रोहतास जिले के सदर अस्पताल सासाराम से स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता को उजागर करने वाली एक विचलित करने वाली तस्वीर सामने आई है. नोखा थाना क्षेत्र के तेनुआं गांव से बुधवार को एक पिता अपनी घायल जवान बेटी के इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचा था. बेटी का पैर फ्रैक्चर था और वह चलने में असमर्थ थी, लेकिन अस्पताल में उसे व्हीलचेयर जैसी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई गई.
पीड़ित पिता ने बताया कि उसने अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्यकर्मियों से कई बार व्हीलचेयर देने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी. मजबूरी में उसे अपनी बेटी को पीठ पर लादकर कभी डॉक्टर के पास तो कभी एक्सरे जांच के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग तक ले जाना पड़ा. घंटों तक यह सिलसिला चलता रहा और वह अस्पताल परिसर में अपनी बेटी को उठाए भटकता रहा.
स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता आई सामने
यह पूरी स्थिति अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों के सामने होती रही, लेकिन किसी ने आगे बढ़कर मदद करना जरूरी नहीं समझा. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में इस तरह की लापरवाही ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर मरीजों को व्हीलचेयर जैसी बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है.
बेटी को कंधे पर उठाकर भटकता रहा पिता
इस घटना ने न केवल अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि आम लोगों को सरकारी अस्पतालों में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक घायल बेटी को कंधे पर उठाकर इलाज के लिए भटकता पिता स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत को सामने लाता है. इस मामले के बाद अब सदर अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठने लगे हैं.