माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में स्थित एक ब्लॉक है. माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी का भूगोल मैदानी और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इसकी जमीन उपजाऊ है. नक्सलबाड़ी और माटीगाड़ा अपने चाय बागानों के लिए फेमस है.यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है.
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, माटीगाड़ा सामुदायिक विकास खंड (Matigara CD Block) की कुल जनसंख्या 1,97,278 थी, जिसमें से 1,35,583 ग्रामीण और 61,695 शहरी क्षेत्र के निवासी थे. कुल जनसंख्या में 1,01,023 (51%) पुरुष और 96,255 (49%) महिलाएं शामिल थीं.
इस क्षेत्र से सिलीगुड़ी 10 किमी दूर है, जो प्रमुख व्यापारिक केंद्र भा है. दार्जिलिंग शहर यहां से लगभग 65 किमी दूर स्तिथ है. माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी, कोलकाता से करीब 600 किमी दूर है. 2005 के ग्रामीण परिवार सर्वेक्षण के अनुसार, दार्जिलिंग जिले में कुल परिवारों में से 24.40% परिवार गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन कर रहे थे. विश्व बैंक की 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दार्जिलिंग, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 4-9% के बीच था, जो पश्चिम बंगाल के अन्य जिलों की तुलना में सबसे कम था, जबकि राज्य का औसत लगभग 20% था.
हिडमा और मटुरे जैसे दुर्दांत नक्सल कमांडरों के सफाए के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सल मोर्चे पर सबसे बड़ा दबदबा कायम किया है. लेकिन दंडकारण्य के जंगलों में अब भी ऐसे खूंखार चेहरे बचे हैं, जो बस्तर से झारखंड तक हिंसा की जड़ बने हुए हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने की डेडलाइन तय की है.
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