पश्चिम बंगाल में चुनावी लिस्ट की जांच प्रक्रिया के बीच एक और दर्दनाक मौत सामने आई है. दक्षिण दिनाजपुर के के शांत गांव अघाचा में मंगलवार को 65 वर्षीय उस्मान मंडल ने अपने ही घर में फांसी लगाकर जान दे दी. परिवार का आरोप है कि वोटर रिकॉर्ड में सरनेम की गड़बड़ी और विदेशी घोषित होने की वजह से डर गया था. इस वजह से परेशान था.
पुलिस के मुताबिक, उस्मान मंडल कई दिनों से अपने वोटर आईडी कार्ड में नाम की गड़बड़ी को लेकर परेशान था. उनके कार्ड में नाम उस्मान मोल्ला दर्ज था, जबकि साल 2002 की चुनावी लिस्ट में उनका नाम उस्मान मंडल लिखा हुआ था. परिवार का दावा है कि जब से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की घोषणा हुई थी, तभी से उस्मान को डर सता रहा था.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "परिवार ने हमें बताया कि उस्मान कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा चुके थे, लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की थी. वो बेहद परेशान थे. परिजनों से कहते थे कि यदि उनका नाम नहीं सुधरा, तो वो बड़ी मुश्किल में फंस जाएंगे." इस घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है. पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है.
स्थानीय लोग इस मौत को सिस्टम की लापरवाही का नतीजा बता रहे हैं. इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को लेकर केंद्र और राज्य चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. कुमारगंज के विधायक तोराफ हुसैन मंडल ने कहा कि SIR के नाम पर मुसलमानों को परेशान करने और देश से निकालने की साजिश चल रही है. उस्मान मंडल की मौत इसका सबसे बड़ा सबूत है.
उनका दावा है कि SIR की घोषणा के बाद राज्यभर में कम से कम 17 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें ज्यादातर वे हैं जो अपने कागजात या पहचान साबित करने को लेकर तनाव में थे. पुलिस फिलहाल इस मामले को आत्महत्या मान रही है. लेकिन एक पड़ोसी ने बताया कि वो हमेशा कहते थे कि यदि उनका नाम गलत हो गया तो वो खत्म हो जाएंगे. वो डरे हुए थे.