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Ratan Tata Friendship Story: 20 साल के शांतनु से कैसे मिले थे रतन टाटा? रोचक है कहानी... फिर बन गए बेस्टफ्रेंड

नम आंखों से Ratan Tata को अंतिम विदाई देते हुए शांतनु ने लिखा था, "इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, मैं अपनी बाकी की ज़िंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा.

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शांतनु नायडू और रतन टाटा
शांतनु नायडू और रतन टाटा

9 अक्‍टूबर 2024 की रात भारत के दिग्‍गज कारोबारी और आम लोगों के दिलों पर राज करने वाले रतन टाटा (Ratan Tata) का निधन हो गया. उनकी अंतिम यात्रा में पूरा देश शोकाकुल रहा और भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की. रतन टाटा के अंतिम संस्‍कार में देश-दुनिया की जानी-मानी हस्तियां भी शामिल रहीं. रतन टाटा की अंतिम विदाई में उनके भरोसेमंद दोस्‍त और बेहद करीबी माने जाने वाले शांतनु नायडू आगे-आगे चल रहे थे. गुरुवार की सुबह उन्‍होंने लिंक्डइन पर एक इमोशन पोस्‍ट भी शेयर किया था. 

नम आंखों से Ratan Tata को अंतिम विदाई देते हुए शांतनु ने लिखा था, "इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, मैं अपनी बाकी की ज़िंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा. प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है. अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस." रतन टाटा के साथ उन्‍होंने अपनी एक पुरानी तस्‍वीर भी शेयर की थी. 

कौन हैं शांतनु नायडू? 
पुणे में शांतनु नायडू का जन्‍म हुआ था. साल 2014 में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से शांतनु ने इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की थी. इसके बाद, शांतनु 2016 में कॉर्नेल जॉनसन ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर की डिग्री हासिल की थी. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्‍होंने अपने कैरियर की शुरुआत टाटा एलेक्सी में ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर के तौर पर की. लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक शांतनु जून 2017 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं. वह रतन टाटा के असिस्टेंट रहे हैं. 

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रतन टाटा को देते थे निवेश की सलाह
नायडू की प्रतिभा से रतन टाटा काफी प्रभावित थे. तभी तो रतन टाटा ने खुद फोन करके असिस्टेंट बनने का ऑफर दिया था. इसके बाद वह साल 2022 में रतन टाटा के ऑफिस में जीएम बन गए थे. शांतनु नायडू का जन्म 1993 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. शांतनु, रतन टाटा को स्टार्टअप्स में निवेश के लिए भी सलाह देते थे. 

Shantanu Naidu

कैसे हुई थी रतन टाटा से मुलाकात? फिर बन गए गहरे दोस्‍त
शांतनु नायडू की रतन टाटा से मुलाकात और फिर दोस्‍ती की वहज पशु व जानवर प्रेम के कारण हुई. दोनों की मुलाकात साल 2014 में हुई थी. नायडू एक्‍सीडेंट से आवारा कुत्तों को बचाने के लिए उनके गले में रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाते और फिर आवारा कुत्तों के गले में लगा देते थे, जिससे ड्राइवर को यह रिफ्लेक्टिव कॉलर अंधेरें में भी दिख जाता था और वह वाहन को रोक देता था. इस आइडिया ने रतन टाटा को काफी प्रभावित किया था, जिसके बाद से ही रतन टाटा की शांतनु से मुलाकात हुई और शांतनु के असिस्‍टेंट बनने के बाद ये दोनों एक गहरे दोस्‍त हो गए. पहली बार जब नायडू, रतन टाटा से मिले थे तो वे सिर्फ 20 साल के थे. 

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स्‍टॉर्टअप्‍स के मालिक 
नौकरी के अलावा शांतनु Goodfellows स्‍टार्टअप के मालिक भी हैं. यह कंपनी सीनियर सिटीजन को कंप्रिहेंसिव सपोर्ट प्रोवाइड कराती है. ऐसा कहा जाता है कि इस कंपनी का वैल्यू करीब पांच करोड़ रुपये है. वे एक फेमस भारतीय बिजनेसमैन, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और इंटरप्रेन्योर हैं. 

पशु प्रेम और समाज सेवा का भाव मन में रखने वाले शांतनु ने “मोटोपॉज” नाम की संस्था बनाई, जो सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की मदद करती है. नायडू के नेतृत्व में मोटोपॉज ने 17 शहरों में विस्तार किया और 8 महीनों में 250 कर्मचारियों को काम पर रखा है. 

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