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JDU के अंदर दिल्ली बनाम पटना की पॉलिटिक्स में नप गए केसी त्यागी? जब-जब समीकरण बदला, तब तब बढ़ता-घटता रहा कद

जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ दिया है. वे लंबे समय से दिल्ली में बैठकर जेडीयू की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं और पार्टी का पक्ष रखते आए है. हाल ही में उनकी बयानबाजी ने एनडीए में असहज की स्थिति पैदा कर दी थी और गठबंधन में मतभेद की खबरों को बल मिलने लगा था. त्यागी को लेकर कहा जाता है कि जब भी JDU ने NDA के साथ गठबंधन किया तो उनकी राष्ट्रीय भूमिका मजबूत हुई. जबकि महागठबंधन के दौरान उनका कद थोड़ा कम हुआ है.

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केसी त्यागी ने जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद छोड़ दिया है.
केसी त्यागी ने जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद छोड़ दिया है.

जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी (73 साल) ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. उनकी जगह अब राजीव रंजन प्रसाद जेडीयू के नए प्रवक्ता होंगे. रविवार को JDU ने बयान में कहा कि केसी त्यागी ने निजी वजहों से जिम्मेदारी छोड़ी है. हालांकि, चर्चा यह भी है कि त्यागी की लगातार बयानबाजी से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में असहज की स्थिति बन रही थी. JDU के अंदर दिल्ली बनाम पटना की पॉलिटिक्स में केसी त्यागी फिट नहीं बैठ पा रहे थे? चूंकि, जेडीयू, एनडीए का पार्टनर है और केंद्र सरकार का हिस्सा है. राज्य में बीजेपी के समर्थन से जेडीयू चला रही है.

त्यागी ने एक बयान में कहा, मैं अभी भी पार्टी के साथ हूं. मैं पार्टी का राजनीतिक सलाहकार हूं. मैंने पार्टी प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया है, पार्टी से नहीं. मैंने कल नीतीश कुमार को पत्र लिखा. उन्होंने मुझे फोन किया और पार्टी के सलाहकार के रूप में काम जारी रखने का आग्रह किया है. नीतीश कुमार को जब भी जरूरत होगी, वो मुझे बुला सकते हैं. उनसे मेरा संबंध काफी पहले का है. उनके प्रति सम्मान रहा है और रहेगा. त्यागी 2013 से 2016 तक बिहार से राज्यसभा सांसद रहे. वे 1989 से 1991 तक हापुड़ सीट से लोकसभा सदस्य भी रहे हैं.

हमेशा कोर टीम का हिस्सा रहे त्यागी

केसी त्यागी समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे हैं और नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाते हैं. त्यागी के बयान से स्पष्ट हो गया है कि वो पार्टी का ही हिस्सा हैं और आने वाले दिनों में फिर बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. शरद यादव से लेकर ललन सिंह तक जेडीयू का अध्यक्ष कोई भी रहा हो, त्यागी को हमेशा कोर टीम में शामिल किया जाता रहा है. हाल में यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दावा किया है कि लोजपा (रामविलास) के कम से कम तीन सांसद बीजेपी के संपर्क में हैं. बातें यह भी हो रही थीं कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और क्षेत्रीय पार्टी से अलायंस में दरार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं. 

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कब-कब बढ़ता-घटता रहा केसी त्यागी का कद?

त्यागी के बारे में कहा जाता है कि वो पार्टी के अंदर 'दिल्ली बनाम पटना' की पॉलिटिक्स में फंस गए हैं. दरअसल, हाल ही में त्यागी की लगातार बयानबाजी से JDU के केंद्रीय और राज्य नेतृत्व के बीच सत्ता संतुलन और राजनीतिक फैसलों में मतभेद की खबरें सामने आई हैं. त्यागी राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दो दशक से पार्टी के प्रमुख चेहरे हैं और लंबे समय से पार्टी के प्रवक्ता और रणनीतिकार रहे हैं. दिल्ली में रहते हुए वे संगठन की राष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं. त्यागी का राजनीतिक कद पार्टी के गठबंधनों और समीकरणों के बदलने के साथ ही बढ़ता और घटता रहा है.

- नीतीश कुमार के नेतृत्व में JDU का मुख्य केंद्र पटना रहा है. यहां पार्टी का मुख्य फोकस बिहार की राजनीति, स्थानीय विकास और सत्ता को बनाए रखने की रणनीति पर होता है. पटना में नीतीश कुमार का दबदबा है और उनके फैसले पार्टी की दिशा तय करते हैं. माना जाता है कि पार्टी के अंदर केसी त्यागी को 'दिल्ली बनाम पटना' के बीच सामंजस्य बिठाने में चुनौतियों और कठिनाई का सामना करना पड़ा है. उनके कंधों पर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि को बनाए रखने के साथ-साथ बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व को भी मजबूत करने की जिम्मेदारी रही है. जानकारों का मानना है कि दिल्ली और पटना के बीच की खींचतान में त्यागी का कद प्रभावित हुआ है. 
- 2000 के दशक की शुरुआत में जब JDU ने NDA में एंट्री ली, तब केसी त्यागी को पार्टी के प्रवक्ता और रणनीतिकार के रूप में जगह मिली. वे मीडिया में पार्टी का चेहरा बने और बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के नेतृत्व को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने का काम किया.
- 2015 में JDU ने बीजेपी से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया. इस दौरान त्यागी की भूमिका सीमित हो गई. चूंकि पार्टी के फोकस में बिहार की राजनीति और लालू यादव के साथ तालमेल बनाना रह गया था. महागठबंधन का एजेंडा बिहार के क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित था, ऐसे में त्यागी की राष्ट्रीय स्तर की भूमिका में कुछ कमी आई.
- 2017 में नीतीश कुमार ने फिर बड़ा राजनीतिक कदम उठाया और RJD-कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और NDA में वापसी कर ली. उसके बाद त्यागी का कद फिर बढ़ा और वो राष्ट्रीय राजनीति में JDU का प्रमुख चेहरा बन गए. उन्हें बीजेपी और अन्य NDA सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी दी गई.
- साल 2020 में जब बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार थी और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (अब BJP नेता) जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए तो त्यागी ने पार्टी प्रवक्ता पद छोड़ दिया था. 
- 2022 में जब नीतीश कुमार ने फिर NDA से अलग होकर महागठबंधन में वापसी की तो त्यागी की भूमिका और ज्यादा जटिल हो गई. त्यागी को जिम्मेदारी दी गई कि वे राज्य और केंद्र स्तर की राजनीति के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करें. दरअसल, त्यागी अपने संवाद और राजनीतिक कौशल के लिए जाने जाते हैं और उनको मीडिया और जनसंपर्क का जिम्मा सौंपा जाता रहा है. 
- उसके बाद मार्च 2023 में बिहार में जब जेडीयू-महागठबंधन की सरकार थी और राजीव रंजन सिंह ललन पार्टी अध्यक्ष थे, उस समय भी त्यागी को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्य प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया था, हालांकि, दो महीने बाद मई 2023 में त्यागी की फिर वापसी हुई और पार्टी के 'विशेष सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता' बनाए गए. उस समय जेडीयू बिहार में महागठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही थी.
- जनवरी 2024 में जेडीयू फिर एनडीए का हिस्सा बनी तो त्यागी को फिर मुख्य भूमिका में देखा गया और जेडीयू की तरफ से पक्ष रखते देखे गए. हालांकि, इस बार टिप्पणियों ने उनकी मुश्किलें खड़ी कर दीं.

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क्या दिल्ली बनाम पटना की पॉलिटिक्स में नप गए त्यागी? 

माना जा रहा है कि केसी त्यागी को दिल्ली में बैठकर हर मुद्दे पर टिप्पणी करना भारी पड़ गया है. चूंकि, त्यागी हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखते हैं और पटना में बैठी जेडीयू की लीडरशिप इस बयानबाजी को बर्दाश्त नहीं कर सकी है. त्यागी के बयानों से ऐसा लगने लगा था कि एनडीए में जेडीयू का राय अलग है. सूत्र बताते हैं कि जब एनडीए में मतभेदों की खबरें आने लगीं तो बीजेपी ने इसे दबाने के लिए सहयोगी दलों से बातचीत की और कोऑर्डिनेशन बनाए रखने के लिए कहा. इसी सिलसिले में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और राज्यसभा सांसद संजय झा ने उनसे मुलाकात की थी और उनसे राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था. हालांकि, पार्टी ने आधिकारिक बयान में यही कहा कि त्यागी ने निजी वजह से जिम्मेदारी छोड़ी है.

त्यागी ने क्या बयान दिए, जिससे NDA में नाराजगी की चर्चा?

जानकारों के मुताबिक, केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए हैं, इसके लिए उन्होंने पार्टी हाईकमान से चर्चा तक नहीं की. इनमें विदेश नीति, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री, एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले पर बयान शामिल है. त्यागी ने कई मुद्दों पर अपने निजी विचार पार्टी के विचारों की तरह बताकर पेश किए, जिनसे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा.

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केंद्र में तीसरी बार एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से पहले केसी त्यागी ने बड़ा बयान दिया था. उन्होंने सेना भर्ती में अग्निपथ योजना की समीक्षा किए जाने की मांग की थी. इसके अलावा, त्यागी ने यूपीएससी में लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी बयान दिया था. त्यागी का कहना था कि हमारी पार्टी शुरू से ही सरकार से आरक्षित सीटों को भरने की बात कहती रही है. हम राम मनोहर लोहिया को मानने वाले लोग हैं. जब लोगों को सदियों से समाज में पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा तो आप मेरिट क्यों ढूंढ रहे हैं? सरकार का ये आदेश गंभीर चिंता का विषय है. त्यागी ने विदेश नीति को लेकर भी इंडिया ब्लॉक के सुर में सुर मिलाया था और विपक्षी दलों के नेताओं के साथ साझा बयान पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने केंद्र सरकार से इजरायल को हथियारों की सप्लाई रोकने का आग्रह किया था. इसके अलावा, त्यागी ने वक्फ बिल, यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे कई मुद्दों पर बिना पार्टी से चर्चा किए पार्टी लाइन से अलग बयान दिए. बताया जा रहा है कि इसीलिए उनसे इस्तीफा लिया गया है.

JDU का कब-कब RJD और NDA से अलायंस हुआ?

- 24 नवंबर 2005 में नीतीश कुमार ने बीजेपी-जदयू के गठबंधन में बिहार में एनडीए की सरकार बनाई. नीतीश मुख्यमंत्री बने. उसके बाद 26 नवंबर 2010 को नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बने. ये सरकार भी बीजेपी-जेडीयू अलायंस वाली थी.
- 20 नवंबर 2015 में नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बने. पहली बार उन्होंने आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई. 
- 26 जुलाई 2017 को नीतीश ने आरजेडी का साथ छोड़ा और एनडीए के साथ फिर सरकार बना ली. ये सरकार करीब ढाई साल चली. 16 नवंबर 2020 को नीतीश ने फिर से जेडीयू-बीजेपी की सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने.
- दो साल बाद जेडीयू-बीजेपी के रिश्ते खराब हो गए और 10 अगस्त 2022 को नीतीश फिर आरजेडी खेमे वाले महागठबंधन में चले गए और सरकार बना ली.
- ये सरकार करीब दो साल चली. नीतीश ने फिर पाला बदला और 28 जनवरी 2024 को जेडीयू-बीजेपी की नई सरकार बना ली. JDU ने NDA के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव साथ लड़ा और केंद्र की सरकार में हिस्सेदार बन गए.

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