नक्सल विरोधी ऑपरेशन के दौरान माडवी हिडमा सहित छह माओवादियों के मारे जाने के बाद आंध्र प्रदेश में 50 CPI कैडर पकड़े गए हैं. 18 नवंबर को अल्लूरी सीताराम राजू जिले में हुए एनकाउंटर के अगले ही दिन सुरक्षा बलों ने कार्रवाई तेज कर दी. पांच जिलों में एक कोऑर्डिनेटेड इंटेलिजेंस ऑपरेशन लॉन्च के दौरान ये सफलता मिली है.
ADGP इंटेलिजेंस महेश चंद्र लड्ढा ने खुलासा किया कि माधवी हिडमा के खात्मे के तुरंत बाद सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर और बस्तर से कई माओवादी भागकर आंध्र प्रदेश पहुंच गए. इनमें स्पेशल जोनल कमेटी के मेंबर, डिविजनल कमेटी मेंबर, एरिया कमेटी मेंबर और दक्षिण बस्तर-दंडकारण्य में सक्रिय रेगुलर कैडर शामिल थे.
इसकी जानकारी मिलते ही स्टेट इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट, स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच, डिस्ट्रिक्ट पुलिस यूनिट और विजयवाड़ा कमिश्नरेट की संयुक्त टीम ने कार्रवाई शुरू कर दी. उनकी तलाशी में माओवादियों के साथ 39 हथियार, 302 राउंड एम्युनिशन, डेटोनेटर, कॉर्डटेक्स वायर, कम्युनिकेशन डिवाइस और 13 लाख रुपए कैश बरामद हुए.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश से माओवादी हिंसा खत्म करने का लक्ष्य दिया है. उन्होंने खुद माडवी हिडमा के खात्मे के लिए 30 नवंबर की डेडलाइन तय की थी, जिसे सुरक्षा बलों ने 12 दिन पहले ही पूरा कर दिया. अब सवाल है कि बचे हुए वो खतरनाक चेहरे कौन हैं, जो जंगलों के अंदर अभी भी मौत का नेटवर्क चला रहे हैं?
आइए उन खूंखार नक्सली कमांडरों के बारे में जानते हैं...
1. देवा बरसे: नक्सलियों का नया 'बैटल कमांडर'
माडवी हिडमा के सीसी मेंबर बनने के बाद नक्सलियों ने बटालियन नंबर 1 की कमान 42 वर्षीय देवा बरसे उर्फ सुक्का उर्फ देवन्ना को सौंप दी. सरकार ने उसके सिर पर 25 लाख रुपए का इनाम रखा है. अरनपुर थाना क्षेत्र के ककाड़ी का निवासी देवा हाल ही में पूवर्ती गांव (हिडमा का गांव) में अपने परिवार को शिफ्ट कर चुका है.
AK-47 लेकर चलने वाला देवा बरसे दक्षिण सब जोनल ब्यूरो, दरभा डिवीजन प्रभारी, प्रेस यूनिट और डिविजनल कोऑर्डिनेशन जैसे बड़े पदों पर काम कर चुका है. वो अनपढ़ है, लेकिन उड़िया, तेलुगु, मराठी और हिंदी भाषा जानने के कारण संगठन में बेहद प्रभावशाली माना जाता है. प्रेस टीम में काम करने के दौरान उसने कम्युनिकेशन स्किल सीख थी.
लंबे समय तक सिविल मिलिट्री में काम करने के कारण वह रणनीति बनाने में माहिर है. उसने 25 मई 2013 का दरभा-झीरम घाटी हमले में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें कई बड़े कांग्रेस नेताओं की हत्या हुई थी. 26 अप्रैल 2023 को अरनपुर हमले में 10 जवानों की शहादत का जिम्मेदार है. दंतेवाड़ा-सुकमा में हुई वारदातों में उसकी कमेटी सक्रिय थी.
देवा बरसे कई बड़े नक्सली अभियानों को लीड कर चुका है. उसे हिडमा के बाद सबसे खतरनाक ऑपरेशनल कमांडर माना जा रहा है. यही वजह है कि सुरक्षा बल उसकी खोज तेजी से कर रहे हैं.
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2. गणपति राव: 2.5 करोड़ का इनामी नक्सली
74 वर्षीय माओवादी नेता गणपति उर्फ मुप्पला लक्ष्मणा राव को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. उस पर 2.5 करोड़ का इनाम है. वो CPI (माओवादी) का पूर्व महासचिव रहा है. जंगलों में उसकी सुरक्षा परत-दर-परत होती है. इतनी कड़ी कि कई राज्यों की पुलिस उसकी लोकेशन तक नहीं पकड़ पाई. उसके पास मुखबिरों की एक बड़ी फौज है.
उसके मुखबिर सुरक्षा बलों के किसी भी मूवमेंट की भनक उसे पहले ही दे देते हैं. तेलंगाना के करीमनगर में पैदा हुआ गणपति पेशे से शिक्षक था, लेकिन 'बदलाव' के नाम पर जंगलों में उतर गया. उसकी अंतरराष्ट्रीय पहुंच भी रही है. श्रीलंका के लिट्टे और फिलीपींस के विद्रोही गुटों से उसका संपर्क रहा है. वो भारत के सबसे मोस्ट वांटेड नक्सलियों में शामिल है.
इन हमलों में रहा शामिल...
- साल 1995 में बम धमाका, DSP समेत 25 लोगों की मौत.
- साल 2006 में एर्राबोर में 35 आदिवासियों की हत्या.
- साल 2006 में उपलेटा कैंप पर हमला, 22 पुलिसकर्मी की हत्या.
- साल 2006 में 14 नागा सैनिकों की वैन उड़ाई.
- 2008 में सीआईएसएफ हिरोली माइंस कैंप पर हमला, 8 जवान मारे गए.
3. मिसिर बेसरा: सारंडा के बंकरों का छुपा 'भूत'
माओवादियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य मिसिर बेसरा एक करोड़ का इनामी है. सारंडा के घने जंगलों में उसका भूमिगत बंकर इतना सुरक्षित था कि पुलिस भी देखकर हैरान रह गई. उसके ठिकाने के चारों ओर लैंड माइंस बिछी रहती थीं. वो कभी सामने नहीं आता था. उसका सुरक्षा घेरा इतना मजबूत था कि बिना उसकी अनुमति के उस इलाके में किसी का प्रवेश असंभव था.
चार वर्षों तक अभियान चलाने के बाद सुरक्षा बल एक बार उसके बेस कैंप तक पहुंच पाए थे. गिरिडीह जिले के मदनाडीह गांव का रहने वाला मिसिर बेसरा कभी गरीबों के लिए हक की आवाज उठाता था. वह झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु का समर्थक था. लेकिन बाद में वह माओवादियों के संपर्क में आया. अब वो देश के टॉप 5 माओवादियों में शुमार हो गया है.

4. पापा राव: बस्तर का खूंखार 'IED मास्टर'
भैरमगढ़ वेस्ट बस्तर एरिया कमेटी का कमांडर पापा राव 25 लाख का इनामी है. उसकी कमेटी ने हाल ही में बीजापुर में बड़ा हमला किया, जिसमें कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे. साल 2010 के ताड़मेटला नरसंहार में पापा राव और हिडमा ने मिलकर हमला अंजाम दिया था. उस हमले में 76 जवान शहीद हुए थे, जो भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में गिना जाता है.
इसी साल 6 जनवरी को कुटरू-बेदरे रोड पर हुए IED ब्लास्ट में 8 सुरक्षाकर्मी और एक ड्राइवर की मौत हुई. यह हमला भी पापा राव की कमेटी ने किया. वो अब भी जंगलों में सक्रिय है और बस्तर का सबसे खतरनाक 'IED एक्सपर्ट' माना जाता है. इसकी तलाश में सुरक्षा बलों की कई टीमें लगातार लगी हुई हैं. उसका खात्मा एक बड़ी सफलता मानी जाएगी.
5. दामोदर उर्फ चोखा राव: 50 लाख का इनामी
दामोदर उर्फ चोखा राव पर 50 लाख का इनाम है. उसके मारे जाने की खबर कुछ समय पहले वायरल हुई थी. लेकिन नक्सल संगठन ने दावा किया कि वह अभी जीवित है. 16 जनवरी को दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में हुए मुठभेड़ में सुरक्षा बलों का दावा था कि 12 नक्सली मारे गए, जिनमें दामोदर भी शामिल था. लेकिन उसके संगठन ने इसे खारिज कर दिया.
नक्सल कमांडर हरिभूषण की साल 2021 में कोरोना से मौत के बाद दामोदर को बड़ी जिम्मेदारी मिली. उसकी सुरक्षा में हमेशा हथियारबंद दस्ते तैनात रहते हैं. वह कई आधुनिक हथियारों के साथ चलता है. वो अब भी दक्षिण भारत में नक्सली नेटवर्क का मुख्य कमांडर माना जाता है. देवा बरसे, गणपति, मिसिर बेसरा, पापा राव और दामोदर जैसे कमांडर अब आखिरी कड़ी हैं.