लंबे समय से चली आ रही किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद को खत्म करने और किराये के कॉन्ट्रैक्ट नियम को आसान बनाने के लिए नया रेंट एग्रीमेंट कानून लागू कर दिया गया है. केंद्र सरकार का नया रेंट एग्रीमेंट नियम 2025, मनमाने तरीके से किराये में बढ़ोतरी, ज्यादा सिक्योरिटी मनी और कमजोर डॉक्यूमेंट जैसी चीजों को रोकेगा और किरायेदारों को बड़ी राहत देगा.
नए नियम बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद, पुणे और अन्य शहरों में किरायेदारों पर रहने वाले लोगों को बड़ी राहत देंगे. साथ ही मकान मालिकों को भी एक स्पष्ट मार्ग और एक विवाद समाधान प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराएंगे. भारत में शहरों की तरफ बढ़ते किरायेदारों और मकान मालिकों के झगड़ों को खत्म करने के साथ ही ये नियम ज्यादा भरोसेमंद, साफ-सुथरा और कानूनी तौर पर मजबूत स्ट्रक्चर पेश करेंगे. आइए जानते हैं रेंट एग्रीमेंट के तहत कौन-कौन से नियम लागू हुए हैं.
रेंट एग्रीमेंट 205 के नियम
टीडीएस का नियम
₹5,000 से अधिक मंथली किराये के लिए डिजिटल पेमेंट किया जाना चाहिए, ताकि यह वेरिफाई जानकारी रहे और कैश संबंधी विवादों को कम किया जा सके. हाई वैल्यू वाले किराये, जो 50 हजार रुपये प्रत माह से ज्यादा हैं तो अब धारा 194-आईबी के तहत टीडीएस लागू होगा, जिससे प्रीमियम लीज को व्यापक आयकर नियमों के अनुसार बनाया गया है.
किरायेदारों के लिए नए नियम के क्या मतलब हैं?
लिमिटेड डिपॉजिट के कारण अब किरायेदारों को कम एडवांस देना पड़ेगा. मकान मालिक किरायेदारों से मनमाने ढंग से किराया नहीं वसूल सकेंगे. किरायेदारों के पास एक डॉक्यूमेंट होगा और डिजिटल रिकॉर्ड होंगे. विवादों का तुरंत समाधान होगा.
मकान मालिकों के लिए इन नियमों का मतलब?
मकान मालिकों के पास अब एक फॉलो करने वाला सही नियम होगा, जिस कारण कोर्ट की लड़ाईंया कम होंगी. किरायेदारों की टेंशन न करके वे अब आराम से दूसरे कामों में लग सकते हैं. साथ ही रेंट पेमेंट और डॉक्यूमेंटेशन में ज्यादा ट्रांसपेरेंसी होगी.
सरकार क्या कह रही है?
रेंट एग्रीमेंट नियम 2025 के साथ, केंद्र का दावा है कि इससे अधिक किराया बाजार में तेजी आएगी, खाली पड़े आवासों को मुक्त करेगा और एक स्वस्थ, विश्वास-आधारित किराया पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा, खासकर भारत के सबसे बड़े शहरों में जहां किरायेदारों को लंबे समय से अस्पष्ट शर्तों से जूझना पड़ रहा है.