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बैंक खाते में छेड़छाड़, मदद का झांसा और साजिश... घोटालेबाज गिरोह के सात बदमाश गिरफ्तार, लाखों का कैश और सामान बरामद

असल में पीड़ित को एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उसके खाते के विवरण और क्रेडेंशियल्स के साथ छेड़छाड़ की गई है. कॉलर की तरफ से उन्हें आगे बताया गया कि अगर वह अपने खाते को सुरक्षित करना चाहते हैं, तो उन्हें बताए गए चरणों का पालन करना होगा. पीड़ित कॉलर के अंदाज और बोलचाल से उस पर भरोसा कर बैठा.

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मुंबई क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने इस गैंग का पर्दाफाश किया है
मुंबई क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने इस गैंग का पर्दाफाश किया है

मुंबई पुलिस के दक्षिण क्षेत्र साइबर पुलिस स्टेशन ने मुंबई में रहने वाले एक परिवार के सदस्यों से 1.48 करोड़ की धोखाधड़ी करने के आरोप में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से सात लोगों को गिरफ्तार किया है. सभी आरोपी प्रशिक्षित पेशेवर कॉलर हैं और वे बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से काम करते थे. यही वजह थी कि अक्सर लोग उनके झांसे में आ जाते थे. आरोपियों के कब्जे से लाखों का कैश और महंगा लग्जरी सामान बरामद हुआ है.

मुंबई पुलिस के साइबर डिटेक्शन अधिकारियों ने इस मामले में शिकायत दर्ज की थी. जानकारी के मुताबिक, जांच में पता चला कि लेनदेन के लिए पीड़ित की मां और बहन के खाते का भी इस्तेमाल किया गया था. असल में पीड़ित को एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उसके खाते के विवरण और क्रेडेंशियल्स के साथ छेड़छाड़ की गई है. कॉलर की तरफ से उन्हें आगे बताया गया कि अगर वह अपने खाते को सुरक्षित करना चाहते हैं, तो उन्हें बताए गए चरणों का पालन करना होगा.

पीड़ित कॉलर के अंदाज और बोलचाल से उस पर भरोसा कर बैठा. और उसने अपने खाते और क्रेडिट कार्ड का विवरण उसके साथ साझा कर दिया. जिसके बाद उनके खाते से नकदी निकाल ली गई और यहां तक ​​कि कई लेनदेन भी किए गए. पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि आरोपी कोलकाता में हाइक मैसेंजर ग्रुप चला रहे थे और सभी प्रशिक्षित पेशेवर कॉलर हैं.

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क्राइम ब्रांच के डीसीपी (डिटेक्शन) दत्ता नलवाडे ने बताया कि सभी आरोपी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं. वे हिंदी और अंग्रेजी में धाराप्रवाह बोलते हैं. आरोपी कंपनी से होने का दावा करते थे और क्रेडिट कार्ड विवरण साझा करने के लिए कहते थे.

इस मामले में मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने सिलीगुड़ी के एक सिनेमा हॉल में फिल्म देखते समय सात लोगों को गिरफ्तार किया. वे कोलकाता में एक कॉल सेंटर चलाते थे और ज्यादातर विदेशियों को निशाना बनाते थे क्योंकि वे शिकायत करने और पुलिस के पास जाने से बचते थे. इस तरह के कई पीड़ित हैं और कई लोगों को धोखा दिया गया है.

पकड़े गए आरोपियों की उम्र 22 से 25 वर्ष की है. आरोपियों की पहचान रेयान शाहदास (मास्टरमाइंड), अरुणभा हलदर, रितम मंडल, तमोजीत सरकार, राजीब शेख, सुजॉय नस्कर और रोहित बैद्य के रूप में की गई है. ये सभी आरोपी कोलकाता के रहने वाले हैं. पुलिस ने इनके कब्जे से 50 लाख कैश, 27 मोबाइल फोन, 5 एप्पल घड़ियां, 3 एयरपॉड, एक मैकबुक, एक आईपैड, परफ्यूम की बोतलें, डिजाइनर लेडीज हैंडबैग, दो रेफ्रिजरेटर, दो एयर कंडीशनर और दो प्रिंटर बरामद किए हैं.

डीसीपी के मुताबिक रेयान ही वह शख्स है, जिसने सभी को इकट्ठा किया और कॉल सेंटर चलाया. आम तौर पर पीड़ितों के क्रेडिट कार्ड विवरण का उपयोग करके ऑनलाइन खरीदारी से महंगे उत्पाद खरीदे जाते थे. उनकी रणनीति एक साथ रहने की थी और कोई भी समूह छोड़कर कहीं और काम नहीं कर सकता था. ये गैंग एक चलता फिरता कॉल सेंटर जैसा था.

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डीसीपी (डिटेक्शन) दत्ता नलवाडे ने आगे बताया कि आरोपी एक साथ रहते थे क्योंकि किसी एक के पकड़े जाने पर सभी के पकड़े जाने का डर था. दक्षिण साइबर पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक किरण जाधव ने बताया कि पीड़ित के खाते से 1.48 करोड़ रुपये का इस्तेमाल फ्लिपकार्ट, स्विगी, मिंत्रा और कैरेटलेन से उत्पाद और उपकरण खरीदने के लिए किया गया था.

धोखाधड़ी से हासिल की गई रकम का इस्तेमाल महंगे लैपटॉप, फोन और अन्य घरेलू उपकरण खरीदने में किया गया. वे पैसे का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और ऐप्पल उत्पादों को ऑर्डर करने के लिए करते थे. और फिर उस सामान को अन्य अनजान ग्राहकों को फिर से बेचने का इरादा रखते थे.

सभी आरोपियों पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जालसाजी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.

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