एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी बिहार में नीतीश कुमार सरकार को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन इसके लिए एक शर्त है- सीमांचल क्षेत्र को उसके हक का न्याय मिले. अमौर में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि सीमांचल दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा है और अब यह स्थिति बदलनी चाहिए.
ओवैसी ने कहा, “हम नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन देने को तैयार हैं, लेकिन सीमांचल को न्याय मिलना चाहिए. विकास सिर्फ पटना और राजगीर तक सीमित नहीं रहना चाहिए. सीमांचल आज भी नदी कटाव, भारी पलायन और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहा है. सरकार को इन मुद्दों पर गंभीरता दिखानी होगी.”
सीमांचल के 5 सीटों पर ओवैसी की पकड़
सीमांचल, जो बिहार के पूर्वोत्तर में स्थित है, राज्य का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है. यहां मुसलमानों की आबादी अधिक है और हर साल कोसी नदी की बाढ़ इस इलाके को तबाह करती है. क्षेत्र की करीब 80% आबादी ग्रामीण है और विकास कार्यों में इसकी हिस्सेदारी बेहद कम देखी जाती है.
हालिया विधानसभा चुनावों में सीमांचल की 24 सीटों में से 14 सीटें एनडीए ने जीतीं. इसके बावजूद ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने यहां अपनी पकड़ बनाए रखी और 5 सीटें अपने नाम कीं. यही संख्या 2020 में भी थी. हालांकि, 2020 में चुने गए एआईएमआईएम के 5 में से 4 विधायक बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे.
MLAs पर कड़ी निगरानी, ओवैसी की नई रणनीति
इस बार ओवैसी ने साफ संकेत दिया कि वह अपने विधायकों की गतिविधियों पर करीबी नजर रखेंगे और पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा, “हमारे पांचों विधायक हफ्ते में दो दिन अपने-अपने क्षेत्रीय कार्यालयों में बैठेंगे और मुझे अपनी लाइव लोकेशन के साथ फोटो भेजेंगे. इससे साफ पता चलेगा कि वे कहां हैं.”
ओवैसी ने यह भी बताया कि वे खुद भी छह महीने में एक बार सीमांचल का दौरा करेंगे.