छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सक्रिय माओवादी नेटवर्क को एक करारा झटका लगा है. कुख्यात दरभा डिवीजन के इंचार्ज और स्पेशल जोनल कमेटी मेंबर जयलाल उर्फ दिरदो विज्जा ने अपनी पत्नी माड़वी गंगी उर्फ विमला के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है. दोनों ने आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में हथियार डाल दिए, जहां सुकमा जिला पुलिस के अधिकारी भी मौजूद रहे.
जयलाल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 25 लाख का इनाम घोषित कर रखा था, जबकि उसकी पत्नी माड़वी गंगी पर 8 लाख का इनाम था. दोनों नक्सली संगठन में बाल संगम से जुड़े थे और संगठन की सबसे खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके थे. जयलाल पिछले करीब 40 वर्षों से माओवादी संगठन में सक्रिय था. उसने बाल संगठन सदस्य से लेकर दरभा डिवीजन के एसजेडसीएम तक का सफर तय किया.
माड़वी गंगी पिछले 20 वर्षों से संगठन की सक्रिय सदस्य रही और मलंगेर एरिया कमेटी की इंचार्ज के तौर पर काम कर रही थी. इन दोनों का नाम देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों से जुड़ा रहा है. साल 2010 में ताड़मेटला के चिंतागुफा में हुए हमले में 76 जवानों की शहादत, साल 2013 में झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुआ हमला मुख्य रूप से इसमें शामिल रहा है.
इसके साथ ही साल 2020 का मिनपा चिंतागुफा अटैक, साल 2021 का टेकलगुडेम एनकाउंटर, साल 2024 का टेकलगुडा कैंप अटैक और धर्माराम कैंप पर हमले में जयलाल की मुख्य भूमिका रही है. माड़वी गंगी भी साल 2021 के टेकलगुडेम मुठभेड़ और साल 2024 के टेकलगुडा कैंप अटैक समेत कई नक्सली हमलों में शामिल रही है. दोनों का इस्तेमाल सशस्त्र ऑपरेशन में होता था.
सुकमा जिले में DRG, STF, CRPF और COBRA की लगातार आक्रामक कार्रवाई से माओवादी संगठन भारी दबाव में था. बीते कुछ वर्षों में कई शीर्ष माओवादी नेता मारे गए, जिससे नेतृत्व कमजोर हुआ और अंदरूनी असंतोष बढ़ता गया. पुलिस का दावा है कि खोखली विचारधारा, लगातार हो रही मुठभेड़ों और सरकार की पुनर्वास नीति के कारण दोनों ने आत्मसमर्पण का रास्ता चुना.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जयलाल और विमला दोनों कई गंभीर आपराधिक मामलों में वांछित थे. उनका आत्मसमर्पण नक्सल नेटवर्क को अंदर से कमजोर करने में निर्णायक साबित होगा. उन्होंने कहा कि दोनों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत तत्काल नकद प्रोत्साहन, सुरक्षा और पुनर्वास सहायता दी जाएगी. इस आत्मसमर्पण को नक्सल विरोधी अभियान की बड़ी सफलता बताया है.