अगले महीने यानी अक्तूबर की 9 तारीख को लोगों को होम लोन की EMI में कमी का तोहफा मिल सकता है. ये अनुमान S&P Global Ratings की एक रिपोर्ट में जाहिर किया गया है. इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने भारत की विकास दर के अनुमान को भी बरकरार रखा है.
S&P को भरोसा है कि भारत की तेज ग्रोथ RBI को महंगाई का मैनेजमेंट करने में मदद करेगी. सबसे पहले बात करते हैं विकास दर के अनुमान की जो S&P Global Ratings ने 2024-25 के लिए 6.8 फीसदी और 2025-26 के लिए 6.9 परसेंट पर पर बरकरार रखा है.
7-9 अक्टूबर MPC की बैठक
ग्रोथ रेट में तो S&P Global Ratings ने कोई बढ़ोतरी नहीं की है. लेकिन रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि 7-9 अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी बैठक में RBI रेपो रेट को कट करने का फैसला ले सकता है. ये फरवरी 2023 से 9 MPC बैठको में साढ़े 6 परसेंट पर बरकरार है.
अगर ये अनुमान सही निकला तो फिर लोगों को होम लोन की EMI में कमी का फायदा मिलेगा, जिससे सबसे ज्यादा फायदा रियल एस्टेट सेक्टर को होगा. RBI की तरफ से रेपो रेट घटाने का अनुमान S&P Global Ratings ने इसलिए लगाया है क्योंकि ऊंची ब्याज दरों की वजह से अप्रैल-जून तिमाही में देश की विकास दर घटकर 6.7 फीसदी रह गई थी.
इन हाई इंटरेस्ट रेट्स ने शहरी डिमांड को कम करने का काम किया है. जबकि 2023-24 में देश की विकास दर 8.2 फीसदी रही थी. ऐसे में S&P का मानना है कि ब्याज दरों को घटाकर देश की विकास दर में तेजी लाने का काम RBI कर सकता है.
RBI दे सकता है रेपो रेट में कटौती का तोहफा
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक मार्च 2025 तक RBI 2 बार रेपो रेट को घटा सकता है. हालांकि RBI कह चुका है कि खाने-पीने के सामानों की महंगाई दर के कंट्रोल में आने तक वो प्रमुख उधारी दरों में कमी की जल्दबाजी नहीं करेगा. RBI ने खाद्य महंगाई दर में कमी आए बिना रिटेल इंफ्लेशन को 4 फीसदी पर लाना चुनौतीपूर्ण बताया है. वहीं इस साल के लिए महंगाई दर का अनुमान साढ़े 4 परसेंट है.
इसके पहले SBI ने अनुमान लगाया था कि खाद्य महंगाई दर चिंताओं के मौजूद रहते आरबीआई 2024 में ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा. लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की चिंताओं के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में की गई आधा फीसदी की भारी भरकम कटौती के बाद आरबीआई की तरफ से भी रेट में कटौती की अटकलें तेज हो गई हैं.
अगर बात करें भारत की ग्रोथ में तेजी की तो कैपिटल एक्सपेंडीचर के लिए आवंटित की गई भारी भरकम रकम भी इसको बढ़ाने का काम कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई के बजट में पूंजीगत खर्च के लिए कुल 11.11 ट्रिलियन रुपये आवंटित किए थे. इसके अलावा केंद्र सरकार ने 2026 तक वित्तीय घाटे को साढ़े 4 परसेंट के नीचे लाने का लक्ष्य रखा है.