Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धाराएं कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में जानकारी देती हैं. इसी तरह से सीआरपीसी (CrPC) की धारा 103 (Section 103) में यह प्रावधान किया गया है कि मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी कराने का निदेश दे सकता है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 103 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 103 (CrPC Section 103)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा (103 Section 103) में बताया गया है कि मजिस्ट्रेट (Magistrate) अपनी उपस्थिति (Presence) में तलाशी (Search) के लिए निर्देश दे सकता है. CrPC की धारा 103 के अनुसार, कोई भी मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में किसी ऐसे स्थान की तलाशी लेने का निर्देश दे सकता है, जिसका तलाशी वारंट (Search warrant) जारी करने के लिए वह सक्षम (Competent) है.
इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 102: किसी संपत्ति को जब्त करने के लिए पुलिस अधिकारी की शक्ति बताती है ये धारा
क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.
ये भी पढ़ेंः