महाराष्ट्र का नवी मुंबई शहर. वो 30 जुलाई 2021 का दिन था. पुलिस कंट्रोल रूम में पुलिसकर्मी शिकायती कॉल्स सुनने में मसरूफ थे, तभी 3 बजकर 10 मिनट पर कंट्रोल रूम में मौजूद एक कॉल ऑपरेटर के फोन की घंटी बजने लगी. ऑपरेटर ने फोन रिसीव की. दूसरी तरफ से आवाज़ आई. हैलो.. हैलो.. मैं ऐरोली से बोल रहा हूं. मेरा नाम शैलेष है. सर.. सर वो मेरी बहन ने अपने बेडरूम को अंदर से बंद कर लिया है. वो काफी देर से अंदर बंद है. आवाज़ देने या नॉक करने पर भी वह दरवाजा नहीं खोल रही है. प्लीज़ हमारी मदद कीजिए. हम सब बहुत परेशान हैं." ऑपरेटर ने शैलेष पवार नाम के उस शख्स की शिकायत सुनने के बाद उसका पता ठिकाना नोट किया. इसके बाद कॉल बंद हो गई.
पुलिस कंट्रोल के ऑपरेटर ने शिकायत को आगे बढ़ाते हुए शहर के रबाले पुलिस स्टेशन को इस घटना की जानकारी दी. पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही थाने में मौजूद एक सब इंस्पेक्टर अपने साथ दो सिपाही लेकर पुलिस जीप में सवार हो गए और एरोली के सेक्टर 7 की तरफ रवाना हो गए. सेक्टर 7 ही एरोली का वो इलाका था, जहां से शैलेष नाम के कॉलर ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया था. कुछ मिनट बाद ही पुलिस की टीम एरोली के सेक्टर 7 पहुंच चुकी थी. और अगले ही पल पुलिस उस बहुमंजिला इमारत के सामने खड़ी थी, जहां से कॉल आई थी. बिना देरी किए पुलिस की टीम ने जीप बाहर पार्क की और सब इंस्पेक्टर अपने सिपाहियों के साथ तेजी से कदम बढ़ाते हुए उस इमारत की दूसरी मंजिल पर जा पहुंचे.
सैकेंड फ्लोर पर मौजूद एक फ्लैट के बाहर और अंदर काफी लोग मौजूद थे. शैलेष पवार पुलिस को मौके पर मिला. वो टीम को अंदर ले गया और वो कमरा दिखाया जिसका दरवाजा अंदर से बंद था. कमरे के डोर की चाबी भी अंदर ही थी. बाहर मौजूद एक लड़की बहुत रो रही थी. आस-पास के लोग उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे. जब पुलिस की समझ में कुछ नहीं आया तो पुलिस ने दरवाजे का लॉक तोड़ने का फैसला कर लिया. क्योंकि पुलिस और देर नहीं करना चाहती थी.
पुलिस ने वहां मौजूद लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ दिया. कमरे का अंदर का मंजर वही था, जिसकी सबको आशंका हो रही थी. सामने बिस्तर पर एक महिला की लाश पड़ी थी. उस लाश को देखकर शैलेष पवार और वो लड़की बेहाल हो गए और चीख चीख कर रोने लगे. आस-पास के लोग भी ये मंजर देखकर खौफजदा थे. शैलेष पवार मरने वाली महिला लक्ष्मी का भाई था और वहां मौजूद वो लड़की गुड़िया उस महिला की बेटी. पुलिस ने शैलेष से लक्ष्मी के पति के बारे में पूछा तो वो उस वक्त ठाणे में अपनी बहन के घर थे. उन्हें भी इस बारे में सूचना दी गई.
पुलिस ने मौका-ए-वारदात पर जांच पड़ताल की. उस कमरे को अच्छी तरह से खंगाला गया, जहां लाश मौजूद थी. कमरे के कोने कोने की तलाश ली गई. ताकि कोई सबूत और सुराग ना छूट जाए. इलाके एक एसीपी और एसएचओ भी घटना की जानकारी होने पर मौक पर पहुंचे चुके थे. उनके आने के बाद पुलिस ने पंचनामे की कार्रवाई को अंजाम दिया और लक्ष्मी की लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए रवाना कर दिया.
अब पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार करना था. काफी देर पुलिस ने कमरे और फ्लैट का मुआयना किया. हर एक पहलू से जांच पड़ताल की. पहली नजर में पुलिस को मामला खुदकुशी का ही लग रहा था. लेकिन पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल ये था कि आखिर लक्ष्मी ने सुसाइड क्यों किया?
नवी मुंबई पुलिस लक्ष्मी की मौत के मामले में कागजी कार्रवाई पूरी कर चुकी थी. अब मामले की छानबीन चल रही थी. जिस जगह ये वारदात हुई वो इलाका नवी मुबंई का एक पॉश रिहाइशी इलाका है, जो ऐरोली के नाम से मशहूर है. ऐरोली कई सेक्टरर्स में बंटा हुआ है. जहां सेक्टर 7 में ही एक बहुमंजिला इमारत के दूसरे फ्लोर पर राजेश कुमार अपने परिवार के साथ रहते थे. परिवार में उनकी पत्नी लक्ष्मी और एक 15 साल की बेटी गुड़िया है. राजेश कुमार पेशे से इंजीनियर हैं और एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में सीनियर इंजीनियर के तौर पर काम करते हैं. उनकी पत्नी लक्ष्मी घर संभालती थी और बेटी गुड़िया मेडिकल की तैयारी में लगी थी. वो एमबीबीएस करना चाहती थी, लिहाजा वो मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET की तैयारी कर रही थी.
इंजीनियर राजेश के काम की वजह से परिवार की आर्थिक हालत भी अच्छी थी. किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं थी. लक्ष्मी का एक भाई है, शैलेष पवार. वो भी ऐरोली इलाके के नजदीक ही रहता है. सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन अचानक 30 जुलाई 2021 को दोपहर 2:39 बजे लक्ष्मी ने अपने पति राजेश, भाई शैलेष और देवरानी सरिता को फोन पर एक मैसेज किया. जिसमें लिखा कि "मैंने सब कुछ करने की कोशिश की, मगर अब मैं छोड़कर जा रही हूं." मैसेज मिलते ही सब परेशान हो उठे थे.
इसी दौरान राजेश कुमार की बेटी गुड़िया ने उन्हें मोबाइल पर कॉल किया और रोते हुए बोली- पापा, मम्मी ने बेडरूम का दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया है और दरवाजा नहीं खोल रही हैं. दरवाजे के लॉक की चाबी भी अंदर है. राजेश ने उधर से बेटी को समझाते हुए कहा- बेटा घबराओ नहीं, मैं आ रहा हूं. मैं तुम्हारे मामा को फोन करता हूं. वो अभी वहां आ जाएंगे. इसके बाद दोनों ने कॉल बंद कर दी. बेटी के कॉल ने राजेश को बैचेन कर दिया. उन्होंने फौरन अपने साले शैलेष को फोन करके सारी बात बताई. शैलेष को पहले ही अपनी बहन का मैसेज मिल चुका था, वो भी परेशान था. लिहाजा, कॉल कटते ही वो ऐरोली में अपनी बहन के घर जा पहुंचा. जहां उसकी भांजी गुड़िया बहुत परेशान थी.
शैलेष ने भी कई बार दरवाजा नॉक किया. अपनी बहन लक्ष्मी को आवाज़ भी लगाई लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला. शोर शराबा सुनकर पड़ोसी भी वहां आ गए थे. इसी बीच शैलेष ने किसी अनहोनी की आशंका के चलते पुलिस कंट्रोल रूम फोन किया और मामले की जानकारी पुलिस को दी. तब रबाले पुलिस स्टेशन की टीम मौके पर पहुंची थी. अच्छा परिवार और घर देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि इस हंसते खेलते परिवार को अचानक नजर लग जाएगी और लक्ष्मी यूं आत्महत्या कर लेगी.
इस मामले की जांच में जुटी पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार था. लक्ष्मी की लाश का पोस्टमॉर्टम उसी शाम को हो चुका था. अब अगले दिन शाम को लक्ष्मी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट रबाले पुलिस स्टेशन के एसएचओ की टेबल पर पहुंच चुकी थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक लक्ष्मी ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसकी मौत गला दबाने से हुई थी.
मतलब साफ था कि जिस मामले को पुलिस अभी तक सुसाइड मानकर चल रही थी, वो मर्डर केस था. लक्ष्मी के कत्ल की बात जानकर उसके पति और सभी परिवार वाले भी हैरान परेशान थे. अब पुलिस ने नए सिरे से मामले की कड़ियों को जोड़ने की कवायद शुरु की. पुलिस ने लक्ष्मी के परिवार, पास पड़ोस और जानकारों से पूछताछ करने का फैसाल किया. पुलिस ने लक्ष्मी के पति राजेश कुमार से पूछताछ की. राजेश ने पुलिस को बताया कि उनके पत्नी के साथ अच्छे संबंध थे. उनकी किसी से कोई रंजिश या दुश्मनी भी नहीं है.
बेटी गुड़िया नाबालिग है और उसे मां की मौत सदमा भी लगा था. लिहाजा पुलिस ने उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा. लेकिन पुलिस ने पड़ोसियों और शैलेष से भी सवाल जवाब किए. जानकारी जमा की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. अब पुलिस ने राजेश के घर के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. पुलिस यह पता लगानी चाहती थी कि वारदात के वक्त क्या राजेश के घर में कोई आया था? साथ ही पुलिस मृतका लक्ष्मी के मोबाइल फोन की जांच भी कर रही थी. लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक खाली थे.
पुलिस को एक बात परेशान कर रही थी कि वारदात के वक्त लक्ष्मी के साथ उसकी बेटी गुड़िया घर में मौजूद थी. लेकिन उसने किसी को आते जाते नहीं देखा? और लक्ष्मी की लाश जिस कमरे से मिली वो अंदर से किसने बंद किया था. अब राजेश और लक्ष्मी की 15 साल की बेटी पुलिस के रडार पर थी.
इसी दौरान पुलिस को पता चला कि वारदात से ठीक तीन दिन पहले यानी 27 जुलाई को लक्ष्मी अपनी बेटी गुड़िया के साथ अपने भाई शैलेष के घर गई थी. जहां लक्ष्मी और गुड़िया के बीच काफी झगड़ा हुआ था. बात इतनी बढ़ गई थी कि किसी ने पुलिस को फोन कर दिया था. तब उस इलाके की पुलिस ने मौके पर जाकर मां-बेटी का झगड़ा शांत कराया था. ये जानकारी पुलिस के लिए अंधेरे में रोशनी की तरह साबित हुई.
पुलिस की टीम ने राजेश और लक्ष्मी की बेटी से इस बार सख्ती के साथ पूछताछ की. इसके बाद 15 साल की गुड़िया ने जो कहानी पुलिस को बताई, उसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया.
गुड़िया ने पुलिस को बताया कि उसकी मां उसे बार-बार पढ़ाई के लिए टोकती थी. वारदात के दिन 30 जुलाई की दोपहर वो दोनों घर में अकेली थीं. उसकी मां ने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा था और इसी बात को लेकर उसकी पिटाई भी की थी. तब उसकी मां ने उसे चाकू दिखाकर धमकाया भी था. गुड़िया को लगा कि उसकी मां सच में उसे मार डालेगी. इसी बात से खौफजदा होकर उसने अपनी मां को धक्का दे दिया. जिसकी वजह से लक्ष्मी गिर गई और उसका सिर दीवार में लगा. जिससे उसे चोट भी लगी.
जब लक्ष्मी उठने की कोशिश कर रही थी, तो उसके हाथ में एक कपड़े की कराटे बेल्ट आ गई. जिसे गुड़िया ने उसके हाथों से छीन लिया और उसी से अपनी मां लक्ष्मी का गला घोंट दिया. जिससे लक्ष्मी की मौत हो गई. उस वक्त दोपहर के करीब 2 बजकर 10 मिनट का समय था. उसके पिता राजेश अपनी बहन से मिलने ठाणे गए हुए थे.
15 साल की गुड़िया ने पुलिस को बताया कि मां का कत्ल करने के बाद उसने सबसे पहले उनके मोबाइल फोन से व्हाट्सएप पर अपने पिता, अपने मामा और चाची को मां की तरफ से मैसेज भेजा कि वो आत्महत्या कर रही है. उसने मैसेज में लिखा कि "मैंने सब कुछ करने की कोशिश की, अब मैं छोड़कर जा रही हूं." दोपहर 2:39 पर मैसेज भेजने के बाद गुड़िया ने अंदर से बेडरूम के दरवाजे का नॉब वाला लॉक लगाया और फिर बाहर निकल आई. दरवाजा बंद कर दिया, जो अंदर से लॉक हो गया. आरोपी बेटी ने ऐसा इसलिए किया था ताकि मामला आत्महत्या का लगे.
दरअसल, राजेश के घर में दरवाजों में अंदर से बिना चाबी बंद हो जाने वाले वो लॉक लगे थे, जो अमूमन होटल के कमरों में भी होते हैं. वो सेंटर नॉब दबाने से लॉक हो जाते हैं और उन्हें केवल बाहर से चाबी की मदद से खोला जा सकता है. इस तरह से 10 दिन बाद पुलिस ने इस मामले का खुलासा कर दिया और नाबालिग आरोपी बेटी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. जहां से उसे बालिका सुधार केंद्र भेज दिया गया.