पाकिस्तान भले ही भारत से सीधी टक्कर का दावा करता हो, लेकिन उसकी कंगाल हालत (Pakistan Crisis) से दुनिया वाकिफ है. पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद बढ़े तनाव के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच जमकर संघर्ष देखने को मिला और इसमें भी PAK परास्त हुआ. सीजफायर के बाद दोनों देशों के बीच तनाव में कमी आई. इसके बाद आतंक के पनाहगार देश पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मेहरबानी देखने को मिली, लेकिन 1 अरब डॉलर का लोन पास करने के साथ ही वैश्विक निकाय ने उसे 11 नई शर्तों के साथ परेशानी में डाल दिया. अब देश की इकोनॉमी (Pakistan Economy) को लेकर जो खबर आई है, वो देश के लिए एक और बड़ा झटका है.
कैसे सरहद से लेकर दुनियाभर में पिटा PAK
पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था सही मायने में कर्ज के भरोसे चल रही है. देश पर 131 अरब डॉलर का भारी-भरकम कर्ज हो चुका है और ये इसकी जीडीपी का करीब 42 फीसदी है. हालत ये है कि पाकिस्तान आईएमएफ का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार देश है. वहीं China का भी भारी-भरकम कर्ज उसके ऊपर है. बीते दिनों Indo-PAK Tesion के बीच पाकिस्तान जहां सीमा पर घुटनों पर आ गया, तो वहीं इस दौरान दुनिया में उसकी छवि एक बार फिर आतंक के पनाहगार देश के रूप में हुई. इस दौरान IMF ने उसके लिए लोन मंजूर किया, तो वैश्विक निकाय के प्रति ग्लोबल गुस्सा (IMF Global Anger) फूट पड़ा. इसके बाद उसने हाल ही में पाकिस्तान पर अगली किस्त जारी करने के लिए 11 नई शर्तें लगा दीं.
GDP के मोर्चे पर फिसलता पाकिस्तान
दुनियाभर में अपनी किरकिरी कराने वाले पाकिस्तान को अब जीडीपी के मोर्चे पर भी तगड़ा झटका लगता नजर आ रहा है और ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि खुद पाकिस्तान की सरकार ने ये मान लिया है. दरअसल, डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इस साल के लिए जीडीपी ग्रोथ (Pakistan GDP Growth) का अनुमान घटा दिया है और ये संकेत है कि पहले से बदहाल पाकिस्तान में हालात और भी बिगड़ने वाले हैं और सरकार को खुद ये समझ आ गया है. पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (PBS) ने मंगलवार को अनुमान जाहिर करते हुए कहा कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में PAK GDP ग्रोथ 2.68 फीसदी रहने की उम्मीद है, जबकि इससे पहले ये अनुमान 3.6 फीसदी जताया गया था. मतलब इकोनॉमी लक्ष्य से चूक रही है और दुनिया भर से कर्ज लेने वाले पाकिस्तान (Pakistan Debt) में हालत सुधरने के बजाय और बिगड़ रही है.

IMF को भी सताने लगी चिंता
भारत और पाकिस्तान तनाव (Indo-PAK Tension) के दौरान आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए अतिरिक्त 1 अरब डॉलर के लोन की मंजूरी के साथ कुल मिलाकर 2.4 अरब डॉलर की आर्थिक मदद को हरी झंडी दिखाई थी, इसमें क्लाइमेट चेंज से बचान के लिए मदद भी शामिल है. लेकिन पाकिस्तान की खस्ता हालत को देखते हुए खुद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को अब शायद अपना पैसा डूबने का खतरा महसूस होने लगा है. इसके चलते आईएमएफ ने अपने बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हैं और इसके बाद Pak पर कुल शर्तें बढ़कर 50 हो गई हैं. आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को दो टूक कह दिया गया है कि अगर ये शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो फिर उसे अगली किश्त जारी नहीं हो सकेगी.
IMF की ओर से पाकिस्तान के लिए लाई गई नई शर्तों पर गौर करें, तो इनमें रिकॉर्ड 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये के संघीय बजट को संसद की मंजूरी शामिल है, तो वहीं बिजली बिलों पर हाई सरचार्ज लगाए जाने की शर्त भी रखी गई है. इसके अलावा वर्तमान में, पाकिस्तान के आयात नियमों के तहत केवल 3 साल तक पुरानी कारों के आयात की अनुमति है, इसे 5 साल करना शामिल है. इसके अतिरिक्त, सरकार को 2035 तक स्पेशल टेक जोन और इंडस्ट्रियल पार्कों के लिए प्रोत्साहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा. इसकी रिपोर्ट साल के अंत तक पेश की जानी है.
PAK को ये बड़ी चेतावनी भी दी
11 नई शर्तें लागू करने के साथ ही आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए स्पष्ट रूप से चेतावनी भी जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अगर जारी रहता है या फिर और अधिक बढ़ता है, तो इसके असर से सीधा कार्यक्रम के राजकोषीय, बाहरी और सुधार लक्ष्यों के लिए जोखिम बढ़ सकता है. IMF की चेतावनी पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के मद्देनजर आई है.बता दें कि पहलगाम हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इस ऑपरेशन के तहत एयर स्ट्राइक करते हुए हमला किया था और इसमें 100 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की बात सामने आई थी. इसके बाद बीते 10 मई को भारत और पाकिस्तान में युद्धविराम पर सहमति बनी थी.