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क्‍या आपके पास भी ये शेयर? FIIs ने इन छोटी कंपनियों में बढ़ाई 54% तक हिस्‍सेदारी

विदेशी निवेशकों ने 31 मार्च 2025 तक आईकॉनिक स्‍पोर्ट्स एंड इवेंट्स में अपनी हिस्‍सेदारी 53.85% तक कर ली है. वहीं मार्च 2024 तक इस कंपनी में FIIs के पास कोई शेयर नहीं था.

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FIIs Stake in Small Cap Firms
FIIs Stake in Small Cap Firms

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने वित्त वर्ष 2025 में 1.27 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं और पिछले 12 महीनों में कुछ स्मॉल कैप शेयरों में अपनी हिस्सेदारी लगातार बढ़ाई है. BSE सेंसेक्‍स अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के दौरान 5 फीसदी बढ़ा है. दूसरी ओर, इसी अवधि के दौरान BSE मिडकैप और BSE स्‍मॉलकैप में 5 और 8 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. 

इस बीच, अक्टूबर के बाद से FIIs द्वारा भारी बिकवाली ने बाजार को अस्थिर बनाए रखा. Ace Equity के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने 31 मार्च 2025 तक आईकॉनिक स्‍पोर्ट्स एंड इवेंट्स में अपनी हिस्‍सेदारी 53.85% तक कर ली है. वहीं मार्च 2024 तक इस कंपनी में FIIs के पास कोई शेयर नहीं था.

अन्य प्रमुख शेयरों में FII ने ब्लू पर्ल एग्रीवेंचर में भी अपनी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में 0% से बढ़ाकर 23.24% कर ली. उन्होंने एलीटकॉन इंटरनेशनल में भी अपनी हिस्सेदारी एक साल पहले के 15.49% से बढ़ाकर 38.30% कर ली.

उन्होंने वित्त वर्ष 2025 में एराय लाइफस्पेस, अहिंसा इंडस्ट्रीज, सुदर्शन फार्मा इंडस्ट्रीज, उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक, वन ग्लोबल सर्विस प्रोवाइडर, एमओएस यूटिलिटी, वन प्वाइंट वन सॉल्यूशंस, पशुपति कॉटस्पिन, जीई वर्नोवा टीएंडडी इंडिया, वर्टेक्सप्लस टेक्नोलॉजीज, यूनिफिन्ज कैपिटल इंडिया, होम फर्स्ट फाइनेंस कंपनी इंडिया, चेकपॉइंट ट्रेंड्स, स्पाइसजेट और इंडस टावर्स में अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ाई.

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प‍िछले साल नहीं थी इन कंपनियों में हिस्‍सेदारी 
मार्च 2025 तक ग्‍लोबल निवेशकों के पास लीडिंग लीजिंग फाइनेंस एंड इन्‍वेस्‍टमेंट कंपनी, शूरा डिजाइन्‍स और स्‍ट्रैटमोंट इंडस्‍ट्रीज में 25 फीसदी से ज्‍यादा हिस्‍सेदारी थी. पिछले साल की इसी तिमाही में इन कंपनियों में विदेशी निवेशकों की हिस्‍सेदारी 0% थी. FII के आउटफ्लो पर अपना व्‍यू रखते हुए वाटरफील्‍ड एडवाइजर्स के सीनियर डायरेक्‍टर निवेश विपुल भोवार ने कहा, 'भारत समेत उभरते बाजार ने पिछले कुछ दशकों में डेवलप मार्केट के नजरिए से कम प्रदर्शन यिका है. जिस कारण विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया है. 

लौट रहे एफआईआई 
अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारतीय इक्विटी महंगी दिखाई देती है. इसके अलावा, भारत में कॉर्पोरेट इनकम में मंदी और पिछले साल की तुलना में महत्वपूर्ण गिरावट के संकेत के साथ, हाल ही में अमेरिका में टैक्‍स कटौती और संरक्षणवादी नीतियों के कारण विदेशी पैसा वापस गया है. भोवार ने आगे कहा कि ऐतिहासिक तौर से भारत के मार्केट ने अपनी मजबूत विकास क्षमता के कारण विदेशी संस्‍थागत निवेशकों को आकर्षित किया है. 

एक्‍सपर्टस ने कहा कि अगर भारत आर्थिक लचीलापर प्रदर्शन करना जारी रखता है. कुछ फेमस पॉलिसी में स्थिरता बनाए रखता है और अनुकूल मार्केट परिस्थितियां पेश करता है तो यह FII निवेश को बढ़ावा दे सकता है. 

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(नोट- किसी भी शेयर में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)

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