बिहार में आगामी 13 नवंबर को चार विधानसभा सीटों इमामगंज, बेलागंज, रामगढ़, और तरारी पर उपचुनाव होंगे. इन सीटों पर बाप-बेटे के रिश्ते की परीक्षा मानी जा रही है, जहां परिवारवाद और पिता-पुत्र का दबदबा देखने को मिल रहा है. इन उपचुनावों को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है.
इमामगंज विधानसभा सीट पर नजर डालें तो यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के गया से सांसद बनने के बाद खाली हो गई थी. मांझी ने अपनी बहू दीपा मांझी को यहां से उम्मीदवार बनाया है और खुद उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार में जुटे हैं. दीपा मांझी के लिए यह पहला चुनावी मुकाबला है, लेकिन यह जीतन राम मांझी के लिए प्रतिष्ठा की बात बन गई है.
13 नवंबर को डाले जाएंगे वोट
दूसरी ओर, बेलागंज सीट राजद का गढ़ मानी जाती है. यहां से राजद नेता सुरेंद्र यादव ने लोकसभा चुनाव जीतकर संसद की सीट हासिल की है. अब उनकी जगह उनके बेटे विश्वनाथ सिंह चुनावी मैदान में हैं. सुरेंद्र यादव अपने बेटे की जीत के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं और प्रचार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. यह सीट सुरेंद्र यादव की छवि और उनके प्रभाव की भी परीक्षा है.
रामगढ़ विधानसभा सीट पर, राजद ने सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है. अजीत कुमार सिंह न केवल सांसद सुधाकर सिंह के भाई हैं, बल्कि राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे भी हैं. यहां अजीत की जीत से ज्यादा, यह उनके पिता जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा का प्रश्न है.
विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल
अंत में तरारी सीट पर भाजपा नेता सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत चुनावी मैदान में हैं. सुनील पांडे अपने बेटे की जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. हालांकि एनडीए के अन्य नेताओं ने भी चुनाव प्रचार में योगदान दिया है, लेकिन असली चुनौती और प्रतिष्ठा की बात सुनील पांडे के लिए ही है.