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IMF-World Bank पर फिर फूटा 'ग्लोबल गुस्सा', पूर्व अफगान VP बोले- भारत से युद्ध होते ही PAK पर पैसों की बारिश क्यों?

Global Anger Against IMF-World Bank: पहलगाम आतंकी हमले के बाद सीमा पर भारत-PAK के बीच बढ़े संघर्ष के दौरान आईएमएफ ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद देकर आलोचनाएं झेली थीं और अब फिर अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया के जरिए तगड़ा हमला बोला है.

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पाक को आर्थिक मदद देने पर फिर फूटा ग्लोबल गुस्सा
पाक को आर्थिक मदद देने पर फिर फूटा ग्लोबल गुस्सा

बीते 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद बढ़ी भारत और पाकिस्तान के बीच टेंशन सीजफायर (Indo-PAK Ceasefire) के ऐलान के बाद भले ही थम गई हो, लेकिन इस संघर्ष के दौरान कंगाल और आंतक के पनाहगार पाकिस्तान मिली आर्थिक मदद अभी भी सुर्खियों में है. जहां भारत से सीमा पर तनाव बढ़ने के दौरान IMF को उसकी आर्थिक मदद करने पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, तो वहीं इसके बाद Pakistan की फाइनेंशियल हेल्प के लिए आगे आए वर्ल्ड बैंक (World Bank) से लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) तक पर अब ग्लोबल गुस्सा फूट रहा है. अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने इन वैश्विक वित्तीय संस्थानों पर बड़ा सवाल खड़ा किया है.

सोशल मीडिया पर फूटा पूर्व अफगान VP गुस्सा
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ने वैश्विक वित्तीय संस्थाओं पर निशाना साधते हुए उन पर पाकिस्तान की युद्ध संबंधी वित्तीय मदद और आतंकी समूहों के साथ ऐतिहासिक संबंधों के उजागर होने के बाद भी मौन रूप से Pakistan को पुरस्कृत करने का आरोप लगाया है. पूर्व अफगान उप-राष्ट्रपति सालेह ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में आईएमएफ से लेकर वर्ल्ड बैंक तक तमाम ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने X Post में गुस्सा निकालते हुए बड़ा सवाल उठाया कि, 'जब भी India Vs Pakistan में तनाव बढ़ता है, जैसे कि हाल ही में पहलगाम हमले के बाद बढ़े चार दिन के संघर्ष के दौरान हुआ. ऐसी हर स्थिति में आईएमएफ, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे वित्तीय संगठन पाकिस्तान को Loanदेने के लिए तमाम प्रतिबंधों में ढील क्यों देते हैं?' 

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आतंकियों के पनहगार पर दरियादिली क्यों? 
Amrullah Saleh ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि आखिर ऐसा क्यों है कि हर बार जब पाकिस्तान, भारत के साथ युद्ध के मूड में आता है, तो ये संस्थान उसे लोन और अनुदान बांटने लगते हैं. आतंक को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान में उदारता के लंबे समय से चले आ रहे पैटर्न की ओर इशारा करते हुए उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पश्चिमी सहायता निर्बाध रूप से प्रवाहित होती रही, जबकि पाकिस्तान ने कथित तौर पर तालिबान नेताओं, हक्कानी आतंकियों और ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) की मेजबानी की थी.

IMF-वर्ल्ड बैंक को कितने सबूत चाहिए? 
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने साल 2011 में एक प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य एकेडमी के पास बिन लादेन से संबंधित जानकारी के बारे में बात करते हुए कहा कि सब कुछ सामने होते हुए भी पाकिस्तान पर बिल्कुल भी प्रतिबंध नहीं लगाए गए. यहां तक ​​कि उस परिसर के मालिक पर भी कोई एक्शन नहीं हुआ, जिसने अपनी संपत्ति अल-कायदा (Al-Qaeda) को किराए पर दी थी. गौरतलब है कि ऋण देने के फैसले मुख्य रूप से आर्थिक स्थिरता के आदेशों से प्रभावित होते हैं, न कि आतंकवाद विरोधी रिकॉर्ड से, लेकिन इतने उदाहरण मिलने के बाद भी Pakistan पर अपना खजाना खोलने के मामले में वैश्विक कर्जदाताओँ ने सालेह के आरोपों पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है.  

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लंबे समय से आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान पर बढ़ते कर्ज और विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आ रही कमी, अक्सर इसे आपातकालीन वित्तपोषण सूची (PAK In Emergency Financng List) में टॉप पर रखती है. न केवल आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक, बल्किन कड़ी जांच के दौर में भी, चीन और सऊदी अरब जैसे सहयोगियों से वैकल्पिक वित्तीय मदद लेने की पाकिस्तान की क्षमता ने पश्चिमी प्रभाव को कमजोर कर दिया है.

पहले भी हो चुकी है आलोचना
बता दें कि जब मई महीने की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान दोनों के बीच रॉकेट, ड्रोन और मिसाइल अटैक हो रहे थे, तो IMF ने दी पाकिस्तान के लिए एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत 1 अरब डॉलर और Climate Resilience Loan के लिए भी अतिरिक्त 1.4 अरब डॉलर की राशि भी मंजूर की थी. इसके बाद चुनावी विश्लेषक यशवंत देशमुख ने IMF को लेकर यहां तक कह दिया था कि, 'आईएमएफ के हाथ खून से रंगे हैं, इसे कहने का कोई और तरीका नहीं है.' जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा था, 'मुझे यकीन नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कैसे सोचता है कि उपमहाद्वीप में मौजूदा तनाव कम हो जाएगा, जबकि आईएमएफ पाकिस्तान को सभी आयुध प्रतिपूर्ति के लिए आर्थिक मदद दे रहा है, जिनका उपयोग वह पुंछ, राजौरी, उरी, तंगधार समेत अन्य स्थानों पर तबाही मचाने के लिए कर रहा है.'

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अभी अफगान के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा आईएमएफ समेत अन्य वैश्विक निकायों पर निशाना साधा है, लेकिन इससे पहले निर्वासित अफगान सांसद मरियम सोलायमानखिल (Mariam Solaimankhil) ने सख्त रुख अपनाते हुए कह दिया था कि आईएमएफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) को नहीं बचाया है, बल्कि इसने खून-खराबे को बढ़ावा दिया. उन्होंने आगे बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर दुनिया कब तक पाकिस्तान को हत्या करने के लिए पैसे देगी? इसके बाद भले ही आईएमएफ ने पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हों, लेकिन विश्व बैंक और एडीबी की ओर से उसे लगातार मदद मिलने का सिलसिला जारी है. 

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