कभी उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) की इस कंपनी की तूती बोलती थी, लेकिन अब कंपनी के शेयर की ट्रेडिंग बंद हो चुकी है. दरअसल, अब अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (Reliance Capital Share) स्टॉक मार्केट से डी-लिस्ट होगी. इसका मतलब ये है कि रिलायंस कैपिटल के शेयरों की न तो ट्रेडिंग होगी और न ही निवेशक शेयर को होल्ड कर सकेंगे.
आरबीआई ने 29 नवंबर, 2021 को गंभीर समस्याओं की वजह से अनिल अंबानी की इस कंपनी के बोर्ड को भंग कर दिया था. उसके बाद कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजरती हुई हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स के पास पहुंच गई है. कंपनी पर कब्जा होते ही हिंदुजा समूह ने रिलायंस कैपिटल के शेयरों को डी-लिस्ट करने का फैसला लिया है.
कर्ज में डूबी थी कंपनी
कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल के शेयरों की आखिरी ट्रेडिंग 26 फरवरी को हुई थी, उस दिन शेयर की कीमत 11.90 रुपये थी. जबकि 2008 में इस शेयर कीमत 2700 रुपये से भी अधिक थी. अपने हाई से ये शेयर करीब 99% तक टूट चुका है.
रिलायंस कैपिटल ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि कंपनी के इक्विटी शेयरधारक का परिसमापन मूल्य शून्य है और इसलिए, इक्विटी शेयरधारक कोई भुगतान प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे. वहीं रिलायंस कैपिटल के किसी भी शेयरधारक को कोई प्रस्ताव नहीं दिया जाएगा, यानी रिलायंस कैपिटल की डी-लिस्टिंग के बाद इक्विटी शेयर होल्डर्स को कोई भी पेमेंट नहीं मिलेगा.
NCLT की मंजूरी
बता दें, बीते मंगलवार NCLT ने रिलायंस कैपिटल पर नियंत्रण के लिए हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स की तरफ से पेश 9,650 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दे दी. इसमें कर्जदाताओं को 63 फीसदी बकाया का नुकसान उठाना पड़ेगा. कंपनी के खिलाफ किए गए 38,526.42 करोड़ रुपये के कुल दावों में से सिर्फ 26,086.75 करोड़ रुपये के दावों को ही न्यायाधिकरण ने स्वीकार किया है.
दो बार हुई थी नीलामी प्रक्रिया
आईआईएचएल ने स्वीकृत दावों का सिर्फ 37 फीसदी यानी 9,661 करोड़ रुपये ही चुकाने पर सहमति जताई है. इसका मतलब है कि कर्जदाताओं को अपने बकाया दावों का 63 फीसदी हिस्सा नहीं मिलेगा. अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल के लिए दो बार नीलामी (Reliance Capital Auction) की गई थी. हिंदुजा ग्रुप की कंपनी आईआईएचएल ने अप्रैल में हुए नीलामी के दूसरे दौर में रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर, 2021 में अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को प्रशासनिक मुद्दों और भुगतान चूक की वजह से बर्खास्त कर दिया था. उस समय केंद्रीय बैंक ने नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया था, जिन्होंने कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए फरवरी 2022 में बोलियां आमंत्रित की थीं.
कितना था कर्ज
रिलायंस कैपिटल पर 38000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था और चार आवेदकों ने शुरू में समाधान योजनाओं के साथ बोली लगाई थी. हालांकि, लेनदारों की समिति ने कम बोली मूल्य होने से उन्हें नकारते हुए दूसरे दौर की नीलामी आयोजित की थी, जिसमें आईआईएचएल और टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने शिरकत की थी. टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने नीलामी में रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी.