बिहार के दरभंगा जिले की एक विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक मिश्रीलाल यादव को मारपीट के एक पुराने मामले में दो साल की सजा सुनाई है. मंगलवार को दरभंगा की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट ने बीजेपी विधायक और उनके सहयोगी सुरेश यादव को दोषी करार देते हुए दोनों पर 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
जानकारी के मुताबिक, मिश्रीलाल यादव बिहार विधानसभा में अलीनगर सीट से भाजपा के विधायक हैं. कई वर्षों से राजनीति में सक्रिय मिश्रीलाल यादव का नाम पहली बार किसी आपराधिक मामले में इतनी गंभीरता से सामने आया है. उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने सहयोगी सुरेश यादव के साथ मिलकर एक शख्स पर हमला किया. उसे जानबूझकर चोट पहुंचाई.
यह घटना 29 जनवरी 2019 की शाम की है. दरभंगा के समैला गांव निवासी उमेश मिश्रा ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके मुताबिक, वो अपने घर के बाहर खड़े थे तभी विधायक अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे. बिना किसी उकसावे के उनके साथ मारपीट शुरू कर दी. हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं. उन्होंने सीधे तौर पर विधायक और सुरेश यादव को जिम्मेदार ठहराया.
इस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज हुआ, जिसके बाद में दरभंगा की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हुई. फरवरी 2024 में विशेष न्यायाधीश सह अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट करुणा निधि प्रसाद आर्य ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए विधायक मिश्रीलाल यादव और सुरेश यादव को तीन-तीन महीने के कारावास और 500-500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.
इस फैसले के खिलाफ विधायक ने ऊपरी अदालत में अपील की थी, जिसमें उन्होंने सजा को चुनौती दी. लेकिन इसी बीच पीड़ित उमेश मिश्रा ने भी अदालत में याचिका दायर कर दी. उन्होंने मांग की थी कि आरोपियों को मिली सजा बहुत कम है, जबकि अपराध गंभीर है. उन्होंने सजा बढ़ाने की गुहार लगाई. इसके बाद इस केस की सुनवाई एमपी/एमएलए कोर्ट में शुरू की गई.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया. उन्होंने विधायक और उनके सहयोगी की अपील को खारिज कर दिया. पीड़ित उमेश मिश्रा की याचिका को स्वीकार करते हुए सजा तीन महीने से बढ़ाकर दो साल कर दी. इसके साथ ही दोनों पर 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया है.
इस मामले में सजा दो साल की होने के चलते विधायक मिश्रीलाल यादव की सदस्यता पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत यदि कोई विधायक दो साल या उससे अधिक की सजा पाता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो सकती है. हालांकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है.