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1991 में 1000 अंक का था सेंसेक्स, फिर मनमोहन सिंह ने लिया ये फैसला और दौड़ पड़ा बाजार

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री Manmohan Singh का निधन 92 वर्ष की आयु में हो गया. जब साल 1991 में वे वित्त मंत्री थे, तब सेंसेक्स 1000 अंक के आस-पास था, लेकिन उनके उठाए गए कदमों से शेयर बाजार को नया आकार मिला.

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दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के उठाए कदमों से शेयर बाजार को मिला नया आकार
दिवंगत पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के उठाए कदमों से शेयर बाजार को मिला नया आकार

पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh Passes Away) को श्रद्धांजलि दे रहा है. गुरुवार को 92 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया. देश में उदारीकरण के जनक के तौर पर पहचाने जाने वाले मनमोहन सिंह द्वारा उठाए गए कदमों ने न सिर्फ देश की इकोनॉमी, बल्कि शेयर बाजार (Stock Market) को भी नया आकार दिया, जिससे निवेशकों को बाजार से ताबड़तोड़ कमाई करने का मौका मिला, जो अभी तक जारी है. मनमोहन सिंह साल 1991 में देश के वित्त मंत्री बने थे और तब से अब तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (Sensex) 79 गुना बढ़ चुका है. आइए आज बाजार के इस मुकाम पर पहुंचने में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का क्या रोल रहा? 

वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह के बड़े काम 
तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव (P.V. Narasimha Rao) की सरकार में मनमोहन सिंह 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री रहे थे. उनके कार्यकाल में जो इकोनॉमिक रिफॉर्म्स किए गए, उनका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी साफ देखने को मिला. उन्होंने अपनी नीतियों और आर्थिक सुधार के लिए उठाए गए कदमों से Indian Economy को उदार बनाया और लाइसेंस राज खत्म करते विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय मार्केट को खोल दिया. इसने भारतीय शेयर बाजार को मौलिक तौर पर नया रूप दिया.

मनमोहन सिंह के फैसलों से सेंसेक्स भागा  
ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी के मुताबिक, वित्त मंत्री के रूप में 1991 में लाइसेंस राज को खत्म करने जैसे मनमोहन सिंह के साहसिक कदमों ने निजी उद्यम की संभावनाओं को खोलने का काम किया, जिससे स्टॉक एक्सचेंजों में कंपनियों की लिस्टिंग में तेज उछाल देखने को मिला. सिर्फ 1991-92 में ही BSE Sensex करीब 263% चढ़कर 4,500 अंक पर पहुंच गया था, जो 1991 में महज 1000 अंक पर था. 

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यही नहीं, जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने, तो उनके दो कार्यकालों के दौरान भी सेंसेक्स ने लंबी छलांग लगाई. त्रिवेश डी का कहना है कि बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स सेंसेक्स ने 2004-2014 में जोरदार 382% की बढ़त दर्ज की थी. बढ़ते विदेशी निवेश और इंफ्रास्ट्रचर ग्रोथ का प्रभाव शेयर बाजार पर साफ दिखाई दिया था.

शेयर बाजार में दिखे बड़े बदलाव  
मास्टर कैपिटल सर्विसेज की डायरेक्टर पलका अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि साल 1991 के उदारीकरण सुधारों के बाद से भारतीय शेयर बाजार में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिले हैं. मनमोहन सिंह ने विभिन्न संस्थागत सुधारों का भी नेतृत्व किया, जिसमें 4 अप्रैल 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी SEBI का गठन नियामक प्राधिकरण के रूप में करना शामिल है, जो शेयर बाजार में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. उनके सुधारात्मक कदमों का असर देश की GDP पर भी दिखा और प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल के दौरान जीडीपी ग्रोथ औसतन 6.9% रही.

एक्सपर्ट बोले- उनके कामों का असर अब भी 
BSE Sensex कुल मिलाकर 1991 में लगभग 1000 के स्तर पर था, तब से अब तक ये लगभग 79 गुना बढ़ चुका है. हालांकि, साल 2024 में ये 85000 के पार का सफर भी तय कर चुका है. लेकिन बीते कुछ दिनों की गिरावट के बावजूद ये 79,000 के आस-पास बना हुआ है. यही नहीं, मार्केट ने लगातार 9वें साल निवेशकों को पॉजिटव रिटर्न दिया है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटिजिक वीके विजयकुमार ने कहा कि आने वाले वर्षों में शेयर मार्केट इन्वेस्टर्स को बेहतर रिटर्न मिलता रहेगा, क्योंकि मनमोहन सिंह के उदारीकरण से प्रेरित इंडिया के ग्रोथ की कहानी अभी भी बरकरार है. 

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