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गुजरात और महाराष्ट्र में 100 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी का मामला, PMLA के तहत ED ने की छापेमारी

सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों पर विभिन्न साइबर धोखाधड़ी जैसे कि फर्जी यूएसडीटी ट्रेडिंग (क्रिप्टो करेंसी), डिजिटल गिरफ्तारी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के फर्जी नोटिस भेजकर निर्दोष व्यक्तियों को धमकाने आदि के माध्यम से आम जनता को ठगने के आरोप हैं.

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ED ने गुजरात के दो शहरों समेत मुंबई में भी छापेमारी की
ED ने गुजरात के दो शहरों समेत मुंबई में भी छापेमारी की

ED Raid in Cyber Fraud Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने बुधवार को धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत गुजरात और महाराष्ट्र में छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ये एक्शन ऐसे लोगों के खिलाफ किया गया, जिन्होंने डिजिटल गिरफ्तारी जैसे साइबर अपराध किए और 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को अवैध रूप से विदेश ट्रांसफर किया.

गुजरात के सूरत और अहमदाबाद में और मुंबई में संघीय जांच एजेंसी के अहमदाबाद क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की गई.

सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि धन शोधन का मामला मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, बासम डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई, माज अब्दुल रहीम नाडा और कुछ अन्य के खिलाफ 2024 में गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा है.

सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों पर विभिन्न साइबर धोखाधड़ी जैसे कि फर्जी यूएसडीटी ट्रेडिंग (क्रिप्टो करेंसी), डिजिटल गिरफ्तारी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के फर्जी नोटिस भेजकर निर्दोष व्यक्तियों को धमकाने आदि के माध्यम से आम जनता को ठगने के आरोप हैं.

पुलिस या जांच एजेंसियों के नाम पर भेजे गए 'डिजिटल गिरफ्तारी' और फर्जी समन या नोटिस जैसी साइबर धोखाधड़ी ने पिछले कुछ वर्षों में कई लोगों को ठगा है, क्योंकि पीड़ितों को इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो कॉल पर रहने के लिए मजबूर किया जाता है और घोटालेबाज कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की धमकी देकर उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं.

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सूत्रों के अनुसार, ईडी को संदेह है कि इस साइबर धोखाधड़ी के माध्यम से पीड़ितों से प्राप्त धन को बैंक खातों में एकत्र किया गया था, जो या तो नकली व्यक्तियों के केवाईसी का उपयोग करके या पहचान दस्तावेजों को जाली बनाकर खोले गए थे.

सूत्रों ने कहा कि इस तरह के अवैध धन को विभिन्न 'अंगड़िया' या हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी में परिवर्तित किया गया था और उन पर हाल के दिनों में 100 करोड़ रुपये से अधिक धन विदेश भेजने का शक है.
 

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