भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदने पर नाटो चीफ मार्क रूट की धमकियों का बिना लाग लपेट के जवाब दिया है. भारत ने पश्चिमी देशों को कहा है कि वे ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर दोहरा मापदंड नहीं अपनाएं. भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नाटो चीफ मार्क रूट की धमकियों की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि उनके बॉस का दिमाग किसी भी प्रेशर को महसूस करने के लिए नहीं बना है. और उन्हें ताकत यहीं से मिलती है.
बता दें कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और वैश्विक मंच पर स्वतंत्र नीति का झंडा बुलंद किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि हमारे लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना स्वाभाविक रूप से हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. इस प्रयास में हम बाजार में उपलब्ध संसाधनों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों के आधार पर काम करते हैं.
गौरतलब है कि नाटो चीफ ने कहा था कि अगर भारत रूस से कच्चा तेल मंगाता है तो भारत पर 100 फीसदी का सेकेंडरी सैंक्शन लगाया जा सकता है.
मेर बॉस का दिमाग प्रेशर लेने के लिए नहीं बना है
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस मामले में नाटो चीफ की धमकियों के एक-एक धागे खोल दिए. केंद्रीय मंत्री पुरी वेबसाइट फर्स्ट पोस्ट के साथ बात कर रहे थे. इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि अमेरिका ने भारत पर सेकेंडरी सैंक्शन लगाने की धमकी दी है. इसका भारत को होने वाले तेल सप्लाई पर क्या असर देखते हैं और हमारे देश का बैकअप प्लान क्या है?
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि वे अपने दिमाग में किसी तरह का प्रेशर महसूस नहीं करते हैं. उन्होंने कहा, "सबसे पहले तो मैं ये बता दूं कि मैं अपने माइंड पर किसी तरह का प्रेशर नहीं लेता हूं. और मैं नहीं समझता हूं कि मेरे बॉस का दिमाग किसी प्रेशर को लेने के लिए बना हुआ है. और मैं अपनी ताकत यहीं से लेता हूं."
ये नया भारत है...जहाँ दबाव वाली नहीं, प्रभाव वाली सरकार है।
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 17, 2025
PM @narendramodi जी पर किसी का दबाव नहीं चलता। उनकी प्रतिबद्धता देशवासियों के प्रति है।
भारत को जहाँ सस्ता मिलेगा, वहां से तेल आयात करेगा।@PetroleumMin @DghIndia #UrjaVarta2025 pic.twitter.com/vnVPtwdxwa
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि फरवरी 2022 में जब रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य टकराव हुआ तो जहां तक मुझे याद है हम अपनी कुल जरूरतों का दशमलव 2 प्रतिशत क्रूड ऑयल रूसी फेडरेशन से खरीद रहे थे. आज ये निश्चित रूप से बहुत बढ़ गया है. भारत अपने तेल सप्लाई में विविधता लाया है. पहले हम 27 देशों से तेल खरीदते थे अब ये संख्या बढ़कर 40 हो गई है.
हरदीप पुरी ने भारत की ईंधन जरूरतों को पूरा करने के लिए देश की स्वतंत्र ऊर्जा नीति की मुलाकात की. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम बहुत शुरुआत से ही इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि हमें जहां से भी तेल खरीदना होगा हम खरीदेंगे. क्योंकि प्रधानमंत्री का आखिरी कमिटमेंट भरतीय उपभोक्ताओं के साथ है. हम इस नीति पर कायम रहे हैं.
बता दें कि हरदीप सिंह पुरी भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट के अहम सदस्य हैं. एक अनुभवी राजनयिक और 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी पुरी ने 39 वर्षों तक अलग अलग देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें ब्रिटेन, ब्राजील और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के रूप में सेवा शामिल है.
एनर्जी मार्केट का 16 फीसदी हिस्सा भारत से आया
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत जैसे आकार के देश के लिए, भारत में जिस स्तर पर ईंधन की खपत होती है वो एनर्जी मार्केट के लिए बेहद जरूरी है. दुनिया भर के एक्सपर्ट बताते हैं कि पिछले 10-11 सालों में ऊर्जा बाजार में हुए कुल बढ़ोतरी का 16 प्रतिशत सिर्फ भारत से आया है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसियां कहती है कि अगले 20 सालों में ऊर्जा मार्केट का जो विस्तार होगा उसका 20 फीसदी भारत से आएगा.
ईरानी कच्चे तेल की संभावित खरीदारी पर पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि ईरानी तेल मार्केट से गायब हो गया है लेकिन अगर उस पर किसी ने प्रतिबंध लगाया है और हम उस प्रतिबंध से सहमत हुए हैं तो हम कानून का पालन करते हुए उस तेल को नहीं खरीदेंगे.
नाटो और अमेरिका क्या कह रहे हैं?
बता दें कि अमेरिका और नाटो रूस से भारत की तेल खरीदारी को यूक्रेन वॉर से जोड़कर देखते हैं. अमेरिका को लगता है कि रूस भारत-चीन-ब्राजील को कच्चा तेल बेचकर यूक्रेन में जंग लड़ रहा है. इसलिए अमेरिका चाहता है कि भारत और चीन-ब्राजील रूस से कच्चा तेल न खरीदे. अमेरिका ने कहा है कि अगर भारत रूस से कच्चा तेल खरीदता है तो उस 100 फीसदी टैरिफ का सेकेंडरी सैंक्शन लगाया जाएगा. अगर अमेरिका भारत पर 100 फीसदी का टैरिफ लगा देता है तो अमेरिका को होने वाले भारत के निर्यात काफी महंगे हो जाएंगे. इसका भारत के विदेशी बाजार पर व्यापक असर पड़ सकता है. क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है.
भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने से रोकने के लिए अमेरिकी सीनेटर कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं. रिपब्लिकन सीनेटर लिंडेस ग्राहम इसकी अगुआई कर रहे हैं. इससे जुड़े बिल में रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 500 फीसदी तक टैरिफ लगाने का प्रावधान है.