जूते बनाने वाली पॉपुलर कंपनी Skechers shoe बिक चुकी है. इसे करीब 9 अबर डॉलर में बेचा गया है, जिसे निवेश फर्म 3G कैपिटल खरीद रही है. यह डील अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेशी माल पर लगाए गए टैरिफ के व्यापारिक असर को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच आई है.
चीन में उत्पादन करने वाली कंपनियों के लिए ये व्यापारिक अनिश्चितता और भी ज्यादा है. एथलेटिक शू निर्माताओं ने एशिया में उत्पादन पर भारी निवेश किया है. स्केचर्स के दुनियाभर में 5300 रिटेल स्टोर्स हैं, जिनमें से 1800 कंपनी के स्वामित्व वाले हैं. अमेरिका में 97 प्रतिशत कपड़े और जूते एशिया से आयात किए जाते हैं.
25% तक उछले शेयर
ईटी के अनुसार, इस डील की खबर के बाद Skechers के 15 दिन वॉल्यूम-वेटेड औसत शेयर प्राइस से 30% अधिक दिखा. 63 डॉलर प्रति शेयर का प्रस्ताव पर कंपनी के बोर्ड ने इस डील को सर्वसम्मति से मंजूरी दी है. मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को स्केचर्स के शेयर 25% चढ़कर 61.56 डॉलर पर पहुंच गए.
टैरिफ की वजह से बिकी कंपनी
फैक्टसेट डेटा के अनुसार, स्केचर्स का करीब 15 प्रतिशत रेवेन्यू चीन से आता है. ऐसे में ट्रंप के टैरिफ का असर इस कंपनी पर पड़ा. ट्रंप ने चीन से आयात पर टैरिफ 125 प्रतिशत बढ़ा दिया, जबकि चीन ने अमेरिकी सामान पर 84 प्रतिशत ड्यूटी लगाई. स्केचर्स के सीएफओ जॉन वैंडेमोर ने कहा कि चीन से अमेरिका आने वाले उत्पादों पर 159 प्रतिशत टैरिफ बहुत महंगी है.
कंपनी की क्या है रणनीति?
स्केचर्स ने टैरिफ से निपटने के लिए वेंडर्स के साथ कॉस्ट शेयरिंग, सोर्सिंग कस्टमाइजेशन और प्राइस एडजस्टमेंट जैसे उपायों का जिक्र किया है. कंपनी ने अप्रैल में पहली तिमाही के आय में मार्गदर्शन जारी नहीं किया, क्योंकि मौजूदा व्यापारिक वातावरण बहुत ज्यादा गतिशील है.
कब तक पूरी हो जाएगी डील?
इस कंपनी काहेडक्वार्टर कैलिफोर्निया के मैनहट्टन बीच में है और आगे भी इसका मुख्यालय यहीं रहेगा. यह समझौता 2024 में स्केचर्स के 9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड रेवेन्यू और 64 करोड़ डॉलर के नेट प्रॉफिट के बाद आया है. 3G कैपिटल के साथ इसकी डील इस साल की तीसरी तिमाही में पूरा होने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल में लगभग सभी देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जिसमें चीन पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाया गया था. ट्रंप का कहना था कि चीन गलत तरीके से व्यापार कर रहा है, जिस कारण उसपर इतना टैरिफ लगाया गया है, लेकिन हाल ही के संकेतों के बाद ऐसा लग रहा है कि इन दोनों के बीच डील हो सकती है. फिलहाल बाकी देशों के साथ बातचीत के लिए 90 दिनों का वक्त ट्रंप सरकार की तरफ से दिया गया है.