रोजमर्रा में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होनी वाली एक दवा की कीमत बढ़ने वाली है, वो भी तीस से चालीस फीसदी. दरअसल दर्द-बुखार की सबसे आम दवा पैरासिटामॉल महंगी होने जा रही है.
बुखार और दर्द हुआ नहीं कि आप दवा की दुकान पर जाकर सीधे पैरासिटामॉल मांगते हैं, जो कई अलग-अलग नामों से बिकती है. पैरासिटामॉल और इसके साथ बनी दूसरी दवाएं किस तरह धड़ल्ले से इस्तेमाल होती हैं, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि भारत में हर साल इसकी बिक्री हजा़र करोड़ रुपये से ज्यादा की है.
कीमतों में भारी इजाफा होने की वजह है कि सरकार ने चीन से सस्ते में आने वाले पैरासिटामॉल के बल्क ड्रग पर पांच साल के लिए करीब आठ सौ डॉलर प्रति टन की एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा दी है. यानी प्रति टन पैरासिटामॉल पर आयातकों को 50 हजार रुपये चुकाने होंगे.
बल्क ड्रग को आयात करके ही ज्यादातर कंपनियां पैरासिटामॉल की वो टैबलेट बनाती हैं, जिसे हम-आप खरीदते हैं. एंटी डंपिग ड्यूटी लगाने के पीछे सरकार का तर्क ये है कि चीन से आने वाले बेहद सस्ते बल्क पैरासिटामॉल से इस दवा को बनाने वाली भारतीय कंपनियां मुकाबले से बाहर हो रहीं है. लेकिन इस ड्यूटी का मतलब ये कि अब पैरासिटामॉल टैबलेट बनाने वाली कंपनियों की लागत सीधे बीस फीसदी बढ जाएगी.
दवा विशेषज्ञ सीएम गुलाटी कहते हैं, 'दाम बढ़ने तय हैं, क्योंकि एक ही रात में लागत बीस फीसदी बढ़ जाएगी तो उपाय क्या है. या तो कीमत बढे़गी या अगर सरकार ने कीमत नहीं बढा़ने दी तो दवा मार्केट से गायब होने लगेगी.