अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से कई देशों पर लगाए गए टैरिफ ने वैश्विक बाजारों में हड़कंप मचा दिया है. हालांकि भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि उसके एशियाई कारोबारी प्रतिद्वंदी देशों पर तगड़ा टैरिफ लगने से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं.
चीन-वियतनाम पर तगड़ा टैरिफ
ट्रंप का भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ 26 फीसदी है, जबकि चीन पर यह 54 फीसदी, वियतनाम पर 46 फीसदी, बांग्लादेश पर 37 फीसदी और थाईलैंड पर 36 फीसदी है, जिससे भारतीय निर्यातकों को बाकी देशों की तुलना में बढ़त मिलती है. यूनाइटेड स्टेट इंटरनेशनल ट्रेड कमीशन के मुताबिक कीमती पत्थर और धातु, इलेक्ट्रिक सामान, मछली जैसे समुद्री उत्पाद, दवा उत्पाद, परिधान और वस्त्र, मशीनरी, खनिज, रसायन, लोहा और इस्पात और वाहन अमेरिका को निर्यात होने वाले प्रमुख सामानों में शामिल हैं.
कपड़ा उद्योग के लिए बड़ा मौका
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के मुताबिक टेक्सटाइल सेक्टर में सबसे ज्यादा संभावनाएं और मौके हैं. चीनी और बांग्लादेशी निर्यात पर तगड़ा टैरिफ भारतीय कपड़ा निर्माताओं के लिए अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी और अमेरिका में निर्यात बढ़ाने के अवसर पैदा करता है. कपड़ा उत्पादन में भारत का मजबूत आधार, कम टैरिफ के साथ मिलकर इस क्षेत्र में वैश्विक मांग को बढ़ा सकता है और नए निवेश को आकर्षित कर सकता है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश अमेरिका के भारी टैरिफ के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और स्मार्टफोन सेक्टर में कॉस्ट कॉम्पिटिटिवनेस खो सकते हैं. यह भारत के लिए एक विंडो खोलता है, जिसने हाल के वर्षों में प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के जरिए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में निवेश किया है.
ग्लोबल ब्रांड्स को भारत में न्योता
भारत ग्लोबल ब्रांड्स के लिए नए मैन्युफैक्चरिंग सेटअप की पसंदीदा जगह बन सकता है, जो हाई टैरिफ सेक्टर्स से अपनी सप्लाई चेन में विविधता लाना चाहते हैं. भारत खिलौनों और मशीनरी जैसे सेक्टर्स में टैरिफ-संबंधी रिलोकेशन से भी फायदा उठा सकता है, जहां फिलहाल चीन और थाईलैंड सबसे आगे हैं. भारत सरकार ने पहले ही खिलौनों के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. इस साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत को खिलौनों का ग्लोबल हब बनाने के लिए नई योजना शुरू करने का ऐलान किया है.
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अर्थशास्त्री अजय श्रीवास्तव ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अमेरिका की संरक्षणवादी टैरिफ व्यवस्था भारत के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन से फायदा उठाने के लिए कैटेलिस्ट का काम कर सकती है. हालांकि पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए भारत को अपने कारोबार को आसान बनाना होगा, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा और नीतिगत स्थिरता बनाए रखनी होगी. अगर ये शर्तें पूरी होती हैं, तो भारत आने वाले वर्षों में एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण और एक्सपोर्ट हब बनने की स्थिति में होगा.
चीन की हालत कमजोर
अर्थशास्त्री युविका सिंघल का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ से चीन+1 रणनीति कमजोर पड़ने की संभावना है, जिसने चीनी सामानों को अन्य अर्थव्यवस्थाओं के जरिए अमेरिका तक आसानी से पहुंचाने में मदद की थी. उन्होंने निष्कर्ष देते हुए कहा कि निर्यात में कोई भी वृद्धि कुछ समय के लिए चुनौती होगी. लेकिन कॉन्ट्रैक्ट पर फिर से बातचीत, क्वालिटी का भरोसा और कॉस्ट एडवांटेज सबसे बड़ी बाधा होगी, जिनसे भारत को पार पाना होगा.