानता हूं बदबू थी. और बदबू वाजिब थी क्योंकि वहां पर एक नाला था. नाले में कुछ भी हो सकता है. वो नाला सबने बंद किया हुआ था. सिर्फ मैंने नहीं. और नाले के ऊपर पड़ोस का जो नौकर है और जो ड्राइवर हैं, वो उस नाले के ऊपर बैठते थे. उनके गेट के सामने एक जगह बनाई हुई थी. सारा दिन सारी दोपहर सारी शाम वहां पर बैठते थे. उन्होंने तो कभी ये बात कही नहीं. और अगर ये बात इतनी बदबू वाली थी तो वहां पर सरकारी कर्मचारी भी तो घूम रहे हैं. तुम्हारे सफाई वाले कर्मचारी नहीं घूम रहे. जो रोड़ की सफाई करते हैं, वो नहीं घूम रहे.
सवाल- आप कोठी डी5 के मालिक थे. आपने कभी घर के अंदर कोई ऐसी चीज़ देखी हो, जिस पर आपको शक हो कि मेरे घर में कुछ अजीब सी चीज़ हो रही है, कभी नहीं पाया?
जवाब - एक परसेंट नहीं सर. क्या बात कर रहे हैं. शक की कहानी कह रहे हैं ना. ये एक नार्मल घर था. और जहां तक नार्मल घर की कोई इनवेस्टिगेशन करता है. मैं ये नहीं कह सकता कि हां जी मैं रोज आकर बिस्तरों को उठाकर देखता था. अलमारियां खोलकर देखता था. नो. नार्मल था. आया हूं. खाना खाया हूं और बेडरूम में चला गया हूं. मुझे सब नार्मल दिखाई देता था. बल्कि यहां तक कह सकता हूं कि बढ़िया दिखाई देता था.
सवाल - कोली फर्स्ट फ्लोर पर रहा करता था?
जवाब - पहले वो रहा करता था गैराज में. गैराज के बाद मैंने एक सर्वेंट क्वाटर बनाया उसके (कोठी) ऊपर. सर्वेंट क्वाटर में वो रहने लगा. सर्वेंट क्वाटर के साथ ही उसका बाथरूम था.
सवाल - जब ये सारी चीज़ें हुई. कोली ऊपर रहता था. कभी आपने ध्यान नहीं दिया आपने. फर्स्ट फ्लोर परमौका मिला जाने का, कि वहां जाकर देखूं?
जवाब - नहीं मैं तो सिर्फ कंस्ट्रक्शन के टाइम गया था ऊपर. उसके बाद तो मतलब ही नहीं है. मैं तो कभी कीचन में भी नहीं जाता था सच पूछो तो. मैंने क्या करना वहां पे. मेरा तो काम ही नहीं है.
सवाल - जब आपने कुछ नहीं देखा, आपके कई बार ऐसे स्टेटमेंट आए हैं, जिनमें आपने सीधे-सीधे निठारी में जितने बच्चे मारे गए. आपने ये कहा कि ये कोली ने किया है. आपने अभी हाल में भी कहीं कहा था कि कोली एक दो बार रात में भी निकला है या कोली इस तरह का कुछ कर सकता है. उसकी आपने एक दलील भी दी थी कि जब जब इस कोठी में कोई मर्डर हुआ, ये कोठी के बाहर जहां भी. उस वक्त आप कोठी में मौजूद नहीं थे. पहली बार आप ऑस्ट्रेलिया में थे. फिर चंडीगढ़ में. फिर टूअर पर.
जवाब - ये तो मैं अब भी कहता हूं. वो तो सीबीआई कह रही है. अगर उसको आप जोड़ रहे हो.
सवाल - आपने कभी माना है कि हां ये जो कुछ हुआ इसके लिए कोली जिम्मेदार है?
जवाब - नहीं, मैंने नहीं माना. मेरे मुंह से कहलवाया गया. अंग बंग घूमाके. कुछ बात घुमा के.
सवाल - आपसे कहा गया कि कोली का नाम लो?
जवाब - मेरे को किसी ने नहीं कहा. जैसे आप सवाल कर रहे हो. उसमें जबान फिसल गई हो. मैंने अपनी तरफ कभी नहीं कि कोली ने किया.
सवाल - असल में वो कोठी है सेंटर में और कोठी के ऑनर आप हैं. कोठी का नौकर कोली. और 19 साल हो गए. कोठी के पीछे से ही सारी चीज़े बरामद होती हैं. यहां तक कि इल्जाम ये भी आता है कि इसके पीछे ऑर्गन का भी एक रैकेट था?
जवाब - ये तो उस टाइम भी आ गया था. जब इनवेस्टिगेशन चल रही थी, उस टाइम काफी शोर मचा था. पहले तो कोई ह्यूमन ट्रैफिंकिंग का चला था. फिर वेश्यावृत्ति का चला था. इसके बाद फिर ऑर्गन ट्रेड का चला था. उसी टाइम ये मीडिया में आ रहा था. इसकी साथ ही साथ इनवेस्टिगेशन हो रही थी. मैं तो बता नहीं सकता.
सवाल - आपके पड़ोस में एक कोठी है डी-6. उसमें एक डॉक्टर रहते हैं. और तब उंगली थी कि शायद ये ह्यूमन ऑर्गन का केस है?
जवाब - उस टाइम तो मेरी नॉलेज में नहीं थी बिल्कुल भी ये बात. मुझे तो बाद में पता चला.
सवाल - ये कितना सच है कि एक बार आपने कहीं ये कहा था कि एक बार रात को आपकी अचानक आंख खुली और आपने देखा कि कोली गेट खोलकर कहीं बाहर जा है. उसके हाथ में कोई पैकेट हो.
जवाब - देखो देर सवेर तो जाता रहता था. ऐसी कोई बात नहीं है. कोई रात को उठके देखा हो या कुछ ऐसा स्पेसिक देखा हो. देर सवेर गेरता था, रात को भी जाके सामान गैरता था.
सवाल - तो रात को अगर वो बाहर जाता था, तो आपने कभी पूछा नहीं क्यों रात को बाहर जाता है?
जवाब - मैंने कभी पूछा नहीं. मेरा मतलब ही नहीं. किस चीज को पूछें.
सवाल - घर में आपके कभी पॉलिथिन या इस जैसी किसी चीज का एक्सेस पाया हो?
जवाब - नहीं. मेरा तो जो कनक राइस के जो बैग वगैरह आते थे. पॉलिथिन के जो आते थे. वहीं आते थे.
सवाल - जो पड़ोसी आपके ड़ॉक्टर थे, उनके साथ आपका रिश्ता कैसा था?
जवाब - जैसा एक आम पड़ोसी के साथ होता है. कुछ ज्यादा उठक बैठक नहीं थी.
सवाल - जब ये केस चल रहा था. इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस केस की सुनवाई हो रही थी. जो पुलिसवाले थे या बाकी लोग थे. उनको वहां ले जाने लाने का इंतजाम भी आपके पैसे से होता था? क्या ये सच है? और अगर सच है तो पुलिसवालों को आप पैसे क्यों देते थे?
जवाब - पैसे की तो बात मेरे को पता नहीं है. मेरे को सिर्फ इतना पता है कि जो बुकिंग की गई थी. वो मेरे ऑफिसवालों ने कहीं फोन करके कराई. क्योंकि मेरे भी एक आदमी को जाना था. उसने की थी. बाकी यही निकला कि कोई पैसे दफ्तर से नहीं गए थे.
सवाल - इस मामले को 19 साल हो गए. आप 12 साल तक जेल में रहे. जब आपको पहली बार फांसी की सजा सुनाई गई थी. तब उस वक्त आपका रिएक्शन क्या था?
जवाब - सत्य पर से विश्वास उठ गया था.
जुर्म अभी बाकी है...