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अहमदाबाद से लेकर उधमपुर तक स्कूलों में बच्चों का खूनी खेल! छात्र के मर्डर से जुविनाइल एक्ट पर उठे सवाल

मामला अहमदाबाद के सेवंथ डे स्कूल का है. जहां बारहवीं तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में करीब 2 हजार बच्चे पढ़ते हैं. पिछले हफ्ते इसी स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों के बीच झगड़ा हुआ था. जिनमें से एक दसवीं क्लास का स्टूडेंट था. जबकि दूसरा नवीं क्लास का.

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छात्र की हत्या स्कूल के कैंपस में की गई. (फोटो- ITG)
छात्र की हत्या स्कूल के कैंपस में की गई. (फोटो- ITG)

गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक 9वीं क्लास का छात्र 10वीं कक्षा के छात्र को चाकू मारकर उसका कत्ल कर देता है. वो इस वारदात को दर्जनों छात्रों के सामने स्कूल कैंपस के अंदर ही अंजाम देता है. कत्ल करने के बाद वो अपने एक दोस्त के साथ मोबाइल पर चैटिंग करता है. वो अपने दोस्त से उसी कत्ल की वारदात को लेकर बात करता है. अब आरोपी छात्र और उसके दोस्त के बीच होने वाली चैट को लेकर जुविनाइल एक्ट पर सवाल उठने लगे हैं. चलिए आपको बताते हैं इस वारदात की पूरी कहानी...

वो अहमदाबाद के नामी स्कूल का एक बेहतर और स्मार्ट स्टूडेंट था, जिसे क्लासरूम में होना चाहिए था. पर वो अर्थी पर लेटा है. उसी स्कूल के एक बेहतर और स्मार्ट बच्चों में से एक उस वक्त स्कूल के ब्लैकबोर्ड पर टीचर की लिखी बातों को पढ़ने की बजाय बाहर मोबाइल की स्क्रीन पर कुछ और ही पढ़ और पढ़ा रहा था. वो अभी सिर्फ नवीं क्लास में है. जाहिर है इस हिसाब से उस बच्चे की उम्र ज्यादा से ज्यादा 15 या 16 साल रही होगी. लेकिन मोबाइल पर चैट में वो जो कुछ लिख रहा है या लिख चुका है उसे पढ़ने के बाद कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि वो लाइनें किसी पेशेवर कातिल की है या नाइंथ क्लास में पढ़ने वाले एक नाबालिग बच्चे की. उस चैट की बात करें तो वो उस नाबालिग लड़के ने अपने हाथों से एक कत्ल करने के बस कुछ देर बाद ही लिखा था. आप भी पढ़ें-

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आरोपी- हां

आरोपी का दोस्त- भाई तुमने चाकू मारा था?

आरोपी- तुझे किसने बोला?

आरोपी का दोस्त- कॉल करो एक मिनट. कॉल पे बात करते हैं.

आरोपी- नहीं, अभी भाई साथ है. उसने नहीं पता आज क्या हुआ है.

आरोपी का दोस्त - वह मर गया है.

इसके बाद आरोपी ने दोस्त से पूछा कि उसे कैसे पता चला? इसके बाद उसके दोस्त ने बताया कि उसे रास्ते में किसी शख्स ने ये बताया.
इस पर आरोपी ने बताया कि उस आदमी को बोल देना कि मैंने मारा है. वो मुझे जानता है तो उसे अभी जाकर बताओ.

दोस्त - लेकिन हुआ क्या था?

आरोपी- अरे, उसने (पीड़ित) मुझसे कहा कि मैं कौन हूं और क्या कर लूंगा, वगैरह-वगैरह.

दोस्त- अरे तो चाकू नहीं मारना होता. उसे पीट देता, मारना नहीं था.

आरोपी- जो हुआ, सो हुआ.

दोस्त- अपना ख्याल रख. कुछ दिन के लिए छिप जा. इस चैट को भी डिलीट कर दे.

आरोपी - ओके.

मामला अहमदाबाद के सेवंथ डे स्कूल का है. जहां बारहवीं तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में करीब 2 हजार बच्चे पढ़ते हैं. पिछले हफ्ते इसी स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों के बीच झगड़ा हुआ था. जिनमें से एक दसवीं क्लास का स्टूडेंट था जबकि दूसरा नवीं क्लास का. झगड़ा स्कूल के अंदर सीढ़ियां चढ़ने को लेकर हुआ था. लड़ाई इस बात की थी कि सीढ़ी पर आगे कौन चलेगा. बात छोटी सी थी. झगड़ा हुआ और खत्म हो गया. ऐसा दसवीं क्लास के उस छात्र और बाकी बच्चों को लगा. पर ऐसा था नहीं. नवीं क्लास के छात्र के मन में कुछ और ही चल रहा था.

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एक हफ्ते बाद 19 अगस्त यानि मंगलवार को दोनों बच्चे फिर स्कूल में आमने सामने थे. स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी. बच्चे घर लौटने की तैयारी कर रहे थे. पर तभी नवीं क्लास का वो छात्र अचानक दसवीं क्लास के छात्र के सामने आकर खड़ा हो गया. आसपास से तमाम छात्र गुजर रहे थे. पर इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता नवीं क्लास के छात्र ने दसवीं क्लास के छात्र के पेट में किसी तेजधार हथियार से हमला कर दिया. ये हमला दर्जनों छात्रों के सामने हुआ था. घायल छात्र जमीन पर गिर पड़ा. हमलावर छात्र मौके से निकल गया. बाकी छात्र भी धीरे धीरे आगे बढ़ गए. पर वो घायल स्टू़डेंट अब भी स्कूल के अंदर जमीन पर पड़ा था.

करीब आधे घंटे बाद किसी बच्चे के जरिए घायल छात्र के घरवालों को ये खबर मिली. हैरानी की बात यह रही कि स्कूल का एक स्टूडेंट स्कूल कैंपस के अंदर घायल पड़ा था. पर स्कूल का एक भी स्टाफ उसके करीब नहीं पहुंचा. कीमती आधा घंटा गुजर जाने के बाद खुद घरवाले स्कूल पहुंचते हैं और अपने बच्चे को नजदीकी अस्पताल ले जाते हैं. अब तक सब कुछ शांत था. स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन भी खामोश था. लेकिन फिर मंगलवार की देर रात बच्चे की मौत हो जाती है. 

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बुधवार को फिर स्कूल खुलता है. सारे बच्चे और स्टाफ स्कूल में थे. और तभी स्कूल कैंपस के अंदर एक नाबालिग के हाथों दूसरे नाबालिग स्टूडेंट के कत्ल की खबर फैल जाती है. इस खबर को स्कूल के बाहर निकलते भी देर नहीं लगी. फिर क्या था कुछ ही देर में मकतूल बच्चे के घरवाले और बाकी बच्चों के मां-बाप स्कूल पहुंच गए. वो बेहद गुस्से में थे. उनका गुस्सा वाजिब भी था. जो स्कूल बच्चों को बेहतर और स्मार्ट बनाने का दावा कर रहा था, उसी स्कूल के अंदर एक बच्चे ने दूसरे बच्चे को मार डाला था. अब जब स्कूल के अंदर छोटे बच्चे हाथों में खंजर लिए आ जाएंगे तो फिर किस मां-बाप को डर नहीं लगेगा. लिहाजा देखते ही देखते लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और तोड़फोड़ शुरू हो गई.

अब तक स्कूल की तरह अहमदाबाद पुलिस भी नींद में थी. लोगों के गुस्से ने पुलिस को जगा दिया. आनन-फानन में पुलिस की टीम नाबालिग बच्चे के घर पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया. अब भले ही भरे स्कूल में उस नाबालिग छात्र ने अपने ही एक नाबालिग सीनियर साथी का कत्ल किया हो, पर इसी नाबालिग होने ने उसे बचा लिया. बालिग होता तो बड़ों की तरह कत्ल के लिए सजा-ए-मौत नहीं तो उम्र तो कैद हो ही जाती. मगर कातिल होने के बाद भी चूंकि वो बच्चा है इसलिए तीन साल के अंदर अंदर वो आजाद भी हो जाएगा. 

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जुविनाइल एक्ट को लेकर निर्भया केस के बाद से ही लंबी बहस हुई है. कुछ कानून भी बदले गए. ये भी कहा गया कि केस टू केस नाबालिग केस को देखना चाहिए. यहां सवाल सिर्फ एक नाबालिग के हाथों हुए एक कत्ल का नहीं है. बल्कि जिस तरह से कत्ल के बाद वो अपने एक दोस्त से मोबाइल पर चैट कर रहा है वो उसके बालिग दिमाग का सबूत देती है. आप ही सोचिए नवीं क्लास का एक स्टूडेंट ऐन कत्ल के बाद भला ऐसी बातें लिखेगा. जो उसने अपने चैट में लिखी हैं.

बात सिर्फ कत्ल तक ही नहीं है. इस पूरे हादसे ने स्कूल की कलई भी खोल कर रख दी है. एक बच्चा चाहे चाकू ही सही पर हथियार लेकर स्कूल चला आता है. उसे कोई रोकता नहीं. एक बच्चे का स्कूल के अंदर कत्ल हो जाता है. स्कूल वाले उसे उठाकर अस्पताल तक पहुंचाने की जहमत भी नहीं उठाते. जो स्कूल बच्चों के भविष्य को बेहतर और अच्छा बनाने का दावा करता हो उसका एक भी स्टाफ एक अच्छे नागरिक होने का बुनियादी फर्ज तक नहीं निभाता. ऐसा नहीं है कि इस स्कूल में ऐसा पहली बार हुआ है. इससे पहले भी स्कूल के अंदर हिंसा की कई वारदात हो चुकी हैं. पर स्कूल प्रशासन ने कभी उसे सीरियसली लिया ही नहीं. लोगों का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्होंने स्कूल के अंदर घुसकर तोड़फोड़ तक कर डाली. गुरुवार को भी स्कूल के बाहर जमकर हंगामा हुआ. प्रशासन ने स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को भी नोटिस भेजकर इस पूरी वारदात पर सफाई मांगी है.

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यूपी के गाजीपुर में भी ऐसी ही वारदात
उधर, अहमदाबाद से दूर यूपी के गाजीपुर के एक प्राइवेट स्कूल में भी नवीं क्लास के एक स्टूडेंट ने दसवीं क्लास में पढ़ने वाले एक छात्र की स्कूल कैंपस के अदंर ही चाकू मारकर हत्या कर दी. इन दोनों छात्रों के बीच भी मामूली सी बात पर झगड़ा हुआ था. स्कूल प्रिसिंपल के मुताबिक स्कूल में रोजाना छात्रों के बस्तों की तलाशी ली जाती है लेकिन नवीं क्लास का ये छात्र बड़ी चालाकी से पानी के बोतल में चाकू छुपा कर लाया था.

हमले में तीन छात्र जख्मी
स्कूल के अंदर हुई इस छुरीबाजी में तीन और छात्र भी जख्मी हो गए. पुलिस ने आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया है. और आगे की जांच शुरु कर दी है. हालांकि ये छात्र भी कत्ल करने के बावजूद नाबालिग होने के चलते ना जेल जाएगा, ना उसे कड़ी सजा मिल पाएगी. ज्यादा से ज्यादा तीन साल बाल सुधार गृह में रहकर बाहर निकल आएगा. 

उत्तराखंड में छात्र ने टीचर को मार दी गोली
अजीब इत्तेफाक है कि नवीं क्लास के ही एक और छात्र ने उत्तराखंड के काशीपुर में अपने ही टीचर को देसी तमंचे से गोली मार दी. ये नाबालिग छात्र अपने टिफिन में तमंचा छुपा कर लाया था. टीचर को दाएं कंधे के नीचे गोली लगी है. फिलहाल वो आईसीयू में एडमिट है.

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छात्र ने लिया पिटाई का बदला
स्कूल प्रशासन के मुताबिक बुधवार को फिजिक्स के टीचर गगनदीप सिंह कोहली एक क्लास खत्म कर जब क्लासरूम से बाहर निकल रहे थे, तभी नवीं क्लास के एक छात्र ने टिफिन बॉक्स से तमंचा निकाला और पीछे से टीचर पर गोली चला दी. असल में दो दिन पहले यानि सोमवार को गगनदीप सिंह ने नवीं क्लास के इस छात्र से क्लासरूम में एक सवाल पूछा था. गलत जवाब देने पर उन्होंने छात्र की पिटाई की थी. बस इसी बात से छात्र गुस्से में था. इस वारदात के खिलाफ काशीपुर के टीचरों ने अपनी सुरक्षा को लेकर एक रैली भी निकाली.

(गाजीपुर से विनय सिंह, उधमपुर से रमेश चंद्रा और अतुल तिवारी के साथ अहमदाबाद से बृजेष दोशी)

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