दिल्ली से सटे गुरुग्राम में पुलिस हिरासत के दौरान एक युवक की मौत के मामले ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस लॉकअप में हुई इस मौत को लेकर अब मर्डर का केस दर्ज किया गया है. आरोपों के घेरे में आए चार पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन ट्रांसफर कर दिया गया है. उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई है.
राजस्थान के भिवाड़ी जिले के रामपुर गांव का रहने वाला 22 साल का आसिफ इकबाल शुक्रवार को फर्रुखनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उसे फर्रुखनगर की क्राइम यूनिट के लॉकअप में रखा गया था. पुलिस का दावा है कि शुक्रवार दोपहर करीब 3 बजकर 45 मिनट पर आसिफ ने लॉकअप में फांसी लगा ली.
उसने की ग्रिल से एक फटे हुए रजाई कवर की मदद से खुदकुशी की थी. यह रजाई उसे सर्दी से बचने के लिए दी गई थी. हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस घटना के बाद मजिस्ट्रेट जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई और कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आसिफ के शरीर पर मामूली चोटों का जिक्र है, जबकि विसरा जांच के लिए भेज दिया गया है. हालांकि, मृतक के परिवार ने पुलिस के दावे को सिरे से खारिज करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. परिजनों का कहना है कि आसिफ को गिरफ्तार करने आए चार पुलिसकर्मियों ने पहले 4 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी.
जब परिवार ने अपनी आर्थिक मजबूरी बताई, तो 2 लाख रुपए की मांग की गई. परिवार का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने धमकी दी थी कि यदि पैसे नहीं दिए गए, तो आसिफ को एनकाउंटर में मार दिया जाएगा. इसके कुछ ही घंटों बाद पुलिस कस्टडी में उसकी मौत हो गई. आसिफ पर साल 2022 से चोरी के कुल आठ मामले दर्ज थे.
इनमें दिल्ली में एक, फरीदाबाद में तीन और गुरुग्राम जिले में चार केस शामिल थे. पुलिस का दावा है कि चार मामलों में उसे सजा भी सुनाई जा चुकी थी. परिवार की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है. इस मामले की जांच जारी है. चारों पुलिसकर्मियों को क्राइम यूनिट से हटाकर पुलिस लाइन में ट्रांसफर कर दिया गया है.