सेक्स और सियासत का जब भी कॉकटेल हुआ है, एक नए सेक्स स्कैंडल ने जन्म लिया है. बाबू जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के बेटे एचडी रेवन्न और पोते प्रज्वल रेवन्न तक, हमारे सामने अनेकों ऐसे स्कैंडल हैं, जिन्होंने देश में भूचाल ला दिया है. रेवन्ना सेक्स स्कैंडल को तो देश का सबसे बड़ा केस माना जा रहा है, क्योंकि इस में एक या दो नहीं बल्कि सैंकड़ों महिलाओं का यौन शोषण किया गया है. इतना ही नहीं उनका अश्लील वीडियो भी बनाया गया है. उन वीडियो के जरिए उन्हें ब्लैकमेल करने की बात भी सामने आई है. इस मामले में एचडी रेवन्ना गिरफ्तार हो चुके हैं.
सियासत में हुए सेक्स स्कैंडल की जब भी चर्चा होती है. एनडी तिवारी का नाम जरूर सामने आता है. एनडी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. उनका राजनीतिक कार्यकाल पांच दशक लंबा रहा है. उनके जैसी मिसाल भारतीय राजनीति में शायद ही मिलेगा. वो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे. दो बार उत्तर प्रदेश और एक बार उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे थे. इसके साथ ही राजीव गांधी की सरकार में विदेश मंत्री रहे, तो कई अन्य सरकारों में अल-अलग मंत्रालयों की कमान संभाले थे. लेकिन महिलाओं के मामले में वो बहुत रंगीन मिजाज थे. इस मामले में उनके कई किस्से हैं, जिन्हें लोग चटखारे लेकर सुनते और सुनाते हैं.
एक मामले ने एनडी तिवारी को हमेशा के लिए बदनाम कर दिया. वो था उनका सेक्स स्कैंडल, जिसकी सीडी पूरी दुनिया को दिखाई गई थी. साल 2007-09 के दौरान वो आंध्र प्रदेश के गवर्नर थे. अपने जीवन और राजनीति की आखिरी पारी बहुत सुकून और आराम के साथ खेल रहे थे. लेकिन तभी एक दिन उनके जीवन में ऐसा तूफान आया, जिसने उनके साथ पूरे देश को झकझोर दिया. उनकी कथित सेक्स सीडी ने देश की सियासत में सुनामी ला दिया. उस सीडी में एनडी तिवारी तीन महिलाओं संग आपत्तिजनक स्थिति में देखे गए. उस अश्लील वीडियो क्लिप को तेलुगू न्यूज चैनल ने प्रसारित किया था.

सेक्स सीडी कांड के बाद नई मुसीबत में फंसे एनडी तिवारी
इस सीडी के सियासत ने ऐसा रंग दिखाया कि एनडी तिवारी को राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर वापस उत्तराखंड लौटना पड़ा. सीडी कांड को उन्होंने अपने खिलाफ विरोधियों की साजिश बताया था. अभी वो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सियासत में अपने लिए जमीन की तलाश कर रही रहे थे कि उनके जीवन में एक तूफान फिर से आ गया. इस बार उज्ज्वला शर्मा नामक एक महिला सामने आई, जिसने आरोप लगाया कि एनडी उसके बच्चे शेखर के पिता है. लेकिन उन्होंने इस आरोप से इनकार कर दिया. यह मामले निजी आरोप-प्रत्यारोपों से होते हुए कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने डीएनए टेस्ट का आदेश दे दिया.
ऐसे हुई थी एनडी तिवारी और उज्ज्वला शर्मी की मुलाकात
इस टेस्ट में एनडी तिवारी और रोहित शेखर का डीएनए मैच कर गया. अब उनकी मजबूरी थी कि वो उज्ज्वला शर्मा को पत्नी और रोहित शेखर को बेटे का दर्जा दे. उन्होंने ऐसा किया भी. साल 2014 में यूपी की राजधानी लखनऊ में नारायण दत्त तिवारी ने 90 साल की उम्र में उज्ज्वला शर्मा से विधिवत विवाह कर लिया.
उज्ज्वला और एनडी के मुलाकात की कहानी भी दिलचस्प है. उनकी पहली मुलाकात साल 1968 में हुई थी. उस वक्त उज्ज्वला अपने पिता प्रो. शेर सिंह के घर 3, कृष्ण मेनन मार्ग दिल्ली में रहा करती थी. उस वक्त एनडी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे. शेर सिंह के घर अक्सर उनका आना-जाना होता था.

परिचय बढ़ते ही किया प्रणय निवेदन, फिर बेटे का जन्म
उज्ज्वला शर्मा की शादी बीएल शर्मा से हो चुकी थी, लेकिन किसी वजह से दोनों बाद में अलग हो गए. उज्ज्वला ने एक साक्षात्कार में बताया था, 'मेरे और बीएल शर्मा के बीच बहुत सामंजस्य नहीं था. इसलिए हमने अलग होने का फैसला किया. मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में संस्कृत पढ़ाती थीं. उसी समय हमारी एनडी तिवारी से मुलाकात हुई थी. धीरे-धीरे हमारा परिचय बढ़ा और उनके प्रणय निवेदन शुरू हो गए. साल 1977 में मैं उनके साथ अंतरंग संबंध बनाने को तैयार हो गई. इसके लिए वो पिछले 6-7 साल से कोशिश कर रहे थे.'' कुछ समय बाद ही उन दोनों के बेटे रोहित शेखर का जन्म हुआ था.
जब महिला को जबरन पकड़कर नाचने लगे एनडी तिवारी
रंगीन मिजाज एनडी तिवारी उम्र के आखिरी पड़ाव तक वैसे ही रहे, जिसके लिए उन्हें जाना जाता था. 90 साल की उम्र में भी उन्होंने एक ऐसा कांड कर दिया, जिसकी वजह से सुर्खियों में आ गए. साल 2013 की बात है. लखनऊ में शहीदों के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजिन किया गया था. उसमें एनडी तिवारी को भी आमंत्रित किया गया था. जैसे ही कार्यक्रम में गाने बजने शुरू हुए उनका दिल मचल उठा. वो मंच पर चढ़ गए और 'कदम-कदम बढ़ाए जा खुशी के गीत गाए जा...' गाने पर झूमने लगे. हद तो तब हो गई जब उन्होंने सामने खड़ी महिला एंकर को पकड़ लिया. उसके साथ जबरन नाचने लगे.

स्वतंत्रता आंदोलन से राजनीति में आए थे एनडी तिवारी
18 अक्टूबर, 1925 को नैनीताल के बलूती गांव में एनडी तिवारी का जन्म हुआ था. उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अफसर थे, जिन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान नौकरी छोड़ दी थी. वो हलद्वानी, बरेली और नैनीताल के अलग-अलग स्कूल-कॉलेजों में पढ़े थे. वो राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के जरिए आए थे. अंग्रेज विरोधी चिट्ठियां लिखने की वजह से 14 दिसंबर 1942 को उनको गिरफ्तार करके नैनीताल की उसी जेल में भेजा गया, जहां उनके पिता पहले से बंद थे. 15 महीने बाद रिहा हुए, तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां से आगे की पढ़ाई जारी रखी. साल 1947 में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने.