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अब टल जाएगा विश्वयुद्ध का खतरा, जल्द मिलेंगे रुहानी और ट्रंप

सच है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने एक दूसरे से मिलने की हामी तो भरी है. मगर इस महामिलन से पहले दोनों मुल्कों को कुछ शर्तों से होकर गुज़रना पड़ेगा.

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अमेरिका और ईरान के बीच कई समय से तनाव के हालात
अमेरिका और ईरान के बीच कई समय से तनाव के हालात

एक खतरा जो दुनिया के सामने नंगी तलवार की तरह लटका था. एक खतरा जो दुनिया पर मुसीबत की तरह टूट सकता था. एक खतरा जिसकी ज़द में चाहे अनचाहे पूरी दुनिया आ जाती. गनीमत है कि वो खतरा अब कुछ टलता हुआ नज़र आ रहा है. ईरान और अमेरिका के रिश्तों पर जमीं बर्फ अब कुछ पिघल रही है. क्योंकि जो कल तक मरने-मारने पर उतारू थे. वो अब बातचीत के टेबल पर आने को राज़ी हो रहे हैं.

हां ये सच है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने एक दूसरे से मिलने की हामी तो भरी है. मगर इस महामिलन से पहले दोनों मुल्कों को कुछ शर्तों से होकर गुज़रना पड़ेगा. कुल मिलाकर लब्बोलुआब ये है कि रिश्तों में आई इस गर्माहट के बाद दुनिया अब ये सुनने को बेताब है कि विश्वयुद्ध का खतरा अब टल जाएगा.

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ये ख़बर यकीनन हैरान करने वाली है. मगर सच है. हालांकि इस सच को भी हकीकत बनने से पहले कई शर्तों से होकर गुज़रना पड़ेगा. किसी ने नहीं सोचा था कि ये दो देश भी कभी एक साथ एक टेबल पर आ सकते हैं. लेकिन गुंजाईश के जो दरवाज़े खिड़कियां बंद थे. वो अब खुलने लगे हैं. खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने बयान देकर ये हैरान करने वाली ख़बर दुनिया को दी है. ट्रंप का कहना है कि वो ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी से मिलना चाहेंगे. मगर सही मौका और माहौल देखकर.

ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने वाले 2015 के समझौते से पिछले साल अमरीका के एकतरफा हटाए जाने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में काफ़ी तनाव आ गया है. मगर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां की पहल के बाद दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ के पिघलने के आसार नज़र आने लगे हैं. मैक्रां ने फ़्रांस में जी7 की बैठक में ईरान के विदेश मंत्री को भी न्योता दिया था. दोनों ने खाड़ी में टेंशन के हालात को कम करने के लिए लंबी बातचीत की. जिसके बाद मैक्रां ने ट्रंप को भी इस तनाव को कम करने के लिए मनाने की कोशिश की. और अब ट्रंप ने भी ईरान के साथ एक नए परमाणु समझौते की उम्मीद जताई है.

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ट्रंप की ये टिप्पणी जी7 देशों के शिखर सम्मेलन पर आई. इस बैठक में जी7 देश जिनमें कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरिका शामिल रहे. जहां कई मुद्दों पर बातचीत हुई. मगर बातचीत के केंद्र में अमेरिका और ईरान के बीच का तनाव रहा. क्योंकि एक तरफ तो अमेरिका ने जेसीपीए यानी ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन डील से खुद को बाहर कर लिया और दूसरी तरफ वो ईरान पर लगातार नए प्रतिबंध लगाता जा रहा है. जिसकी वजह से ईरान नाराज़ है. इसी वजह से दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं.

जेसीपीए ईरान के साथ पी5 प्लस वन देशों के साथ डील को कहते हैं. जिसमें चीन, फ्रांस, रूस, इंग्लैंड और अमेरिका जैसे स्थाई सदस्य देशों के अलावा जर्मनी भी शामिल है. जिसमें ये तय किया गया था कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रमों पर रोक लगा देगा. और बदले में उस पर लगे व्यापारिक प्रतिबंधों को हटा लिया जाएगा. मगर अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने इस डील से खुद को अलग कर दिया. और दोनों देशों के बीच ज़बरदस्त टेंशन का माहौल बनता चला गया.

इससे पहले ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भी अमेरिका पर अपना रुख नरम करते हुए कहा था कि अगर उन्हें लगता है कि इस टेंशन को कम करने के लिए कोई बीच का रास्ता निकल सकता है. और उस रास्ते से ईरान को फ़ायदा पहुंचेगा तो वो किसी से भी मिलने को तैयार हैं.

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बताया जा रहा है कि फ्रांस में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जव्वाद ज़रीफ़ औऱ फ्रांस के विदेश मंत्री और फ़्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रां के साथ बातचीत में बीच का रास्ता निकल आया है. जिसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रपति यानी ट्रंप और रुहानी के बीच मुलाक़ात के हालात भी बन गए हैं. हालांकि अभी इस डील को लेकर कुछ पक्का नहीं है और चीज़ें नाज़ुक दौर में है. लेकिन कुछ तकनीकी मसलों पर बातचीत शुरू हो चुकी है और उसमें प्रगति हो रही है.

आपको बता दें कि अमरिका ने बीते साल मई में समझौते से अलग होने की घोषणा की थी और नए परमाणु समझौते और प्रतिबंधों को हटाने के लिए 12 शर्तें लगाई थीं. इसमें ईरान से बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगाने और इलाकाई तनाव में शामिल होने से दूर रहने जैसी शर्तें थीं. जिसे ईरान ने मानने से इनकार कर दिया था. अब ईरान के साथ जिस नए समझौते की बात हो रही है, उसमें भी अमेरिका चाहता है कि ईरान परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल के निर्माण से लंबे वक्त के लिए दूर रहे. हालांकि अभी ये साफ़ नहीं हुआ कि इन नई शर्तों को ईरान मानेगा या नहीं.

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