कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने हाल ही में PF Account से निकासी को आसान बनाने समेत कई बड़े बदलावों (EPFO Rule Change) का ऐलान किया है. लेकिन, इनमें शामिल कुछ चेंज को लेकर विपक्ष अब सरकार पर निशाना साध रहा है. इनमें खासतौर पर पीएफ खाते में 25% मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता और प्रीमेच्योर फाइनल सेटलमेंट की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने किए जाने का मुद्दा विरोध की वजह बन रहा है. हालांकि, सरकार की ओर से विपक्ष के आरोपों के बीच तस्वीर भी साफ की गई है. हालांकि, इन तमाम बदलावों के लागू होने की समयसीमा को लेकर कोई अपडेट नहीं दिया गया है.
ईपीएफओ ने किए कई बड़े बदलाव
सबसे पहले बात करते हैं कि EPFO ने हाल ही में किन-किन बदलावों का ऐलान किया है. तो बता दें कि संगठन ने PF खाते से जमा पैसों की निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाते हुए जहां डॉक्युमेंटेशन के झंझट को खत्म करने का फैसला किया है, तो वहीं मेंबर्स को खाते में मिनिमम बैलेंस छोड़कर 75% रकम की निकासी करने की मंजूरी दी है. प्रमुख बदलावों को पांच पॉइंट में समझते हैं...
सरकार का दावा, विपक्ष का आरोप
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने लॉन्गटर्म रिटायरमेंट सेविंग्स में सुधार को उद्देश्य बताते हुए PF Withdraw Rule के नियमों में व्यापक बदलाव को मंजूरी दी है. लेकिन इस कदम ने राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू कर दिया है. विपक्षी दलों ने सरकार के इन सुधारों को कठोर और वेतनभोगी कर्मचारियों को दंडित करने वाला करार दिया है. वहीं दूसरी ओर केंद्रीय श्रम मंत्रालय का कहना है कि संशोधित नया इंफ्रास्ट्रक्चर लाखों कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने का काम करता है.
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कुल पीएफ फंड में से 25 फीसदी हिस्सा लॉक रहने से फायदा ही होगा. उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन सुनिश्चित करेगा कि सदस्य ईपीएफओ द्वारा दिए जाने वाले 8.25% के जोरदार सालाना ब्याज का लाभ लेना जारी रख सकेंगे. जो कंपाउंडिंग के साथ रिटायरमेंट फंड के तौर पर तैयार हो जाएगा. कांग्रेस की ओर से लोकसभा सांसद मणिकम टैगोर ने भी ट्वीट कर इसे लेकर विरोध जताया.
The Modi Govt’s new EPFO rules are nothing short of cruelty.
— Manickam Tagore .B🇮🇳மாணிக்கம் தாகூர்.ப (@manickamtagore) October 15, 2025
Pensioners and job-losers are being punished for needing their own savings.
Prime Minister @narendramodi ji — this is the time to intervene and stop @mansukhmandviya from destroying people’s lives. 👇
Under the new…
साकेत गोखले बोले- '25% पैसा लॉक होने से परेशानी'
इस मिनिमम बैलेंस रूल को मुद्दा बनाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने तर्क दिया कि नया नियम प्रभावी रूप से एक कर्मचारी की मेहनत की कमाई का एक-चौथाई हिस्सा सेवानिवृत्ति तक के लिए लॉक कर देता है. उन्होंने अपनी एक्स पोस्ट पर लिखा, 'कल्पना कीजिए कि आपकी नौकरी चली जाए, लेकिन फिर भी आपको बिल और EMI चुकानी पड़े, तो अब सरकार आपको पूरे एक साल तक अपना पैसा निकालने नहीं देगी.' उन्होंने लिखा ऐसी स्थिति में भी अप सिर्फ 75% ही निकाल पाएंगे, जबकि आप बेरोजगार रहें.
सेटलमेंट टेन्योर बढ़ाने पर साधा निशाना
साकेत गोखले ने EPFO के नियमों में बदलाव से एक और मुद्दा उठाया. उन्होंने समय से पहले पूरी निकासी के लिए 2 महीने के बजाय 12 महीने, जबकि EPS-95 योजना के तहत पेंशन निकासी के लिए टाइमलाइन 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने करने की आलोचना की. गोखले ने अपनी पोस्ट में कहा कि यह फैसला कर्मचारियों की अपनी बचत तक पहुंच को अनुचित रूप से सीमित करेगा. पहले, नौकरी छूटने पर आप 2 महीने बाद अपना ईपीएफ बैलेंस निकाल सकते थे, अब एक साल इंतजार करना होगा. उन्होंने कहा कि अपना पैसा निकालने के लिए अब आपको पूरे एक साल तक बेरोजगार रहना होगा.
The new EPFO rules introduced by the Modi Govt are SHOCKING AND RIDICULOUS. It is open THEFT of salaried people's own money.
— Saket Gokhale MP (@SaketGokhale) October 15, 2025
Here's what the new rules say:
👉 Earlier, on losing your job, you could withdraw your EPF balance after 2 months of employment. That minimum period has…
विपक्ष के वार पर सरकार का ये रुख
जहां तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने सरकार के फैसलों की आलोचना की है, तो वहीं सीबीटी अधिकारियों के अनुसार, इस निर्णय का उद्देश्य लॉन्गटर्म सेविंग की रक्षा करना और समय से पहले निकासी को हतोत्साहित करना है, जिससे रिटायरमेंट फंड खत्म हो जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट्स भी ये मानते हैं कि ईपीएफओ सदस्य अब अपनी वास्तविक जरूरतों के लिए अपनी पूरी पात्र निधि का उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही रिटायरमेंट के लिए एक सुरक्षित हिस्सा भी सुरक्षित रख सकते हैं.
EPFO ने विपक्ष के विरोध पर साफ की तस्वीर
हालांकि, EPFO की ओर से विपक्ष के विरोध को निराधार बताते हुए इन बदलावों से क्या बदलेगा, इसके बारे में स्पष्ट रूप बताया गया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ईपीएफओ ने इस धारणा को गलत करार दिया कि बेरोजगार सदस्य अपनी पीएफ राशि नहीं निकाल सकते. संगठन की ओर से कहा गया कि तथ्य ये है कि बेरोजगार होने पर सदस्य बिना किसी प्रतीक्षा अवधि के तुरंत अपने पीएफ खाते से 75% तक निकाल सकते हैं, जबकि शेष 25% राशि 12 महीने बाद निकाली जा सकती है.
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा ये भी साफ किया गया है कि मिनिमम बैलेंस समेत पीएफ खाते की पूरी राशि निकालने की अनुमति अभी भी विशिष्ट मामलों में दी जाएगी, जिनमें 55 वर्ष की आयु के बाद सेवानिवृत्ति, छंटनी, स्थायी विकलांगता जैसे मामले शामिल हैं.
पेंशन के मामले में बदलाव ऐसे फायदेमंद
सबसे ज्यादा चर्चा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) में बदलाव की हो रही है. नए नियम के तहत अब सदस्य अपनी पेंशन राशि सिर्फ 36 महीने की बेरोजगारी के बाद ही निकाल सकेंगे, जबकि पहले यह नियम 2 महीने का था. इसके लेकर श्रम मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस बदलाव का प्रमुख उद्देश्य ईपीएफ सदस्यों को आजीवन पेंशन के लिए पात्र बनाने के लिए 10 वर्ष की सेवा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उनकी फैमिली के लिए लॉन्गटर्म फाइनेंशियल सेफ्टी सुनिश्चित करना है.
मंत्रालय ने आगे कहा कि पहले, बार-बार पीएफ निकासी के कारण सेवा में रुकावट आती थी, जिसके कारण कई पेंशन मामले खारिज हो जाते थे. वहीं नौकरी छूटने के बाद लोग अपनी पूरी EPF मेंबरशिप छोड़ देते थे और बाद में फिर से जुड़ जाते थे, जिससे उनकी बहुमूल्य पेंशन योग्य सेवा छिन जाती थी. नए नियम से ऐसा नहीं हो सकेगा.