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Delhi Blast: हरियाणा का वो अस्पताल जहां के डॉक्टर आए रडार पर... दिल्ली ब्लास्ट में अब तक क्या खुलासे

दिल्ली में लाल किले के पास हुए भयानक कार ब्लास्ट के बाद देश की तमाम एजेंसियां लगातार जांच पड़ताल में जुटी हैं. इससे पहले हरियाणा के फरीदाबाद से बरामद हजारों किलो विस्फोटक और सभी आरोपियां का डॉक्टर होना एजेंसियों को परेशान कर रहा है. पढ़ें पूरी साजिश और खुलासे.

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फरीदाबाद का अस्पताल आतंकी साजिश का केंद्र था (फोटो-ITG)
फरीदाबाद का अस्पताल आतंकी साजिश का केंद्र था (फोटो-ITG)

Delhi Red Fort Blast: सफेद कोट में लिपटे वो लोग इंसानियत की मिसाल माने जाते हैं, मगर दिल्ली धमाके के बाद अब वही लोग डर की वजह बन गए हैं. मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के नाम पर एक ऐसी आतंकी फैक्ट्री मिली है, जहां इलाज के नाम पर आतंक का कारोबार चल रहा था. जिंदगी बचाने की कसम खाने वाले ही जहां मौत के ठेकेदार बने बैठे थे. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक बेरहम दुनिया का काला सच है. उसे टेरर फैक्ट्री इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि वहां कई डॉक्टर सफेद कोट के पीछे आतंक और जुर्म का नेटवर्क चला रहे थे.

सुर्खियों में आया यूनिवर्सिटी का नाम
दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी अचानक सुर्खियों में आ गई. जांच में सामने आया कि धमाके से जुड़े कई आरोपी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं. यही वो यूनिवर्सिटी है, जिसने कुछ समय पहले अपना मेडिकल कॉलेज शुरू किया था, जहां देशभर से छात्र पढ़ाई करने आते हैं. अल-फलाह यूनिवर्सिटी और इसका मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद के धौज इलाके में स्थित है, जो अब जांच एजेंसियों के निशाने पर है.

खौफनाक थी वो शाम
सोमवार शाम करीब 6:52 बजे लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के नजदीक एक कार अचानक भयंकर धमाका हुआ. इस विस्फोट ने कई गाड़ियों को जला दिया और कई लोगों की जान ले ली. आस-पास के लोग सहम गए. बाजार में अफरा तफरी मच गई. इलाके को सील कर दिया गया. इस धमाके ने राजधानी की सुरक्षा पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं और तमाम राष्ट्रीय एजेंसियां तुरन्त जांच में लग गईं हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विस्फोट इतनी जोरदार था कि आसपास का इलाका दहल गया और लोग भागते हुए दिखाई दिए.

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यूनिवर्सिटी में छापेमारी
मंगलवार, 11 नवंबर 2025 को पुलिस और NIA की टीम ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर एक साथ छापेमारी की. शुरुआती जांच में सामने आया कि जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवातुल-हिंद का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क यूनिवर्सिटी से जुड़ा था. टीआईओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह नेटवर्क शैक्षणिक संस्थानों की आड़ में फंड ट्रांसफर, कट्टरपंथी भर्ती और विस्फोटक इकट्ठा करने जैसे कामों में लगा था. पुलिस को यह भी शक है कि यूनिवर्सिटी की लैब में RDX जैसे विस्फोटक तैयार किए जा रहे थे.

ब्लास्ट में इस्तेमाल i20 कार की मिस्ट्री
छापेमारी के दौरान लैब में काम करने वाले तीन कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है. इसी दौरान खुलासा हुआ कि दिल्ली ब्लास्ट का मास्टरमाइंड आतंकी उमर नबी भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर था. धमाके से कुछ घंटे पहले वह यूनिवर्सिटी से i20 कार लेकर निकला था और उसी कार में बैठे हुए उसने दिल्ली में ब्लास्ट किया. यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद चौंकाने वाला है.

कौन है कार का असली मालिक?
फॉरेंसिक टीम की जांच में पता चला कि जिस कार में विस्फोट हुआ वह एक हुंडई i20 कार है. कार का रजिस्ट्रेशन और पिछले मालिकों के रिकॉर्ड जांच का मुख्य हिस्सा बन गए हैं, ताकि पता चल सके यह किसके नाम पर थी और किसने आखिरी बार इसे इस्तेमाल किया. वो कार कई बार खरीदी बेची गई है. लेकिन उसका असली मालिक अब कौन है? इसकी जांच की जा रही है. 

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फरीदाबाद की मस्जिदों में पूछताछ
पुलिस जांच अब फरीदाबाद के फतेहपुर तगा गांव तक पहुंच चुकी है. वहां की मस्जिदों में छानबीन की गई, क्योंकि आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल इन्हीं मस्जिदों में नमाज अदा करता था. जांच में कश्मीर, तमिलनाडु और नूंह से आए जमातियों से भी पूछताछ हुई. पूछताछ के बाद चार जमातियों को शक के आधार पर हिरासत में लिया गया है, ताकि नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचा जा सके.

ऐसे हुआ आतंकी मॉड्यूल का खुलासा
इस पूरे मॉड्यूल का खुलासा तब शुरू हुआ, जब 19 अक्टूबर 2025 को श्रीनगर के बनपोरा नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर मिले थे. इसके बाद एजेंसियों ने जांच तेज की और सबसे पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल को गिरफ्तार किया. फिर डॉक्टर अकील अहमद को 360 किलो RDX के साथ, इमाम इरफान को फरीदाबाद से और डॉक्टर शाहीना को जम्मू-कश्मीर से पकड़ा गया. पुलिस ने इन सभी के ठिकानों से कुल मिलाकर 2900 किलो विस्फोटक बरामद किया है, जिसने देशभर की सुरक्षा एजेंसियों को हिला कर रख दिया है.

पूर्व कर्मचारी पर शक 
सूत्रों के अनुसार, जांच में पाया गया कि जीएमसी श्रीनगर का पूर्व पैरामेडिकल कर्मचारी और मौलवी इरफान मेडिकल छात्रों को कट्टरपंथ की राह पर ले जाने में अहम भूमिका निभा रहा था. पुलिस को शक है कि इन तीनों संदिग्धों के जैश-ए-मोहम्मद से वैचारिक संबंध हैं. यही मॉड्यूल फरीदाबाद-दिल्ली नेटवर्क की जड़ बताया जा रहा है, जिसने कई युवाओं को गुमराह किया.

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भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद
धमाके से ठीक पहले ही हरियाणा-फरीदाबाद में बड़ी छापेमारी के दौरान बम बनाने का सामान और कई हथियार बरामद हुए हैं. दिल्ली, हरियाणा पुलिस और जम्मू-कश्मीर की टीमों की साझा कार्रवाई में लगभग 2,900 किलो के करीब संदिग्ध बम बनाने की चीज़ें मिलीं हैं. जिसमें अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर और अन्य कच्चा माल शामिल बताया जा रहा है. यह ब्रेकथ्रू उन सुरागों का नतीजा था जो अनंतनाग में पकड़े गए संदिग्ध के हवाले से मिला था. बरामद सामान और उसके प्रकार को देखकर सुरक्षा एजेंसियां इसे बड़े हमले की तैयारी के रूप में देख रही हैं.

चौंकाने वाला कनेक्शन
जांच से सामने आया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वे सभी पेशे से डॉक्टर हैं. यही बात सुरक्षा तंत्र के लिए चौंकाने वाली है. पकड़े गए डॉक्टरों के नाम हालिया खबरों में बार-बार उभर कर सामने आ रहे हैं. आरोपी न सिर्फ़ मेडिकल पेशे से जुड़े थे, बल्कि इनके पास से हथियार और विस्फोटक भी मिले हैं. शुरुआती पूछताछ में कुछ आरोपियों ने बताया कि उन्हें हेंडलर्स ने इसलिए चुना क्योंकि डॉक्टरों पर शक कम होता है. इस बात ने एजेंसियों की परेशानी और बढ़ा दी है. नई चिंता यह भी है कि आतंकवादी अपनी जड़ों को पढ़े-लिखे और प्रतिष्ठित वर्ग तक फैला रहे हैं.

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अनंतनाग में डॉ. आदिल की गिरफ्तारी
अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले डॉ. आदिल अहमद राथर को गिरफ्तार किया गया और उसके लॉकर से AK-47 बरामदग की गई. जिसने जांच का रुख मोड़ दिया. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यही सुराग फरीदाबाद में बड़े पैमाने पर छापेमारी का इंडेक्शन बना. आदिल के लॉकर से मिली राइफल और गोला-बारूद ने यह संकेत दिया कि हथियारों का नेटवर्क कितनी गहराई में फैला हुआ था. इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य एजेंसियों ने आगे की जांच तेज की. आदिल पर यह भी शक है कि उसने बाहरी नेटवर्क के साथ मिलकर हथियारों और विस्फोटक के ट्रांज़पोर्ट में भूमिका निभाई हो.

डॉ. मुजम्मिल शकील के पास मिला अमोनियम नाइट्रेट
फरीदाबाद में छापेमारी के दौरान डॉ. मुजम्मिल शकील नामक एक और डॉक्टर के कब्जे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ. पुलिस के मुताबिक, ये सामान बम बनाने के कच्चे माल में इस्तेमाल हो सकता था और इसे बड़े पैमाने पर जमा करके रखा गया था. शकील का नाम अनंतनाग से पकड़े गए आदिल के साथ पूछताछ के दौरान सामने आया और वहीं से फरीदाबाद में छापेमारी की कहानी शुरू हुई. 

महिला डॉक्टर की कार में मिली असॉल्ट राइफल
जांच में एक और पेचीदा मोड़ तब आया, जब लखनऊ की डॉक्टर शाहीन शाहिद की कार में एक असॉल्ट राइफल और ताज़ा कारतूस मिले. पुलिस ने कहा कि वही कार कुछ ठिकानों पर हथियार ले जाने में इस्तेमाल हुई. हालांकि फिलहाल यह साफ नहीं कि डॉ. शाहीन को इस बारे में जानकारी थी या नहीं. स्थानीय सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन और कुछ संदिग्धों के बीच पुराना संपर्क मिला है और कार पर उसका नाम होने से वह भी जांच में घेरे में आ गई है. इस खुलासे से पता चला कि इस आतंकी नेटवर्क में महिलाओं और चिकित्सकों की भूमिका का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा था. 

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गुजरात के डॉ. मोइनुद्दीन पर आरोप
गुजरात एटीएस ने एक डॉक्टर मोइनुद्दीन सैयद को हिरासत में लिया है. जिस पर आरोप है कि वह राइसिन बनाने की कोशिश कर रहा था. उसके पास से कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) और कुछ ग्लॉक व बरेटा पिस्टल भी मिलीं हैं. राइसिन एक बेहद जहरीला प्रोटीन है और इसकी तैयारी अरंडी के बीजों से होती है. इसे हवा में स्प्रे या पाउडर के रूप में इस्तेमाल कर जानलेवा हमला किया जा सकता है. गुजरात में पकड़े गए मॉड्यूल से जो रेकॉर्ड और सामग्री मिली है. उससे लग रहा है कि वे कई भीड़भाड़ वाले इलाकों की रेकी भी कर रहे थे.

ऐसे सामने आया डॉ. उमर का नाम
प्रारम्भिक जांच में उस i20 कार के कागजात पर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा निवासी डॉ. उमर मोहम्मद का नाम सामने आने से जांच एजेंसियों के माथे पर बल पड़ गए. कुछ रिपोर्टें बताती हैं कि धमाके के वक्त वह कार में वही मौजूद था. हालांकि जांच में यह साफ पता करने की कोशिश चल रही है कि क्या कार वास्तव में उसी के नाम पर पंजीकृत थी या किसी और तरह से उस नाम का इस्तेमाल हुआ. पुलिस ने कार के पिछले मालिक और पंजीकरण रिकॉर्डों की तहकीकात तेज कर दी है. कार के अलग-अलग मालिक और इस्तेमाल के रिकॉर्ड से नेटवर्क की कई परतें खुल सकती हैं. ऐसे में रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज जांच में निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

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गुजरात, हरियाणा समेत कई राज्यों से कनेक्शन
जांच में साफ हो रहा है कि यह मॉड्यूल केवल एक राज्य तक सीमित नहीं था. क्योंकि केन्द्रीय जांच एजेंसियों को यूपी, गुजरात, हरियाणा और कश्मीर तक फैला हुआ नेटवर्क मिला है. गुजरात में जो गिरफ्तारी हुई, उसमें लखीमपुर और शामली से जुड़े नाम भी सामने आये हैं. जिससे पता चलता है कि स्थानीय युवाओं को मदरसों और ऑनलाइन माध्यम से जोड़ा गया था. कई नौजवानों को दोस्ती या पढ़ाई के बहाने फंसाया गया. सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो यह नेटवर्क स्थानीय सियासी या सामाजिक फ्रेम से बाहर खतरनाक तरीके से जुड़ा था और बहु-राज्यीय लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल कर रहा था. इसलिए एजेंसियों की चिन्ता बढ़ गई कि और भी लिंक छिपे हो सकते हैं.

आरोपियों के परिजन बोले- हमारे बच्चे निर्दोष
इस मामले में अभी तक पकड़े गए आरोपियों के परिजन गहरे सदमे और उलझन में हैं. कई परिवारों का दावा है कि उनका बेटा पढ़ने गया था और किसी गलत रास्ते पर नहीं चला. सिंगाही गांव जैसे स्थानों पर परिवारों ने कहा कि उनका बेटा पहले से धार्मिक पढ़ाई के लिए गया था और अचानक इस मामले में उसकी  गिरफ्तारी से वे लोग हैरान हैं. परिजनों की बातें सुनकर यह भी लगता है कि कभी-कभी कुछ नौजवान दोस्ती या प्रभाव में आकर ऐसे रास्तों पर फंस जाते हैं, और परिवारों को जानकारी ही नहीं रहती. 

कानूनी कार्रवाई और UAPA के प्रावधान
जांच के दौरान जिन व्यक्तियों की संलिप्तता पायी जा रही है, उनके खिलाफ UAPA और आर्म्स एक्ट जैसी कठोर धाराएं लगायी जा रही हैं. सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक मिलने के कारण मामलों में कड़े दंड का प्रावधान लागू होगा और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी केन्द्रशासित इकाइयों की भूमिका बढ़ सकती है. अमोनियम नाइट्रेट और राइसिन जैसे पदार्थों की मौजूदगी ने बायो-सायंटिफिक और विस्फोटक क़ानून दोनों के तहत जांच की जरूरत पैदा कर दी है. एजेंसियां डिजिटल और फिजिकल दोनों प्रकार के सबूत इकट्ठे कर रही हैं ताकि कोर्ट में आरोप मजबूत हों. यह प्रक्रिया लंबी और तकनीकी होगी, पर नियम-कानून के दायरे में ही सबको लाना प्राथमिकता है.

यूपी में भी हाई-अलर्ट
दिल्ली धमाके के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सुरक्षा बढ़ाने और जिलों में सख्त निगरानी के आदेश जारी किए है. बाजारों, धार्मिक स्थलों, भीड़भाड़ वाले इलाकों और ट्रांसपोर्ट हब पर पेट्रोलिंग बढ़ाने, CCTV मॉनिटरिंग और एटीएस-बम निरोधक दलों को अलर्ट रखने का आदेश दिया गया है. साथ ही सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों पर कार्रवाई और पेट्रोलिंग, फ्लैग मार्च करने के आदेश भी दिये गए हैं.

(सुशांत, हिमांशु, अरविंद ओझा, जितेंद्र बहादुर और कमलजीत का इनपुट)

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