घना जंगल, रात का सन्नाटा और हल्की रोशनी में झांकते दो इंसानी पांव. ये दृश्य देखकर पुलिस के जवान भी सिहर उठे. किसी को भरोसा नहीं हुआ कि पत्थरों के नीचे दफ्न यह इंसान असल में चार दिनों से लापता सृजन साहू है, जिसकी गुमशुदगी ने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर पुलिस की नींद उड़ा दी थी. 25 अक्टूबर को 35 साल का सृजन घर से यह कहकर निकला कि उसे कुछ जरूरी काम है. उसके बाद न तो वह लौटा और न ही उसका मोबाइल फोन रिसीव हुआ. अगले दिन 26 अक्टूबर को परिवार ने मंगवानी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.
पुलिस ने मोबाइल की लास्ट लोकेशन ट्रैक की, तो सिग्नल शहर के बाहर हाईवे नंबर 44 के पास स्थित एक रेस्टोरेंट के आसपास थम गया. बस यहीं से इस रहस्यमयी गुमशुदगी ने एक मर्डर मिस्ट्री का रूप लेना शुरू कर दिया. रेस्टोरेंट के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच में पुलिस को एक अहम सुराग मिला. सीसीटीवी फुटेज में सृजन साहू दो लोगों के साथ नजर आया. एक लड़की और एक लड़का. दोनों ने अपने चेहरे कपड़े से ढक रखे थे. पुलिस के लिए यह पहला बड़ा ‘रेड फ्लैग’ था. तफ्तीश में सामने आया कि तीनों एक मारुति कार से निकले थे.
अब सवाल यह था कि तीनों आखिर कहां गए? इसी रहस्य को सुलझाने के लिए पुलिस ने कई टीमों को अलग-अलग काम पर लगा दिया. एक टीम ने फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग शुरू की, जबकि दूसरी सीसीटीवी में दिख रहे दोनों संदिग्धों की पहचान में जुटी. कुछ ही घंटों में तस्वीर साफ हो गई. फुटेज में दिख रही लड़की कोई और नहीं, बल्कि सृजन साहू की चचेरी साली निधि थी. उसके साथ दिख रहे युवक का नाम साहिल था. जांच में पता चला कि तीनों की लोकेशन शहर से 40 किमी दूर मंगवानी के जंगलों के पास मिली थी.
जैसे ही कार जंगल के अंदर बढ़ी, सृजन का फोन नेटवर्क से बाहर हो गया. उसके बाद सिग्नल कभी वापस नहीं आया. पुलिस को अब शक पक्का हो गया था कि मामला गुमशुदगी नहीं, हत्या का है. निधि और साहिल को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू हुई. पहले दोनों ने पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की, लेकिन घंटों की कड़ाई के बाद सच बाहर आने लगा. दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने सृजन की हत्या कर दी है. लाश को मंगवानी के जंगलों में पत्थरों के नीचे दफ्न कर दिया है. अब पुलिस के सामने असली मकसद लाश को ढूंढ निकालना था.
दोनों आरोपियों ने ठिकाने की सही जगह बताने से बचते हुए पुलिस को गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया. तब पुलिस ने डॉग स्क्वाड, ड्रोन और भारी पुलिस बल के साथ जंगल में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. शाम 5 बजे से लेकर अगली सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक चला यह ऑपरेशन आखिरकार उस भयावह जगह पर खत्म हुआ, जहां पत्थरों के नीचे से दो पांव बाहर झांक रहे थे. यह नजारा ही पुलिस को सब कुछ समझा गया. यही वह जगह थी जहां सृजन साहू की बेरहमी की जान ली गई थी और उसका शव पत्थरों की कब्र बनाकर दफ्न कर दिया गया था.
पुलिस की पूछताछ में निधि साहू ने वो सच्चाई उगल दी, जिसने पूरे केस को 'उधार की सुपारी' का नाम दे दिया. दरअसल, सृजन और निधि शादी से पहले प्रेम संबंध में थे. लेकिन परिवार के दबाव में सृजन ने निधि की चचेरी बहन से शादी कर ली. निधि की भी शादी कहीं और हो गई. लेकिन सृजन ने शादी के बाद भी उस पुराने रिश्ते को खत्म नहीं किया. वह निधि से संपर्क बनाए रखता और उसे ब्लैकमेल करता था. उसके पास निधि की कुछ निजी तस्वीरें थीं, जिनके जरिए वो उसे धमकाता था. उन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देता था.
इसके बाद निधि ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सृजन की हत्या की साजिश रच डाली. उसने अपने दो जानकारों, साहिल और एक नाबालिग लड़के को सुपारी दी. 50 हजार रुपए में सौदा तय हुआ. पैसे जुटाने के लिए उसने अपने कान के टॉप्स गिरवी रख दिए. एडवांस में 10 हजार रुपयए साहिल को दिए और दो चाकू खुद खरीद लिए. साजिश के तहत, 25 अक्टूबर को निधि ने सृजन को मिलने के लिए बुलाया. जब वो वहां पहुंचा तो उसके साथ वही दो किराये के कातिल भी थे. चारों सृजन की स्विफ्ट डिजायर कार से जंगल की ओर निकल गए.
बहाना बनाया गया कि किसी जानकार को रास्ते में उठाना है. जैसे ही कार जंगल में पहुंची, निधि ने सृजन के गले पर चाकू से वार कर दिया. उसके बाद साहिल और नाबालिग ने भी चाकू से वार किए. कुछ ही मिनटों में सृजन की सांसें थम गईं. तीनों ने लाश को जंगल में ही पत्थरों के नीचे छुपा दिया. मिट्टी का गड्ढा खोदना मुमकिन नहीं था, इसलिए उन्होंने भारी पत्थरों से शव को दबा दिया. लेकिन किस्मत से पत्थरों के नीचे से शव के दोनों पांव बाहर रह गए. यही बाहर झांकते पांव पुलिस को चार दिन बाद उस कब्र तक ले आए.