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कौन खरीदेगा ‘पवन हंस’? कई कंपनियों ने जताई खरीदने की इच्छा!

सार्वजनिक क्षेत्र की हेलीकॉप्टर ऑपरेटर कंपनी पवन हंस के निजीकरण के लिए सरकार ने ‘Expressions Of Interests-EOI' (रुचि पत्र) आमंत्रित किए थे, अब दीपम का कहना है कि पवन हंस को खरीदने में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है. जानें पूरी बात...

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पवन हंस (Photo:File)
पवन हंस (Photo:File)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दीपम को मिले कई Expressions Of Interests
  • ONGC भी अपनी 49% हिस्सेदारी बेचने को तैयार
  • 2021-22 में पूरा होगा कंपनी का निजीकरण

सार्वजनिक क्षेत्र की हेलीकॉप्टर ऑपरेटर कंपनी पवन हंस के निजीकरण के लिए सरकार ने ‘Expressions Of Interests-EOI' (रुचि पत्र) आमंत्रित किए थे, अब दीपम का कहना है कि पवन हंस को खरीदने में कई कंपनियों ने रुचि दिखाई है. जानें पूरी बात...

दीपम को मिले कई EOI
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने बृहस्पतिवार को कहा कि  पवन हंस के लिए उसे विभिन्न कंपनियों से EOI मिले हैं. सरकार के विनिवेश कार्यक्रम का जिम्मा इसी विभाग के पास है.

विनिवेश प्रक्रिया दूसरे चरण में
पांडे ने कहा कि EOI मिलने के बाद अब निजीकरण की प्रक्रिया दूसरे चरण में प्रवेश करेगी. हालांकि उन्होंने पवन हंस खरीदने में रुचि रखने वालों का नाम नहीं बताया है.  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि पवन हंस का निजीकरण 2021-22 में पूरा कर लिया जाएगा. अगले वित्त वर्ष में एयर इंडिया का विनिवेश भी पूरा होना है.

ONGC भी बेचेगी अपनी हिस्सेदारी
पवन हंस में सरकार की 51% हिस्सेदारी है. बाकी 49% हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की ONGC के पास है. सरकार ने पवन हंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य रखा है. साथ ही खरीदने वाली इकाई के पास ONGC की 49% हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प होगा. ONGC के निदेशक मंडल ने भी सरकार द्वारा तय शर्तों के आधार पर ही पवन हंस में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने को अनुमति दे दी है.

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दीपम ने पिछले साल दिसंबर में पवन हंस की बिक्री के लिए इन्फॉर्मेशन मेमोरेंडम जारी किया था. उसने 19 जनवरी तक इसके लिए EOI आमंत्रित किए थे. पवन हंस को खरीदने के लिए कोई कोई भी निजी या सरकारी कंपनी के साथ-साथ सीमित जवाबदेही वाली पार्टनरिशिप फर्म, भारत या विदेश में पंजीकृत कॉरपोरेट इकाई, सेबी में रजिस्टर वैकल्पिक निवेश कोष बोलियां लगा सकती हैं. जबकि केंद्र सरकार की 51% भागीदारी वाले केंद्रीय लोक उपक्रम या सहकारी समिति को इसके लिए बोली लगाने की अनुमति नहीं है.

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